देव दिवाली 2025: शिववास योग से खुलेंगे सौभाग्य के द्वार, एक उपाय बदल देगा किस्मत!

देव दिवाली 2025: शिववास योग से खुलेंगे सौभाग्य के द्वार, एक उपाय बदल देगा किस्मत!

देव दिवाली 2025: देव दीपावली का पर्व, जब पूरी काशी दीपों की अनगिनत रोशनी से जगमगा उठती है, इस बार और भी विशेष होने जा रही है। वर्ष 2025 की देव दिवाली पर एक दुर्लभ योग बन रहा है, शिववास योग, जो सौभाग्य, समृद्धि और सफलता के द्वार खोलने वाला माना गया है। इस दिव्य तिथि पर देवता स्वयं गंगा तट पर दीप जलाकर भगवान शिव की आराधना करते हैं और जो भी दिन सच्चे मन से पूजा करता है, उसकी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं। 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस बार ग्रहों की अद्भुत स्थिति ऐसा संयोग बना रही है, जिसमें सिर्फ एक छोटा सा उपाय आपकी सोई किस्मत को जगा सकता है। यह उपाय न केवल धन और सुख लाएगा, बल्कि जीवन में रुके हुए कामों में भी नई गति देगा। कहा जाता है जब शिववास योग देव दिवाली के साथ बनता है, तब यह काल सर्वोत्तम फल देने वाला होता है।

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तो आइए इस देव दिवाली पर दीप जलाने के साथ अपनी किस्मत भी रोशन करने के लिए क्योंकि इस बार महादेव का विशेष आशीर्वाद हर उस भक्त पर बरसेगा जो श्रद्धा से यह दिव्य उपाय करेगा

देव दिवाली 2025: तिथि और समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, 04 नवंबर की देर रात 10 बजकर 37 मिनट पर कार्तिक पूर्णिमा शुरू होगी। वहीं 05 नवंबर की शाम 06 बजकर 50 मिनट पर कार्तिक पूर्णिमा तिथि का समापन होगा। उदया तिथि के अनुसार 05 नवंबर, 2025 बुधवार को कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाएगी। देव दीपावली को पूजा और आरती का समय संध्याकाल 05 बजकर 15 मिनट से लेकर 07 बजकर 50 मिनट तक है।

देव दिवाली पर बन रहे हैं ये शुभ योग

भद्रावास योग

देव दीपावली के दिन प्रातः 08 बजकर 44 मिनट तक भद्रावास योग रहेगा। इस अवधि में भद्रा का निवास स्वर्ग लोक में रहेगा। शास्त्रों के अनुसार जब भद्रा पाताल या स्वर्ग लोक में होती हैं, तब पृथ्वी पर रहने वाले लोगों को इसका शुभ फल प्राप्त होता है। ज्योतिष शास्त्र इस योग को अत्यंत मंगलकारी और कल्याण दायक मानते हैं। इस समय भगवान शिव की उपासना करने से जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि का विस्तार होता है तथा सभी प्रकार की विपत्तियां और दुख दूर हो जाते हैं।

शिववास योग

देव दीपावली के अवसर पर इस वर्ष एक विशेष संयोग बन रहा है, शिववास योग, जो सायंकाल 06 बजकर 48 मिनट से प्रारंभ होगा। यह योग अत्यंत पवित्र और फलदायक माना गया है। मान्यता है कि इस समय भगवान शिव और माता पार्वती की संयुक्त पूजा करने से हर इच्छा पूर्ण होती है और घर-परिवार में सुख, शांति तथा खुशहाली आती है।

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करण योग

इस देव दिवाली पर बव करण का शुभ संयोग भी बन रहा है, जो रात 08 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। इसके उपरांत बालव करण का आरंभ होगा। इस दोनों की करणों में शिव शक्ति की आराधना अत्यंत फलदायी मानी गई है। ऐसा करने से व्यक्ति के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

देव दिवाली 2025 का महत्व

देव दीपावली, जिसे देवों की दिवाली भी कहा जाता है, कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। यह पर्व दीपों का ही नहीं, बल्कि भक्ति, पवित्रता और आस्था के प्रकाश का प्रतीक है। मान्यता है कि इसी दिन देवताओं ने असुर त्रिपुरासुर पर भगवान शिव की विजय का उत्सव मनाया था। तभी से देवता स्वयं स्वर्ग से उतरकर पृथ्वी पर, विशेषकर काशी नगरी में, गंगा तट पर दीप जलाते हैं इसलिए इसे देव दीपावली कहा जाता है।

इस दिन काशी के घाटों पर हजारों दीपों की जगमगाहट एक दिव्य दृश्य प्रस्तुत करती है, जैसे  साक्षात स्वर्ग धरती पर उतर आया हो। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन गंगा स्नान कर भगवान शिव और विष्णु की आराधना करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। 

देव दीपावली केवल पूजा का पर्व नहीं, बल्कि अंधकार से प्रकाश, नकारात्मकता से सकारात्मकता और निराशा से आशा की ओर बढ़ने का संदेश देता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि जब भीतर का दीपक जलता है, तभी सच्चे अर्थों में जीवन रोशन होता है।

देव दिवाली 2025 की पूजा विधि

  • देव दिवाली की पूजा आरंभ करने से पहले सुबह स्नान अवश्य करें। यदि संभव हो, तो गंगा नदी या किसी पवित्र जलाशय में स्नान करना अत्यंत शुभ माना गया है। स्नान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें और अपने पूजा स्थल को शुद्ध जल से अच्छी तरह साफ कर तैयार करें।
  • गंगा तट, घर के मंदिर या आंगन में दीपक जलाकर देव दीपावली का आरंभ करें। पूजा स्थान पर भगवान शिव और गंगा माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र अर्पित करें। तत्पश्चात चंदन, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य समर्पित कर भगवान शिव की आरती करें और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करें।
  • इसके बाद गंगा माता की प्रतिमा के समक्ष ताजे फूल, धूप और दीप अर्पित करें तथा श्रद्धा से मां गंगा की आरती करें।
  • इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का भी विशेष महत्व है, क्योंकि यह कार्तिक पूर्णिमा का शुभ अवसर होता है। अतः भगवान विष्णु की मूर्ति के समक्ष दीप जलाएं, तुलसी दल अर्पित करें और “ऊं नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
  • पूजा के समापन पर भगवान शिव, गंगा माता और विष्णु भगवान को भोग अर्पित करें। प्रसाद में फल, मिठाई या घर में बना विशेष पकवान अर्पित करें और परिवार सहित उसका वितरण करें।

देव दिवाली की पौराणिक कथा

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, देव दीपावली का संबंध भगवान शिव की उस महान विजय से है, जब उन्होंने त्रिपुरासुर नामक दैत्य का वध किया था। त्रिपुरासुर तीन नगरों स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल का अधिपति बन गया था और अपनी शक्ति घमंड में देवताओं को सताने लगा था। उसके अत्याचारों से देवलोक और पृथ्वीलोक में हाहाकार मच गया। तब सभी देवता भगवान शिव की शरण में पहुंचे और उनसे विनती की कि वे त्रिपुरासुर से मुक्ति दिलाएं। 

भगवान शिव ने देवताओं की प्रार्थना स्वीकार की और अपने दिव्य पिनाक धनुष से त्रिपुरासुर के तीनों नगरों त्रिपुरा को भस्म कर दिया। यह घटना कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन घटित हुई थी। इस विजय के उपलक्ष्य में देवताओं ने स्वर्ग से उतरकर काशी नगरी में गंगा दीप जलाकर भगवान शिव का स्वागत किया। 

तभी से इस दिन देव दीपावली यानी देवताओं की दीपावली के रूप में मनाया जाने लगा। कहा जाता है कि उस दिन से लेकर आज तक काशी में देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है। गंगा के घाटों पर हजारों दीप जलाए जाते हैं, जो दिव्य उत्सव का प्रतीक बन गए हैं। 

ऐसा माना जाता है इस दिन जो भी व्यक्त श्रद्धा और भक्ति से भगवान, गंगा माता और विष्णु भगवान की पूजा करता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि तथा शांति आती है। देव दिवाली केवल एक पर्व नहीं बल्कि अंधकार पर प्रकाश, अधर्म पर धर्म और अहंकार पर विनम्रता की विजय का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि जब भक्ति और सत्य की ज्योति जलती है, तो संसार का हर अंधकार मिट जाता है।

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देव दिवाली 2025 के दिन जरूर करें ये राशि अनुसार

राशिउपाय
मेष राशिभगवान हनुमान जी या भगवान शिव को सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करें।
वृषभ राशि गाय को गुड़ और रोटी खिलाएं तथा लक्ष्मी जी को लाल पुष्प अर्पित करें।
मिथुन राशिहरे रंग के दीपक में घी का दीप जलाएं और विष्णु भगवान का ध्यान करें।
कर्क राशि चांदी के दीपक में घी भरकर गंगा माता के समक्ष दीप जलाएं।
सिंह राशिभगवान सूर्य को अर्घ्य दे और देव दिवाली की शाम 5 दीपक पूर्व दिशा में जलाएं।
कन्या राशिभगवान विष्णु के समक्ष तुलसी पत्र और पीले पुष्प अर्पित करें।
तुला राशिमां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की संयुक्त पूजा करें और सफेद वस्त्र धारण करें।
वृश्चिक राशिभगवान शिव को लाल पुष्प और शहद चढ़ाएं, ॐ नमः शिवाय का जाप करें।
धनु राशिदेव दीपावली पर पीले वस्त्र पहनकर तुलसी के पौधे के पास दीप जलाएं।
मकर राशिभगवान शिव के मंदिर में काले तिल और दूध अर्पित करें।
कुंभ राशिशाम दीपक में सरसों का तेल जलाएं और गरीबों को दान दें।
मीन राशिशंख बजाएं, विष्णु भगवान की आराधना करें और घर के द्वार पर 9 दीपक जलाएँ।

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अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

1. देव दीपावली कब मनाई जाती है?

देव दीपावली हर वर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। वर्ष 2025 में यह पर्व 05 नवंबर 2025, बुधवार शुक्रवार को मनाया जाएगा।

2. देव दीपावली को “देवों की दीपावली” क्यों कहा जाता है?

मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। देवताओं ने इस विजय के उपलक्ष्य में स्वर्ग से उतरकर काशी नगरी में दीप जलाए, तभी से इसे “देव दीपावली” कहा जाने लगा।

3. देव दीपावली पर किन देवताओं की पूजा करनी चाहिए?

इस दिन मुख्य रूप से भगवान शिव, गंगा माता और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साथ ही मां लक्ष्मी की आराधना भी शुभ मानी जाती है।