मंगल का तुला राशि में गोचर, किन राशियों पर बरपाएगा कहर? जानें 12 राशियों पर प्रभाव!

मंगल का तुला राशि में गोचर, किन राशियों पर बरपाएगा कहर? जानें 12 राशियों पर प्रभाव!

मंगल का तुला राशि में गोचर: एस्ट्रोसेज एआई हमेशा से अपने पिछले लेखों में आपको बताता आया है कि ग्रहों की चाल, दशा और स्थिति में होने वाला हर परिवर्तन मनुष्य जीवन को प्रभावित करता है। इसी क्रम में, वैदिक ज्योतिष में मंगल देव को उग्र ग्रह का दर्जा प्राप्त है जो व्यक्ति के जीवन को गहराई से प्रभावित करने की अपार क्षमता रखते हैं।

शायद ही आप जानते होंगे कि मंगल ग्रह को अनेक नामों जैसे ‘भौम पुत्र”, ‘लोहिता” और “कुजा” आदि नामआह से जाना जाता है। बता दें कि लोहिता का अर्थ लाल रंग होता है। मंगल देव मनोकामना, पराक्रम और जुनून के प्रतीक माने जाते हैं। ऐसे में, मंगल ग्रह का गोचर महत्वपूर्ण हो जाता है जो अब जल्द ही अपनी राशि परिवर्तन करते हुए तुला राशि में गोचर करने जा रहे हैं।

एस्ट्रोसेज एआई का यह विशेष ब्लॉग आपको मंगल का तुला राशि में गोचर के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करेगा।

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ऐसे में, मंगल का तुला राशि में गोचर का असर करियर, व्यापार समेत देश-दुनिया पर नज़र आ सकता है। तुला राशि में मंगल ग्रह का यह गोचर राशि चक्र की कुछ राशियों के लिए सकारात्मक रहेगा जबकि कुछ राशियों को नकारात्मक परिणाम झेलने पड़ सकते हैं।

मंगल गोचर की अवधि में किन राशियों को रहना होगा सावधान और किन राशियों को करियर, प्रेम जीवन से लेकर स्वास्थ्य में मिलेंगे बेहतर परिणाम? आपके मन में उठने वाले इन सभी सवालों के जवाब आपको इस लेख के माध्यम से प्राप्त होंगे।

इसके अलावा, कुंडली में मंगल की स्थिति को मज़बूत करने के लिए किन उपायों को आप अपना सकते हैं, इस बारे में भी हम आपको बताएंगे। तो आइए शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की और जानते हैं मंगल गोचर का समय।

मंगल का तुला राशि में गोचर कब होगा

लाल ग्रह और पराक्रम के ग्रह के नाम से विख्यात मंगल महाराज 13 सितंबर 2025 की रात 08 बजकर 18 मिनट पर तुला राशि में गोचर करने जा रहे हैं। बता दें कि मंगल ग्रह का राशि परिवर्तन हर 45 दिन के बाद होता है यानी कि डेढ़ महीने बाद यह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश कर जाते हैं।

तुला राशि के स्वामी ग्रह शुक्र देव हैं और अब अगले डेढ़ महीने मंगल ग्रह इनकी राशि में विराजमान रहेंगे। सिर्फ इतना ही नहीं, इस राशि में मंगल ग्रह कई बड़े ग्रहों जैसे सूर्य, बुध के साथ युति करेंगे। मंगल और शुक्र ग्रह न तो एक-दूसरे के मित्र हैं और न ही शत्रु, बल्कि यह दोनों ग्रह एक-दूसरे के साथ तटस्थ संबंध रखते हैं।

ऐसे में, मंगल का तुला राशि में गोचर राशियों को मिलेजुले परिणाम दे सकता है। चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं मंगल का तुला राशि में प्रभाव कैसा रहेगा।

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मंगल का तुला राशि में गोचर: ज्योतिष में मंगल का महत्व 

मंगल देव को ज्योतिष शास्त्र में सेनापति का दर्जा प्राप्त है जो मनुष्य जीवन के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों को नियंत्रित करते हैं। मंगल महाराज ऊर्जा, भूमि, साहस, रक्त, पराक्रम, सेना, भाई और युद्ध के कारक माने जाते हैं। राशि चक्र में मंगल दो राशियों के अधिपति देव हैं और ये दो राशियां मेष और वृश्चिक हैं। इस प्रकार, इन्हें राशियों में पहला और आठवां स्थान प्राप्त है। 

बता दें कि मंगल ग्रह मकर राशि में उच्च अवस्था में होते हैं और कर्क राशि इनकी नीच राशि है। वहीं, 27 नक्षत्रों में मंगल देव चित्रा, धनिष्ठा और मृगशिरा नक्षत्र को नियंत्रित करते हैं। ऐसे जातक जिनकी कुंडली में मंगल की स्थिति मज़बूत होती है, वह निडर स्वभाव के, पराक्रमी और साहसी होते हैं।

इसके विपरीत, जिन जातकों की कुंडली में मंगल देव कमज़ोर अवस्था में होते हैं, उन्हें  जीवन में कई तरह-तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आइए जानते हैं अब मंगल ग्रह से जुड़े कुछ रोचक तथ्य।

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मंगल का तुला राशि में गोचर: मंगल ग्रह से जुड़े तथ्य

  • ज्योतिष शास्त्र में मंगल महाराज को सातवीं, चौथी और आठवीं दृष्टि प्राप्त हैं।
  • अगर किसी जातक की कुंडली में मंगल दोष होता है, तो उसको विवाह के साथ-साथ वैवाहिक जीवन में भी तरह-तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 
  • यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल ग्रह पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में मौजूद होते हैं, तो यह स्थिति कुंडली में मांगलिक दोष का निर्माण करती है। 
  • जिन जातकों की कुंडली में मंगल ग्रह लग्न में विराजमान होते हैं, वह तेज़, ऊर्जावान और सुंदर होते हैं। ऐसे व्यक्ति साहसी, निडर, पराक्रमी और जोख़िम उठाने वाले होते हैं। साथ ही, इन लोगों का गुस्से बहुत तेज़ होता है और यह आसानी से किसी के दबाव में नहीं आते हैं इसलिए यह लोग सेना और पुलिस में सफलता हासिल करते हैं। 
  • यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल देव बलवान होते हैं, तो उसके भीतर ऊर्जा और निडरता कूट-कूट कर भरी होती है। ऐसा इंसान अपने भाई-बहनों की सफलता का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
  • मेष राशि में मंगल देव की स्थिति बेहद ताकतवर होती है जो इनकी मूल त्रिकोण राशि भी है। कुंडली में इन्हें तीसरे, छठे और एकादश भाव में मज़बूत माना जाता है। 
  • मंगल ग्रह के गुरु, बुध और चंद्रमा के साथ बैठे होने पर जातक को शुभ फल प्राप्त होते हैं। दूसरी तरफ, सूर्य, राहु और शनि के साथ स्थित होने पर मंगल व्यक्ति को अशुभ परिणाम प्रदान करते हैं।
  • अगर कुंडली में मंगल ग्रह दसवें भाव में सूर्य और राहु के साथ युति करते हैं, तो व्यक्ति को जीवन में कोई पद दिलाने का काम करते हैं। बता दें कि मंगल देव दसवें भाव में बहुत शक्तिशाली होते हैं। 

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मंगल का तुला राशि में गोचर: मंगल दोष का निर्माण 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब किसी व्यक्ति का जन्म होता है, उस समय कुंडली में सभी नौ ग्रह अलग-अलग भावों में विराजमान होते हैं। ऐसे में, कई तरह के शुभ और अशुभ योगों का निर्माण होता है।

कुंडली में बनने वाला ऐसा योग होता है मांगलिक दोष जिसके लिए मंगल ग्रह जिम्मेदार होते हैं। इसे मंगल दोष या मांगलिक दोष के नाम से जाना जाता है। जातक को मंगल दोष की वजह से विवाह से जुड़ी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। चलिए आपको रूबरू करवाते हैं कुंडली में कब और कैसे बनता है मांगलिक दोष। 

कैसे बनता है मांगलिक दोष?

मंगल ग्रह यदि किसी जातक की कुंडली में पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में मौजूद होते हैं, तो इस स्थिति को मांगलिक दोष कहा जाता है। कुंडली में मंगल दोष होने पर जातक को विवाह और वैवाहिक जीवन में समस्याओं से जूझना पड़ता है। बता दें कि ज्योतिष में मंगल दोष को अशुभ माना जाता है। 

यदि लड़का या लड़की की कुंडली में मंगल दोष निर्मित होता है, तो यह विवाह में देरी, जीवनसाथी के साथ तनाव और विवाद का कारण बनता है। यही कारण है कि विवाह के समय कुंडली मिलान के दौरान मांगलिक दोष को अवश्य देखा जाता है, ताकि इनका निवारण किया जा सके और वैवाहिक जीवन खुशहाल बना रहे। बता दें कि मंगल दोष दो प्रकार के होते हैं जो कि इस प्रकार हैं:

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चंद्र मांगलिक दोष

व्यक्ति की जन्म कुंडली में चंद्र मांगलिक दोष उस समय बनता है जब मंगल चंद्रमा से पहले, दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में बैठा होता है। चंद्र मांगलिक दोष जातक के वैवाहिक जीवन में साथी के बीच समस्याओं की वजह बनता है और मतभेदों को जन्म देता है। 

आंशिक मांगलिक दोष

आंशिक मांगलिक दोष, जैसे कि इसके नाम से ही हम समझ सकते हैं कि कुंडली में बनने वाले इस मांगलिक दोष का प्रभाव हल्का होता है। बता दें कि जब मंगल देव कुंडली के पहले, दूसरे, चौथे, सातवें और बारहवें भाव में उपस्थित होते हैं, तो आंशिक मांगलिक दोष का निर्माण होता है।

इस दोष के अंतर्गत जातकों को मांगलिक दोष ज्यादा परेशान नहीं करता है क्योंकि यह आंशिक होता है। लेकिन फिर भी, व्यक्ति कुछ ज्योतिषीय उपायों को अपनाकर आंशिक मांगलिक दोष के प्रभाव को कम कर सकता है। साथ ही, यह दोष 28 वर्ष की आयु में समाप्त हो जाता है। 

मंगल का तुला राशि में गोचर: इन उपायों से करें मंगल दोष को शांत

  • मांगलिक दोष को दूर करने में वट सावित्री और मंगला गौरी व्रत फलदायी माना जाता है। यदि किसी कन्या का विवाह अनजाने में ऐसे इंसान से हो जाता है जो मांगलिक नहीं है, तो वह इन दोनों व्रतों को करके मंगल दोष से राहत प्राप्त कर सकती है। 
  • अगर किसी कन्या की कुंडली में मंगल दोष मौजूद होता है, तो वह विवाह से पूर्व पीपल या घट के वृक्ष से विवाह करके वह मंगल दोष रहित वर से शादी कर सकती है, तब मांगलिक दोष नहीं लगता है।
  • यदि कन्या प्राण प्रतिष्ठित किए हुए विष्णु जी की प्रतिमा से विवाह करने के पश्चात किसी से विवाह करती है, तब भी इस दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
  • मान्यताओं के अनुसार, मांगलिक दोष से मुक्ति के लिए मंगलवार के दिन व्रत रखना और हनुमान जी की सिंदूर से पूजा करना शुभ होता है। साथ ही, सच्चे मन से हनुमान चालीसा का पाठ करने से मांगलिक दोष से राहत मिलती है। 
  • भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना करने से भी मांगलिक दोष से छुटकारा मिलता है।
  • ऐसा कहा जाता है कि महामृत्युंजय मंत्र का जाप सभी बाधाओं का नाश करने वाला मंत्र है। ऐसे में, वैवाहिक जीवन से मांगलिक दोष के नकारात्मक प्रभाव के अंत के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप लाभदायक सिद्ध रहता है।

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मंगल का तुला राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि

मेष राशि वालों के लिए इस समय मंगल ग्रह आपके पहले और आठवें भाव के स्वामी हैं। मंगल…(विस्तार से पढ़ें) 

वृषभ राशि

वृषभ राशि वालों के लिए मंगल सातवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं। मंगल का तुला……(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि

मिथुन राशि वालों के लिए इस समय मंगल ग्रह आपके छठे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। मंगल……(विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

कर्क राशि वालों के लिए मंगल पांचवें और दसवें भाव के स्वामी हैं। मंगल……(विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के लिए मंगल चौथे और नौवें भाव के स्वामी हैं और मंगल……(विस्तार से पढ़ें) 

कन्या राशि

कन्या राशि वालों के लिए मंगल आपके तीसरे और आठवें भाव के स्वामी हैं। मंगल……(विस्तार से पढ़ें)

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तुला राशि

तुला राशि वालों के लिए मंगल दूसरे और सातवें भाव के स्वामी हैं। मंगल……(विस्तार से पढ़ें) 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि वालों के लिए मंगल आपके पहले और छठे भाव के स्वामी हैं। मंगल……(विस्तार से पढ़ें) 

धनु राशि 

धनु राशि वालों के लिए मंगल पांचवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं। मंगल का……(विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि

मकर राशि वालों के लिए मंगल चौथे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। मंगल का……(विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि

कुंभ राशि वालों के लिए मंगल तीसरे और दसवें भाव के……(विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि

मीन राशि वालों के लिए, मंगल दूसरे और नौवें भाव के स्वामी हैं। मंगल का तुला……(विस्तार से पढ़ें)

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मंगल का तुला राशि में गोचर कब होगा?

मंगल देव 13 सितंबर 2025 को शुक्र ग्रह की राशि तुला में प्रवेश कर जाएंगे।

2. मंगल ग्रह का गोचर कितने दिन में होता है?

ज्योतिष के अनुसार, साहस के ग्रह मंगल देव हर राशि में लगभग 45 दिनों तक रहते हैं, उसके बाद राशि परिवर्तन कर लेते हैं।

3. मंगल किस राशि के स्वामी हैं?

राशि चक्र में मंगल देव को मेष और वृश्चिक राशि का स्वामित्व प्राप्त है।