वृश्चिक संक्रांति 2025: सूर्य देव को संसार की आत्मा और जगत पिता कहा जाता है क्योंकि यह अपने प्रकाश से दुनिया को जीवन प्रदान करते हैं। बता दें कि हिंदू धर्म में जहाँ सूर्य देव की पूजा देवता के स्वरूप में की जाती है, तो वहीं ज्योतिष शास्त्र में इन्हें नवग्रहों के जनक का पद प्राप्त है।
ऐसे में, सूर्य देव का राशि में होने वाला हर परिवर्तन विशेष माना जाता है और अब यह जल्द ही एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने जा रहे हैं जो जल्द ही वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्लॉग में आपको वृश्चिक संक्रांति 2025 के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त होगी जैसे कि तिथि, मुहूर्त आदि।

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इस विशेष लेख में हम आपको संक्रांति किसे कहते हैं और क्या है इसका धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व, इससे अवगत करवाएंगे। तो चलिए बिना देर किए शुरुआत करते हैं “वृश्चिक संक्रांति 2025” के इस विशेष ब्लॉग की और सबसे पहले जान लेते हैं इसकी तिथि और समय के बारे में।
वृश्चिक संक्रांति 2025: तिथि और मुहूर्त
ज्योतिष में सूर्य देव के गोचर को महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे ही संक्रांति कहा जाता है। एक वर्ष में में सूर्य महाराज कुल 12 बार अपनी राशि में बदलाव करते हैं और इस प्रकार, एक वर्ष में 12 संक्रांति तिथियां आती हैं। इस प्रकार, अब सूर्य देव मंगल ग्रह की राशि वृश्चिक में गोचर करने जा रहे हैं इसलिए यह संक्रांति “वृश्चिक संक्रांति” कहलाएगी।
शायद ही आप जानते होंगे कि सूर्य मेष से लेकर मीन तक जिस राशि में गोचर करते हैं, उस संक्रांति का नाम उसी राशि के नाम पर पड़ता है जैसे कि मकर राशि में सूर्य का गोचर “मकर संक्रांति” के नाम से जाना जाता है। चलिए अब नज़र डालते हैं वृश्चिक संक्रांति की तिथि पर।
वृश्चिक संक्रांति की तिथि: 16 नवंबर 2025, रविवार
पुण्य काल मुहूर्त: सुबह 08 बजकर 02 मिनट से दोपहर 01 बजकर 45 मिनट तक
अवधि: 05 घंटे 43 मिनट
महापुण्य काल मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 58 मिनट से 01 बजकर 45 मिनट तक
अवधि: 01 घंटा 47 मिनट
वृश्चिक संक्रांति पर शुभ मुहूर्त में किए गए कार्य विशेष रूप से फलदायी सिद्ध होते हैं।
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वृश्चिक संक्रांति 2025 का धार्मिक महत्व
वृश्चिक संक्रांति धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखती है और यह तिथि कई तरह से कल्याणकारी होती है। इस दिन सूर्य महाराज तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करते हैं जो कृषि, प्रकृति और ऋतु में परिवर्तन का प्रतीक मानी जाती है। धार्मिक रूप से हर संक्रांति दान, स्नान और सूर्य पूजा के लिए शुभ होती है इसलिए इस दिन प्रत्येक व्यक्ति को सुबह स्नान के बाद सूर्य देव को जल का अर्घ्य अवश्य देना चाहिए।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वृश्चिक संक्रांति के अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान करना पुण्यदायक माना गया है। इस तिथि पर जो भक्त सूर्योदय के समय स्नान करता है और सूर्यदेव को जल का अर्घ्य देता है, उस व्यक्ति के जीवन से नौकरी एवं रोजगार से जुड़ी सभी तरह की समस्याओं का अंत हो जाता है। साथ ही, जातक के यश और वैभव में भी वृद्धि होती है। हालांकि, वृश्चिक संक्रांति पर कुछ ख़ास वस्तुओं का दान करना फलदायी होता है जिसके बारे में हम आगे बात करेंगे। आइए अब जान लेते हैं वृश्चिक संक्रांति का ज्योतिष में महत्व।
वृश्चिक संक्रांति 2025 का ज्योतिषीय महत्व
धार्मिक के साथ-साथ ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी वृश्चिक संक्रांति का अपना एक अलग स्थान है क्योंकि सूर्य गोचर का यह समय ख़ासतौर पर लाभदायक होता है। बता दें कि सूर्य महाराज अपनी नीच राशि तुला से निकलकर वृश्चिक राशि में गोचर करते हैं इसलिए इस राशि में सूर्य कमज़ोर अवस्था से मज़बूत स्थिति में आ जाते हैं क्योंकि इनका यह गोचर मंगल ग्रह की राशि में होता है जिन्हें सूर्य देव के मित्र माना जाता है।
सूर्य के वृश्चिक राशि में आने से व्यक्ति के आत्मविश्वास, मान-सम्मान और ऊर्जा में वृद्धि होती है। यह गोचर विशेष रूप से वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बहुत शुभ होता है। इस समय किए गए शोध और ज्ञान से जुड़े कार्यों में सफलता मिलती है। इसके अलावा, वृश्चिक संक्रांति के समय संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग करने और अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ने का अवसर मिलता है। वृश्चिक संक्रांति पर किए गए धार्मिक कार्यों से जातक को सूर्य से जुड़े दोषों और पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है।
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वृश्चिक संक्रांति 2025 पर धार्मिक कार्यों का महत्व
दान, स्नान और अर्घ्य, यह तीन कार्य वर्ष भर में आने वाली प्रत्येक संक्रांति पर किए जाते हैं। इनमें से कुछ कार्य आपकी समस्याओं का अंत करते हैं और इन्हीं में से एक है सूर्य देव को अर्घ्य देना। वृश्चिक संक्रांति पर भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से कुंडली में उपस्थित सूर्य दोष और पितृ दोष का निवारण होता है।
वृश्चिक संक्रांति पर दान-पुण्य करने का अत्यंत महत्व है इसलिए इस तिथि पर गरीबों एवं जरूरतमंदों को वस्त्र, भोजन आदि दान करना श्रेष्ठ होता है। वृश्चिक संक्रांति पर सूर्य उपासना के बाद गुड़ और तिल का प्रसाद बांटने की परंपरा है। साथ ही, इस दिन गौ दान करना बेहद पुण्यदायी माना गया है।
वृश्चिक राशि में सूर्य गोचर का प्रभाव
जैसे कि हम आपको ऊपर बता चुके हैं कि सूर्य देव का यह गोचर अपने मित्र मंगल की राशि में होगा इसलिए यह संसार को प्रभावित कर सकता है। आइए जानते हैं देश-दुनिया पर सूर्य गोचर का प्रभाव।
- वृश्चिक राशि में सूर्य का गोचर व्यापार करने वाले जातकों के लिए सकारात्मक परिणाम लेकर आएगा और आपको लाभ मिलने का मार्ग प्रशस्त होगा।
- इस राशि परिवर्तन के प्रभाव से वस्तुओं की लागत महंगी होने की संभावना बन सकती है।
- वृश्चिक संक्रांति के दौरान भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में समस्याओं के बढ़ाने की आशंका है जो धन से जुड़ी हो सकती हैं।
- सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर की अवधि में लोगों को खांसी की समस्या परेशान कर सकती है क्योंकि इस दौरान ठंड बढ़ सकती है।
- इसके अलावा, सूर्य गोचर के दौरान कई देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है।
अब हम आगे बढ़ते हैं और आपको बताते हैं कि वृश्चिक संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा कैसे करें।
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वृश्चिक संक्रांति 2025 पर इस विधि से करें सूर्य पूजा
स्नान: वृश्चिक संक्रांति के दिन भक्त सूर्योदय से पूर्व उठकर किसी पवित्र नदी जैसे गंगा, यमुना में स्नान करें। अगर ऐसा करना संभव न हो, तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
सूर्य देव को अर्घ्य दें: स्नान करने के पश्चात तांबे के लोटे में लाल चंदन, हल्दी, सिंदूर और रोली मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
मंत्र उच्चारण: वृश्चिक संक्रांति पर सूर्य देव को अर्घ्य देते समय “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
भोग लगाएं: भगवान सूर्य को गुड़ से बनी खीर का प्रसाद के रूप में भोग लगाएं। साथ ही, सूर्य देव को धूप अवश्य दिखाएं।
दान: वृश्चिक संक्रांति पर सूर्य देव की आराधना के बाद अन्न, वस्त्र और आवश्यक वस्तुओं का दान करें।
वृश्चिक संक्रांति 2025 पर करें ये उपाय
- भाग्योदय के लिए: इस दिन से चांदी के गिलास में पानी पीना शुरू करें और सोमवार के दिन पीपल के पेड़ की परिक्रमा करें। साथ ही, पीपल के पेड़ के नीचे कपूर मिले घी से दीपक जलाएं।
- रोगों से छुटकारा: वृश्चिक संक्रांति पर सच्चे मन से सूर्य पूजा करें क्योंकि ऐसा करने से आपको सूर्य देव की कृपा से अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होगी।
- माता-पिता का सम्मान करें: वृश्चिक राशि के दिन जातक माता-पिता के चरण स्पर्श करें और उनका आशीर्वाद लें।
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वृश्चिक संक्रांति 2025 पर राशि अनुसार करें दान
मेष राशि
मेष राशि वाले वृश्चिक संक्रांति के दिन गुड़ का दान करें।
वृषभ राशि
वृषभ राशि वालों के लिए वृश्चिक संक्रांति के अवसर पर दही का दान करना शुभ रहेगा।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातक वृश्चिक संक्रांति के मौके पर गरीब एवं जरूरतमंदों को वस्त्र दान में दें।
कर्क राशि
कर्क राशि के जातक वृश्चिक संक्रांति 2025 पर तांबे का लोटा दान करें। ऐसा करना आपके लिए कल्याणकारी रहेगा।
सिंह राशि
सिंह राशि वालों को सूर्य देव से शुभ परिणामों की प्राप्ति के लिए वृश्चिक संक्रांति पर लाल रंग के कपड़े दान करने चाहिए।
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों के लिए वृश्चिक संक्रांति के दिन अनाज का दान करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा।
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तुला राशि
तुला राशि वाले सूर्य देव का आशीर्वाद पाने के लिए वृश्चिक संक्रांति के मौके पर अपने सामर्थ्य के अनुसार धन का दान करें।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातक वृश्चिक संक्रांति के दिन गुड़ का दान करें। इस उपाय को करने से आप सूर्य देव की कृपा प्राप्त कर सकेंगे।
धनु राशि
धनु राशि वालों को सूर्य देव को बलवान करने के लिए वृश्चिक संक्रांति पर मौसमी फल का दान करना चाहिए।
मकर राशि
मकर राशि वाले वृश्चिक संक्रांति के अवसर पर काले तिल का दान करें।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों को इस अवसर पर सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए सरसों का तेल दान करने की सलाह दी जाती है।
मीन राशि
मीन राशि के जातकों को वृश्चिक संक्रांति के दिन जरूरतमंदों को गर्म कपड़ों का दान करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
वृश्चिक संक्रांति वर्ष 2025 में 16 नवंबर 2025, रविवार को मनाई जाएगी।
ज्योतिष के अनुसार, वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्य महाराज अपनी नीच राशि से निकलकर मित्र मंगल की राशि में जाते हैं और यह अनुकूल स्थिति में होते हैं।
वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करना और उन्हें अर्घ्य देना शुभ और कल्याणकारी होता है।