शारदीय नवरात्रि 2025 का चौथा दिन देवी दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की आराधना के लिए समर्पित है। मां कूष्मांडा को सृष्टि की आदिशक्ति माना जाता है क्योंकि मान्यता है कि अपनी हल्की सी मुस्कान से उन्होंने ब्रह्मांड की रचना की थी।

इन्हीं के कारण इनका नाम “कूष्मांडा” पड़ा, जिसका अर्थ है, कुम्हड़े से उत्पन्न अंड अर्थात ब्रह्मांड की उत्पत्ति। मां कूष्मांडा की उपासना करने से साधक को अपार तेज, बल, विद्या, बुद्धि और आरोग्य प्राप्त होता है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी होता है, जो धन-समृद्धि की प्राप्ति, मानसिक शांति, पढ़ाई में प्रगति और जीवन में सफलता चाहते हैं।
मां कूष्मांडा अपने भक्तों के जीवन से अंधकार और नकारात्मकता को दूर कर ज्ञान, ऊर्जा और समृद्धि का संचार करती हैं। नवरात्रि की चतुर्थी तिथि पर उनका स्मरण करने और मंत्र जप करने से साधक के सभी दोष दूर होते हैं और परिवार में सुख-शांति का वास होता है।
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इस दिन मां की कृपा से न केवल भौतिक सुख-संपत्ति मिलती है, बल्कि साधक का आत्मबल भी बढ़ता है और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं शारदीय नवरात्र के चौथे दिन की पूजा विधि, महत्व और भी बहुत कुछ।
शारदीय नवरात्रि 2025 : चतुर्थी तिथि की शुरुआत
शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन 24 सितंबर 2025 गुरुवार को पड़ रहा है। इस दिन मां कूष्मांडा की पूजा करने का विधान है। आइए अब जानते हैं मां कूष्मांडा के स्वरूप के बारे में।
नवरात्रि 2025 पर मां का स्वरूप
शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन देवी दुर्गा कूष्मांडा स्वरूप की उपासना के लिए समर्पित होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सम्पूर्ण ब्रह्मांड की उत्पत्ति माता कूष्मांडा की दिव्य मुस्कान से हुई थी।
कूष्मांडा” शब्द का अर्थ माना जाता है, कुम्हड़ा या पेठा, और इसी कारण से इस दिन विशेष रूप से कुम्हड़ा माता को अर्पित किया जाता है। देवी कूष्मांडा अनाहत चक्र की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं और अपनी आठ भुजाओं के कारण अष्टभुजा देवी के नाम से विख्यात हैं।
ज्योतिषीय दृष्टि से मां कूष्मांडा का संबंध बुध ग्रह से जोड़ा गया है। कहा जाता है कि उनका निवास स्थान सूर्य मंडल के भीतर है और इतनी प्रखर आभा में केवल वही देवी स्थिर रह सकती हैं।
उनका शरीर सूर्य के समान तेजस्वी और प्रकाशमान है और उनके तेज से ही दसों दिशाएं आलोकित होती हैं। मां की आठ भुजाओं में कमंडल, धनुष, बाण कमल, अमृत से भरा कलश, चक्र, गदा और जपमाला सुशोभित हैं।
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सिंह उनका वाहन है, जो शक्ति और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है। विश्वास किया जाता है कि श्रद्धा और भक्ति से मां कूष्मांडा की पूजा करने पर जीवन के सभी संकट समाप्त हो जाते हैं। जिनका कुंडली में बुध ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं, उन्हें इसका विशेष लाभ मिलता है।
उनकी कृपा से रोगों का नाश होता है, घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सुख-समृद्धि का आगमन होता है। जिन कन्याओं को मनचाहा वर चाहिए, उन्हें भी माता कूष्मांडा की आराधना करने से सफलता मिलती है।
विवाहित स्त्रियों को मां की उपासना करने पर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मां कूष्मांडा अपने भक्तों को निरोगी शरीर, दीर्घायु, यश, बल, ज्ञान और समृद्धि का वरदान देती हैं। कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति जीवन में प्रसिद्धि, सफलता और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करना चाहता है, उसे नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
शारदीय नवरात्रि 2025: चौथे दिन की व्रत कथा
पौराणिक समय की बात है, जब सृष्टि का निर्माण नहीं हुआ था, तब चारों ओर अंधकार ही अंधकार था। न दिशाओं का अस्तित्व था, न समय का और न ही जीवन का कोई चिन्ह। उस समय केवल एक ही शक्ति थी वह आदिशक्ति है। जब सृष्टि की रचना का समय आया तो मां ने अपनी हल्की सी मुस्कान से एक तेजोमय प्रकाश प्रकट किया।
उसी दिव्य आभा से ब्रह्मांड की रचना हुई और सूर्य, ग्रह-नक्षत्र तथा सम्पूर्ण चराचर जगत अस्तित्व में आया। इसी कारण इन्हें कूष्मांडा कहा गया।
इन्हीं की शक्ति से सूर्य को प्रकाश प्राप्त होता है और पूरे संसार में ऊर्जा का संचार होता है। देवी कूष्मांडा का निवास स्थान भी सूर्य मंडल के भीतर बताया गया है। वहां इतनी प्रचंड आभा में केवल वही देवी विराजमान रह सकती हैं।
मां कूष्मांडा का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और भव्य है। वे अष्टभुजा हैं, जिनके हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल, पुष्प, अमृत कलश, चक्र, गदा और जपमाला शोभित हैं। उनका वाहन सिंह है। मां का यह स्वरूप भक्तों को बल, बुद्धि, विद्या और आरोग्य प्रदान करता है।

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शारदीय नवरात्रि 2025: चौथे दिन की पूजन विधि
- सुबह स्नान करके स्वच्छ पीले या गुलाबी वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें।
- घर के पूजाघर या किसी पवित्र स्थान पर चौकी को लाल, पीले कपड़े से ढ़कें।
- उस पर मां कूष्मांडा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- तांबे या मिट्टी के कलश में जल भरें, उसमें सुपारी, अक्षत, दूर्वा और सिक्का डालें।
- कलश के ऊपर आम्रपल्लव व नारियल रखें। इससे देवी का प्रतीक मानकर पूजन करें।
- दीपक जलाकर मांं कूष्मांडा का ध्यान करें और ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ कुष्माण्डायै नमः मंत्र बोलते हुए मां का आवाहन करें।
- मां को कुम्हड़ा (पेठा) विशेष रूप से अर्पित करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा दूध से बनी मिठाई, खीर, और फल अर्पित करें।
- अंत में मां की आरती करें और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
नवरात्रि 2025 पर पूजा का महत्व
मां कूष्मांडा की पूजा करने वाले भक्तों के जीवन से रोग, शोक और नकारात्मकता दूर होती है। कुंडली में यदि बुध ग्रह पीड़ित हो तो मां कूष्मांडा की साधना विशेष लाभ देती है। विवाहित स्त्रियों को अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है और अविवाहित कन्याओं को मनचाहा वर प्राप्त होता है। श्रद्धापूर्वक पूजा करने पर घर में सुख-समृद्धि और अपार ऊर्जा का वास होता है।
मां कूष्मांडा का पूजा मंत्र, भोग और शुभ रंग
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा में इन मंत्रों का जप विशेष लाभकारी माना जाता है:
बीज मंत्र
ॐ कुष्माण्डायै नमः
दुर्गा मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ कुष्माण्डायै नमः
ध्यान मंत्र
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधानाऽहस्तपद्माभ्यां कुष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
इन मंत्रों के जप से मां कृपा करती हैं और जीवन में ऊर्जा, धन वैभव तथा विद्या की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि 2025 पर प्रिय भोग
मां कूष्मांडा को कुम्हड़ा यानी पेठा अर्पित करना सबसे शुभ माना गया है। इसके अलावा, मालपुआ, खीर, दूध से बनी मिठाई, फल, मधुर पान आदि का भी भोग लगाने से मां प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-समृद्धि का संचार होता है।
नवरात्रि 2025 पर प्रिय रंग
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है और इस दिन का शुभ रंग नारंगी माना जाता है। यह रंग ऊर्जा, उत्साह और सकारात्मकता का प्रतीक है। मां कूष्मांडा का निवास सूर्य लोक में बताया गया है और सूर्य का रंग भी तेजस्वी नारंगी ही होता है इसलिए इस रंग का उनसे गहरा संबंध है।
नारंगी रंग को धारण करने से साधक के भीतर आत्मविश्वास, उमंग और जीवन जीने की प्रेरणा का संचार होता है। यही कारण है कि इस दिन नारंगी वस्त्र पहनना, नारंगी फूल जैसे गेंदा अर्पित करना और पूजा में नारंगी चुनरी या आसन का प्रयोग करना बेहद शुभ माना जाता है।
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नवरात्रि 2025 के चौथे दिन बुध ग्रह को मजबूत करने के उपाय
- इस दिन हरे और नारंगी वस्त्र पहनकर मां कूष्मांडा की पूजा करें।
- मां को हरे व नारंगी फूल अर्पित करें।
- पूजा के समय “ॐ बुं बुधाय नमः” मंत्र का 108 बार जप करें।
- मां कूष्मांडा को पेठा (कुम्हड़ा) और मालपुआ का भोग लगाएं।
- विद्यार्थियों को किताबें, कॉपी-कलम या हरे रंग की वस्तुएं दान करें।
- गाय को हरी घास खिलाएं।
- गरीबों को हरा कपड़ा, हरे मूंग, हरे फल दान करना बेहद शुभ माना जाता है।
- यदि संभव हो तो पन्ना रत्न धारण करें। हालांकि, इसे धारण करने से पहले ज्योतिष की सलाह अवश्य ले लें।
- घर में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी नित्य पूजा करें।
- बुध ग्रह को मजबूत करने के लिए वाणी में मिठास रखें और झूठ बोलने से बचें।
शारदीय नवरात्रि 2025: चौथे दिन राशि अनुसार करें उपाय
मेष राशि
मां कूष्मांडा को लाल और नारंगी फूल अर्पित करें । इसके अलावा, विद्यार्थियों को कॉपी-कलम दान करें।
वृषभ राशि
वृषभ राशि वाले मां को दूध से बनी मिठाई चढ़ाएं। साथ ही, गरीबों को हरे कपड़े या हरे फल दान करें।
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मिथुन राशि
हरे वस्त्र पहनकर मां कूष्मांडा की पूजा करें। मंदिर में मूंग दाल चढ़ाएं और बांटे।
कर्क राशि
कर्क राशि के लोग मां को दूध से बनी खीर का भोग लगाएं। इसके अलावा, किसी जरूरतमंद को सफेद वस्त्र का दान करें।
सिंह राशि
मां को गुड़ और गेहूं से बनी मिठाई अर्पित करें। इसके अलावा, बच्चों को किताबें या पेन बांटें।
कन्या राशि
मां को हरे मूंग और हरे पत्तों की माला चढ़ाएं। साथ ही, गरीब कन्याओं को हरा कपड़ा दान करें।
तुला राशि
तुला राशि वाले मां को इत्र और गुलाब के फूल अर्पित करें और बुजुर्गों को हरा रुमाल या कपड़ा भेंट करें।
वृश्चिक राशि
मां को अनार का भोग लगाएं। साथ ही, मंदिर में लाल-नारंगी वस्त्र अर्पित करें।
धनु राशि
धनु राशि के लोग मां को पीले वस्त्र और फूल अर्पित करें। साथ ही, ब्राह्मण को पीली दाल और हल्दी दान करें।
मकर राशि
मां को तिल और गुड़ का भोग लगाएं। साथ ही, किसी जरूरतमंद को काला कंबल या तिल दान करें।
कुंभ राशि
मां को शहद और फल का भोग लगाएं। पक्षियों को अनाज और पानी खिलाएं।
मीन राशि
मीन राशि वाले मां को मछली के आकार की मिठाई या खीर चढ़ाएं। इसके अलावा किसी ब्राह्मण को पीली मिठाई दान करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है।
‘कूष्मांड’ शब्द का अर्थ है, कू (थोड़ा), उष्मा (ऊर्जा/ताप) और अंड (अंडा/ब्रह्मांड)। यानी थोड़ी-सी ऊर्जा से ब्रह्मांड की रचना करने वाली देवी।
मां कूष्मांडा का संबंध बुध ग्रह से माना जाता है।