शारदीय नवरात्रि 2025 के नौ दिनों में प्रत्येक दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा का विधान है और शारदीय नवरात्रि 2025 पंचमी तिथि पर मां के स्कंदमाता के रूप की पूजा की जाती है।

मां स्कंदमाता को भगवान कार्तिकेय की माता होने का गौरव प्राप्त है। देवी का यह स्वरूप वात्सल्य, ममता और करुणा का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि मां स्कंदमाता की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और संतान से जुड़ी हर समस्या दूर होती है। इतना ही नहीं, भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और सौभाग्य का वास होता है।
जो दंपत्ति लंबे समय से संतान प्राप्ति की कामना कर रहे है, उनके लिए पंचमी तिथि का दिन बेहद खास होता है। इस दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ मां की पूजा करने से हर इच्छा पूरी होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, स्कंदमाता की आराधना से न केवल सांसारिक सुख मिलते हैं. बल्कि भक्त की आत्मा भी शुद्ध होकर मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर होती है।
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मां अपने भक्तों पर इतनी कृपा बरसाती हैं कि उनके जीवन से दुख, दरिद्रता और कष्ट सब दूर हो जाते हैं इसलिए नवरात्रि की पंचमी तिथि का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है। इस दिन यदि मां स्कंदमाता की पूजा सही विधि-विधान से की जाए तो भक्त को संतान सुख सहित जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और शुभ फल अवश्य प्राप्त होते हैं।
तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं इस ख़ास ब्लॉग में शारदीय नवरात्रि के बारे में, इसके महत्व, पूजा विधि व इस दिन किए जाने वाले अचूक उपायों के बारे में।
शारदीय नवरात्रि 2025 पंचमी तिथि की शुरुआत
शारदीय नवरात्रि 2025 का पांचवां दिन 26 सितंबर दिन शुक्रवार को पड़ेगा। इसके अलावा बात करें अभिजीत मुहूर्त की तो इस दिन का अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 48 मिनट से लेकर 12 बजकर 26 मिनट तक का रहने वाला है।
शारदीय नवरात्रि 2025 पंचमी पर मां स्कंदमाता का स्वरूप
मां दुर्गा का पांचवां स्वरूप मां स्कंदमाता है। मां स्कंदमाता का स्वरूप अत्यंत दिव्य और तेजस्वी है। देवी चार भुजाओं वाली हैं। इनके दो हाथों में कमल पुष्प सुशोभित रहते हैं, एक हाथ में भगवान स्कंद (कार्तिकेय) को गोद में धारण करती हैं और चौथा हाथ भक्तों को वरदान देने की मुद्रा में रहता है।
मां स्कंदमाता का विग्रह अत्यंत शांत और मातृत्व की ममता से भरा हुआ है। इनका आसन कमल का पुष्प है इसलिए इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है।
उनके गोद में विराजमान बाल स्वरूप कार्तिकेय इस बात का प्रतीक हैं कि देवी न केवल ब्रह्मांड की पालनहार हैं, बल्कि वात्सल्य और मातृत्व का साक्षात स्वरूप भी हैं। उनके मुख पर शांति और करुणा की आभा झलकती है, जो भक्तों के मन को तुरंत ही भक्ति और श्रद्धा से भर देती है।
मां स्कंदमाता के स्वरूप में जहां जहां एक ओर ममता और वात्सल्य की झलक है, वहीं दूसरी ओर वे अपने भक्तों की रक्षा करने वाली वीरता से भी परिपूर्ण हैं। जो साधक को नवरात्रि की पंचमी तिथि पर मां स्कंदमाता की पूजा करता है, उसे संतान सुख, पारिवारिक समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का वरदान मिलता है।
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शारदीय नवरात्रि 2025 पंचमी पर मां स्कंदमाता का पूजा मंत्र- भोग- और शुभ रंग
शारदीय नवरात्रि 2025 पंचमी पर मां स्कंदमाता पूजा मंत्र
नवरात्रि की पंचमी तिथि पर मां स्कंदमाता की पूजा करते समय इन मंत्रों का जप करना अत्यंत फलदायी माना जाता है:
ध्यान मंत्र
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥
स्तोत्र मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
पूजा मंत्र
ॐ देवी स्कंदमातायै नमः॥
शारदीय नवरात्रि 2025 पंचमी पर मां स्कंदमाता का प्रिय भोग
मां स्कंदमाता को प्रसन्न करने के लिए उन्हें केले का भोग अर्पित करना सबसे शुभ माना जाता है। इसके अलावा, मां को मिश्री, हलवा और पीले रंग के फलों का भोग भी चढ़ाया जाता है। इस दिन भक्तों को व्रत और पूजा के बाद इस भोग को परिवारजनों और ब्राह्मणों में बांटना चाहिए।
शारदीय नवरात्रि 2025 पंचमी पर शुभ रंग
मां स्कंदमाता को पीला रंग अत्यंत प्रिय है। नवरात्रि की पंचमी तिथि पर पीले वस्त्र धारण करके पूजा करना विशेष रूप से शुभ और फलदायी माना जाता है। पीला रंग ज्ञान, प्रकाश, ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक है।

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शारदीय नवरात्रि 2025 पंचमी की पूजन विधि
- पंचमी के दिन प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- व्रत और पूजा का संकल्प लें और मां स्कंदमाता को याद करते हुए मन को एकाग्र करें।
- एक साफ स्थान पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। उस पर मां स्कंदमाता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- पास में जल से भरा कलश, नारियल और आम के पत्ते रखें।
- दीपक जलाकर पूजा की शुरुआत करें।
- गंगाजल छिड़क कर वातावरण और पूजा स्थल को शुद्ध करें। फिर मां स्कंदमाता का ध्यान करके उनका आवाहन करें।
- मां को पीले या लाल फूल चढ़ाएं। धूप, दीप, अक्षत, रोली और सिंदूर अर्पित करें।
- मां को केले का भोग चढ़ाना सबसे शुभ माना जाता है। इसके अलावा मिश्री या हलवे का प्रसाद भी अर्पित कर सकते हैं।
- पूजा के दौरान निम्न मंत्र का जप करें- ॐ देवी स्कंदमातायै नमः॥ कम से कम 11 या 21 बार इस मंत्र का जप अवश्य करें।
- मां से संतान सुख, परिवार की समृद्धि और जीवन में शांति का आशीर्वाद मांगे।
- पूजा पूरी होने पर भोग को परिवारजनों और ब्राह्मणों में वितरित करें।
शारदीय नवरात्रि 2025 पंचमी की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में दानवों का अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा था। उस समय का सबसे शक्तिशाली और पराक्रमी दानव था, जिसका नाम तरकासुर था। उसने कठोर तपस्या करके भगवान शिव से वरदान प्राप्त किया कि उसे केवल भगवान शिव के पुत्र द्वारा ही मारा जा सकेगा।
इस वरदान के कारण वह अजेय हो गया और देवता भी उससे भयभीत रहने लगे। तरकासुर के आतंक से त्रस्त होकर सभी देवता और ऋषि-मुनि भगवान शिव और देवी पार्वती की शरण में गए। उन्होंने विनती की कि भगवान शिव और मां पार्वती का संयोग हो, ताकि एक ऐसे पुत्र का जन्म हो जो तारकासुर का वध कर सके। भगवान शिव और मां पार्वती के संयोग से कार्तिकेय का जन्म हुआ।
स्कंद अत्यंत तेजस्वी और वीर बालक थे। देवताओं ने उन्हें अपना सेनापति बनाया। उन्होंने कम आयु में ही अपनी अद्भुत शक्ति और वीरता का परिचय दिया और भीषण युद्ध में तरकासुर का वध कर दिया। इसी कारण मां पार्वती को स्कंदमाता कहा जाता है। मां स्कंदमाता अपने पुत्र को गोद में लेकर भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। उनकी यह स्वरूप वात्सल्य, करुणा और मातृत्व की ममता से परिपूर्ण है।
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शारदीय नवरात्रि 2025 पंचमी पर संतान प्राप्ति के लिए राशि अनुसार उपाय
मेष राशि
मां स्कंदमाता को लाल फूल और लाल वस्त्र अर्पित करें। साथ ही, 11 बार ॐ देवी स्कंदमातायै नमः का जाप करें। ऐसा करने से संतान सुख में आ रही बाधाएं दूर होंगे।
वृषभ राशि
वृषभ राशि वाले मां को सफेद फूल और मिश्री का भोग चढ़ाएं। संतान की दीर्घायु और सुख के लिए ॐ स्कन्दजननी नमः मंत्र का जाप करें।
मिथुन राशि
मां को पीले पुष्प और गुड़ का भोग अर्पित करें। साथ ही, ॐ देवी स्कंदमातायै नमः मंत्र का 21 बार जाप करें। ऐसा करने से संतान सुख और शिक्षा में प्रगति होगी।
कर्क राशि
मां स्कंदमाता को दूध और चावल का भोग लगाएं। साथ ही, सफेद पुष्प अर्पित करें और संतान प्राप्ति हेतु प्रार्थना करें।
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सिंह राशि
सिंह राशि वालों को मां को गेंदा या गुलाब के फूल और घी से बनी मिठाई का भोग चढ़ाएं। 11 बार “ॐ स्कन्दजननी नमः मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से संतान सुख जल्द प्राप्त होता है।
कन्या राशि
मां स्कंदमाता को हरे पत्ते, मूंग या हरी सब्ज़ियों का भोग लगाएं। पीले वस्त्र पहनकर पूजा करें। संतान सुख और बुद्धि का आशीर्वाद मिलेगा।
तुला राशि
तुला राशि वालों को मां को गुलाबी फूल और खीर का भोग अर्पित करना चाहिए। संतान सुख की इच्छा से ॐ देवी स्कंदमातायै नमः मंत्र का जाप करें।
वृश्चिक राशि
मां स्कंदमाता को लाल पुष्प और अनार का भोग अर्पित करें। साथ ही, 21 बार इस मंत्र- ॐ देवी स्कंदमातायै नमः का जप अवश्य करें। इससे संतान प्राप्ति में आ रही रुकावटें दूर होंगी।
धनु राशि
मां को पीले फूल और बेसन के लड्डू चढ़ाएं। साथ ही, ॐ स्कन्दजननी नमः मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से संतान सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
मकर राशि
मां को नीले फूल या दूब अर्पित करें। गुड़ और तिल का भोग लगाएं। संतान सुख की प्राप्ति के साथ पारिवारिक स्थिरता मिलती है।
कुंभ राशि
मां स्कंदमाता को सफेद पुष्प और फल अर्पित करें। 11 बार मंत्र जप अवश्य करें। संतान से जुड़ी परेशानियां दूर होंगी।
मीन राशि
मां को पीले फूल और केले का भोग अर्पित करें। संतान प्राप्ति हेतु “ॐ देवी स्कंदमातायै नमः” का जप करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
मां स्कंदमाता को पीला रंग अत्यंत प्रिय है। इस दिन पीले वस्त्र पहनकर पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है।
मां को विशेष रूप से केला प्रिय है। इसके अलावा मिश्री, हलवा या पीले फल अर्पित करना भी शुभ फल देता है।
“ॐ देवी स्कंदमातायै नमः” मंत्र का 11, 21 या 108 बार जाप करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।