मार्गशीर्ष माह 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह अत्यंत पवित्र और शुभ माना गया है। यह महीना देवताओं का प्रिय काल कहा जाता है, जब हर शुभ कार्य का फल कई गुना बढ़ जाता है। इस महीने में पड़ने वाले व्रत और त्योहार न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि जीवन में धन, सुख शांति और समृद्धि लाने वाले भी हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मार्गशीर्ष मास में यदि व्यक्ति अपनी राशि अनुसार विशेष उपाय करता है, तो उसकी रुकी हुई किस्मत चलनी लगती है और जीवन की परेशानियां धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है।
इस महीने में आने वाले कई व्रत, जैसे उत्पन्ना एकादशी, मोक्षदा एकादशी, गीता जयंती, दत्तात्रेय जयंती और मार्गशीर्ष पूर्णिमा आध्यात्मिक उन्नति और सौभाग्य का प्रतीक हैं।
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आज इस ब्लॉग में हम मार्गशीर्ष मास से जुड़ी तमाम रोमांचक चीज़ों के बारे में विस्तार से बताएंगे जैसे कि इस माह के दौरान कौन-कौन से व्रत-त्योहार आएंगे? इस माह में कौन से उपाय किए जाने चाहिए? इस माह का धार्मिक महत्व क्या है? और इस मास में जातकों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए? ऐसी ही कई जानकारियों से लबालब है एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग, इसलिए अंत तक ज़रूर पढ़ें।
मार्गशीर्ष माह 2025: तिथि
मार्गशीर्ष माह का आरंभ 06 नवंबर 2025 गुरुवार को होगा जिसकी समाप्ति 04 दिसंबर 2025 गुरुवार को हो जाएगी। फिर इसके बाद 10वां महीना पौष आरंभ हो जाएगा।
मार्गशीर्ष माह का महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास वर्ष के सबसे पवित्र और शुभ महीनों में से एक माना गया है। यह महीना भगवान श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय है। गीता में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” अर्थात् “मैं महीनों में मार्गशीर्ष हूँ।” इससे इस मास का आध्यात्मिक महत्व स्पष्ट होता है। इस महीने में धार्मिक कार्य, दान-पुण्य, उपवास और पूजा पाठ का अत्यंत शुभ फल मिलता है। मार्गशीर्ष में की गई साधना, जप और ध्यान से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं तथा जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
यह का देवताओं का प्रिय समय माना जाता है, जब हर शुभ कार्य का परिणाम कई गुना बढ़कर मिलता है। इस माह में भगवान विष्णु, लक्ष्मी माता और भगवान शिव की उपासना विशेष फलदायी रहती है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा, गीता जयंती, मोक्षदा एकादशी जैसे व्रत और पर्व इस महीने को और अधिक पवित्र बनाते हैं।
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मार्गशीर्ष माह 2025 में आने वाले प्रमुख व्रत-त्योहार
मार्गशीर्ष मास यानी कि 06 नवंबर 2025 से 04 दिसंबर 2025 के दौरान हिन्दू धर्म के कई प्रमुख व्रत-त्योहार आने वाले हैं, जो कि इस प्रकार हैं:
| तिथि | वार | पर्व |
| 08 नवंबर, 2025 | शनिवार | संकष्टी चतुर्थी |
| 15 नवंबर, 2025 | शनिवार | उत्पन्ना एकादशी |
| 16 नवंबर, 2025 | रविवार | वृश्चिक संक्रांति |
| 17 नवंबर, 2025 | सोमवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
| 18 नवंबर, 2025 | मंगलवार | मासिक शिवरात्रि |
| 20 नवंबर, 2025 | गुरुवार | मार्गशीर्ष अमावस्या |
| 01 दिसंबर, 2025 | सोमवार | मोक्षदा एकादशी |
| 02 दिसंबर, 2025 | मंगलवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
| 04 दिसंबर, 2025 | गुरुवार | मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत |
मार्गशीर्ष माह 2025 में जन्म लेने वाले लोगों के गुण
मार्गशीर्ष मास में जन्मे लोग भाग्यशाली, बुद्धिमान और आध्यात्मिक प्रवृत्ति वाले होते हैं। भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय महीना होने के कारण इन व्यक्तियों में धर्म, सत्य और करुणा की भावना गहराई से होती है। इनका स्वभाव शांत, आकर्षक और प्रभावशाली होता है। ये धैर्यवान, विवेकशील और हर परिस्थिति में संतुलन बनाए रखने वाले होते हैं।
शिक्षा, ज्ञान और कला के क्षेत्र में इनकी सफलता निश्चित रहती है। ये लोग दयालु, सहायक और ईश्वर-भक्त होते हैं। संघर्षों के बावजूद ये आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच से आगे बढ़ते हैं। संक्षेप में मार्गशीर्ष जन्मजात व्यक्ति भक्ति, बुद्धि और भाग्य तीनों के संगम का प्रतीक होते हैं।
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भगवान कृष्ण की पूजा का क्या है महत्व
मार्गशीर्ष मास को भगवान श्री कृष्ण का सबसे प्रिय महीना कहा गया है। श्रीमद्भगवद्गीता में स्वयं श्रीकृष्ण ने कहा है – “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” अर्थात् “मैं महीनों में मार्गशीर्ष हूं।” इस एक वाक्य से ही इस मास में भगवान कृष्ण की पूजा का महत्व स्पष्ट हो जाता है। इस महीने में श्रीकृष्ण की आराधना करने से जीवन में सुख,समृद्धि और आत्मिक शांति प्राप्त होती है।
जो व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति से भगवान कृष्ण का नाम स्मरण करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष व ईश्वर कृपा का वरदान मिलता है। मार्गशीर्ष में गीता जयंती भी आती है इसलिए यह काल ज्ञान, धर्म और भक्ति का प्रतीक माना गया है। इस समय भगवान श्रीकृष्ण को तुलसी दल, मक्खन-मिश्री, और पीले वस्त्र अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस मास में श्रीकृष्ण की पूजा कर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करता है, उसके जीवन से कष्ट, दुर्भाग्य और मानसिक अशांति दूर होती है।
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मार्गशीर्ष माह 2025 के दौरान इन बातों का रखें ध्यान
- सत्य और संयम का पालन करें: इस महीने झूठ बोलना, क्रोध करना या किसी का दिल दुखाना अशुभ माना गया है।
- भोजन में सात्त्विकता रखें: मांस, मदिरा, लहसुन-प्याज आदि का सेवन न करें। शुद्ध और सात्त्विक भोजन करें।
- प्रत्येक दिन दीप जलाएं: सुबह और संध्या समय दीप जलाकर भगवान श्रीकृष्ण, विष्णु या शिव की आराधना करें।
- दान-पुण्य करें: गरीबों को अन्न, वस्त्र, और जरूरतमंदों की सहायता करना इस महीने अत्यंत फलदायी होता है।
- मंत्र-जप करें: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का नियमित जाप करें।
- गीता पाठ करें: मार्गशीर्ष में भगवद्गीता का अध्ययन और श्रवण बहुत शुभ माना जाता है।
- अहंकार और अपवित्रता से बचें: मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहने का प्रयास करें।
मार्गशीर्ष माह 2025 में इन मंत्रों का करें जाप
मार्गशीर्ष मास भक्ति, साधना और ईश्वरीय कृपा प्राप्त करने का सर्वोत्तम समय माना गया है। इस पवित्र काल में मंत्र-जप से मन को शांति, जीवन में समृद्धि और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है। नीचे कुछ प्रमुख मंत्र दिए गए हैं जिन्हें इस महीने में श्रद्धा भाव से जपना अत्यंत शुभ माना गया है:
श्रीकृष्ण मंत्र
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” यह मंत्र श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करने और जीवन के सभी दुखों से मुक्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली है।
विष्णु मंत्र
“ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्”।
इस मंत्र के जाप से धन, वैभव और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
शिव मंत्र
ॐ नमः शिवाय
इस मंत्र का जप करने से मन की शुद्धि, नकारात्मक ऊर्जा का नाश और आंतरिक बल की वृद्धि होती है।
लक्ष्मी मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः
यह मंत्र धन, सुख और समृद्धि के लिए अचूक माना गया है।
गीता जयंती विशेष मंत्र
ॐ पार्थाय प्रतिष्ठितं भगवता नारायणेन स्वयं
मार्गशीर्ष मास में इस श्लोक का पाठ ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति में सहायक होता है।
मार्गशीर्ष माह 2025 में करें राशि अनुसार उपाय
मेष राशि
रोज सुबह सूर्य को तांबे के लोटे से जल अर्पित करें और “ॐ सूर्याय नमः” का जप करें। करियर में उन्नति मिलेगी।
वृषभ राशि
भगवान श्रीकृष्ण को तुलसी दल और मक्खन अर्पित करें। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
मिथुन राशि
बुधवार को हरे वस्त्र पहनें और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें। मानसिक शांति और स्थिरता मिलेगी।
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कर्क राशि
गंगा जल से शिवलिंग का अभिषेक करें। पारिवारिक सुख और सौहार्द बढ़ेगा।
सिंह राशि
विष्णु मंदिर में पीला दीपक जलाएं और तुलसी के पौधे की परिक्रमा करें। भाग्य का साथ मिलेगा।
कन्या राशि
मां लक्ष्मी को कमल पुष्प चढ़ाएं और ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः मंत्र का जप करें। धन लाभ होगा।
तुला राशि
शुक्रवार को मां दुर्गा को लाल चुनरी और मिठाई अर्पित करें। रिश्तों में मधुरता आएगी।
वृश्चिक राशि
शिवलिंग पर बेलपत्र और जल चढ़ाएं। स्वास्थ्य और मन की शक्ति बढ़ेगी।
धनु राशि
गीता पाठ करें और जरूरतमंदों को दान करें। भाग्य प्रबल होगा।
मकर राशि
शनिवार को शनि मंदिर में सरसों के तेल का दीप जलाएं। कार्यों में सफलता मिलेगी।
कुंभ राशि
विष्णु जी को पीले फूल अर्पित करें और गरीबों को भोजन कराएं। आर्थिक उन्नति होगी।
मीन राशि
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें और मक्खन का भोग लगाएं। जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
मार्गशीर्ष मास कार्तिक पूर्णिमा के अगले दिन से शुरू होकर पौष मास के आरंभ तक चलता है। यह आमतौर पर नवंबर से दिसंबर के बीच पड़ता है।
यह महीना भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। गीता जयंती, मोक्षदा एकादशी और पूर्णिमा स्नान जैसे पर्व इसी महीने में आते हैं।
इस मास में भगवान श्रीकृष्ण, भगवान विष्णु, भगवान शिव और माता लक्ष्मी की पूजा अत्यंत शुभ मानी जाती है।