अनंत चतुर्दशी 2025 हिंदू धर्म का एक अत्यंत पावन और शुभ पर्व है, जो भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु के अनंत रूप की आराधना के लिए समर्पित होता है, जो संपूर्ण सृष्टि के पालनकर्ता हैं।
इस दिन अनंत सूत्र बांधकर ईश्वर से जीवन में सुख, शांति और रक्षा की कामना की जाती है। साथ ही, अनंत चतुर्दशी का एक और अत्यंत महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि इसी दिन भगवान गणेश का विधिपूर्वक विसर्जन भी किया जाता है।

दस दिनों तक चले गणेश उत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी पर ही होता है। श्रद्धालु गाजे-बाजे के साथ बप्पा को विदा करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि वे अगले वर्ष फिर जल्द आएं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि भर दें। यह दिन न केवल पूजा-पाठ का, बल्कि जीवन की नकारात्मकता, रोग, मानसिक तनाव और दुर्भाग्य से मुक्ति पाने का एक विशेष अवसर भी होता है।
धर्मग्रंथों के अनुसार, इस दिन कुछ आसान और प्रभावशाली उपाय करने से कई प्रकार के रोग दूर होते हैं, ग्रहों की बाधाएं शांत होती हैं और पितृ दोष तक कम होने लगता है।
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अगर आप लंबे समय से किसी बीमारी, चिंता या जीवन में रुकावट का सामना कर रहे हैं, तो यह दिन आपके लिए संजीवनी से कम नहीं। तो आइए अब बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं अनंत चतुर्दशी 2025 की तिथि, मुहूर्त, कथा व और भी बहुत कुछ।
अनंत चतुर्दशी 2025: तिथि व मुहूर्त
अनंत चतुर्दशी 2025 तिथि: 06 सितंबर 2026, शनिवार
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ: 06 सितंबर 2025 की मध्यरात्रि 03 बजकर 15 मिनट से
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 07 सितंबर 2025 की मध्यरात्रि 01 बजकर 43 मिनट तक
अनंत चतुर्दशी पूजा मुहूर्त : 06 सितंबर की सुबह 06 बजकर 01 मिनट से 07 सितंबर की मध्यरात्रि 01 बजकर 43 मिनट तक।
अवधि :19 घंटे 41 मिनट
प्रातः मुहूर्त (शुभ): सुबह 07:36 से 09:10 सुबह
अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) : दोपहर 12:19 से 05:02 दोपहर
सायाह्न मुहूर्त (लाभ): शाम 06:37 से 08:02 शाम
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर): 07 सितंबर की शाम 09:28 से 01:45 मध्यरात्रि
उषाकाल मुहूर्त (लाभ): 07 सितंबर की सुबह 04:36 से सुबह 06:02
अनंत चतुर्दशी 2025 का महत्व
अनंत चतुर्दशी का नाम ही अपने भीतर एक गहरा आध्यात्मिक संदेश समेटे हुए है, अनंत यानी जो अंतहीन है और चतुर्दशी, यानी माह की 14 वीं तिथि। यह तिथि भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की उपासना का विशेष अवसर मानी जाती है। इस दिन व्रत रखने और अनंत सूत्र यानी एक विशेष धागा बांधने से जीवन में चल रही समस्याओं का अंत और सुख, समृद्धि, आरोग्य और शांति का आरंभ होता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अनंत चतुर्दशी पर व्रत रखने से मनुष्य को पुनर्जन्म के बंधनों से मुक्ति, पापों से छुटकारा और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यह दिन उस अनंत शक्ति की याद दिलाता है, जो सृष्टि का संचालन कर रही है और जिसकी शरण में जाकर मनुष्य अपने जीवन के दुखों से मुक्त हो सकता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और घर में दरिद्रता का वास नहीं होता है। साथ ही, यह दिन गणेशोत्सव का अंतिम दिन भी होता है, जब गणपति बप्पा का भावपूर्ण विसर्जन किया जाता है।
भक्तगण गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ के जयघोष के साथ बप्पा को विदा करते हैं और उनके शीघ्र पुनः आगमन की कामना करते हैं। जो जातक श्रद्धा और नियमपूर्वक अनंत चतुर्दशी का व्रत करते हैं और विष्णु भगवान की पूजा कर अनंत सूत्र को दाहिने हाथ में बांधते हैं, उन्हें जीवन में कभी कमी, बीमारी या बाधा नहीं सताती। यह व्रत पारिवारिक सुख, वैवाहिक जीवन में सामंजस्य और कार्यों में सफलता के लिए भी बहुत फलदायक माना जाता है।
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अनंत चतुर्दशी 2025 के दिन गणेश विसर्जन
अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश उत्सव का समापन होता है और इसी दिन गणेश जी का विसर्जन बड़े धूमधाम से किया जाता है। दस दिनों की पूजा अर्चना के बाद भक्त गणपति बप्पा को विदा करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि वे अगले वर्ष जल्दी आएं। वह विसर्जन न सिर्फ एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह त्याग, समर्पण और नई शुरुआत का प्रतीक भी है।
ऐसा माना जाता है कि गणेश जी हमारे सारे दुख, विघ्न और नकारात्मक ऊर्जा अपने साथ ले जाते हैं और हमें आशीर्वाद देकर जाते हैं।पूर्ण श्रद्धा व आस्था के साथ करें, यही इन उपायों की सबसे बड़ी शक्ति है।
अनंत चतुर्दशी 2025: पूजन विधि
- अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने के लिए साधक को सूर्योदय से पहले उठना चाहिए।
- फिर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। घर के पूजा स्थान को साफ कर लें और गंगाजल छिड़कें। साथ ही, व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद एक चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं। उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें और उस पर नारियल रखें। विष्णु भगवान के सामने दीपक और धूप जलाएं।
- अनंत सूत्र एक 14 गांठों वाला पवित्र धागा होता है, जिसे हल्दी से रंगा जाता है। यह रक्षा सूत्र भगवान विष्णु को अर्पित कर फिर स्वयं बांधा जाता है।
- यह सूत्र पुरुषों को दाहिने हाथ और महिलाओं को बाएं हाथ में बांधा जाता है।
- भगवान विष्णु को पीले फूल, तुलसी दल, चावल, अक्षत, रोली, चंदन आदि अर्पित करें।
- सामर्थ्यानुसार किसी योग्य ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें।
- व्रती अगले दिन पूजा कर व्रत का पारण करें।
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अनंत चतुर्दशी 2025: कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल की बात है। भारत में सुमंत नामक एक ब्राह्मण रहते थे। उनकी पत्नी का नाम दीक्षा, पुत्र का नाम देवकी और पुत्रवधू का नाम सुशीला था। सुशीला अत्यंत धर्मपरायण, संयमी और सदाचार में निपुण स्त्री थी। एक दिन सुमंत अपनी पत्नी दीक्षा के साथ तीर्थ यात्रा पर गए और पुत्र देवकी को उसकी पत्नी सुशीला सहित अपने एक मित्र कौंडिन्य ऋषि के पास छोड़ दिया।
कौंडिन्य आश्रम में रहते थे और वहांं जीवन बहुत सरल और नियमबद्ध था। सुशीला ने आश्रम में रहने वाली कई महिलाओं को अनंत चतुर्दशी का व्रत करते देखा। वे महिलाएं सुंदर वस्त्रों में भगवान विष्णु की पूजा कर रही थीं और फिर अनंत सूत्र भगवान को र्पित करें अपने हाथों में बांध रही थीं। उन्होंने बताया कि यह व्रत करने से सभी दुखों का अंत होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
सुशीला ने श्रद्धापूर्वक वह व्रत किया और अनंत सूत्र को अपने बाएं हाथ में बांधा। देवकी और सुशीला ने कौंडिन्य ऋषि से विदा ली और अपने नगर लौट आए। धीरे-धीरे उनके घर में धन्य-धान्य, सुख-शांति और वैभव बढ़ने लगा। चारों ओर से शुभ समाचार आने लगे। कौंडिन्य को यह सब देखकर आश्चर्य हुआ। उन्होंने अपनी पत्नी से पूछा इतनी समृद्धि का कारण क्या है? सुशीला ने विनम्रता से बताया कि यह सब अनंत चतुर्दशी व्रत और अनंत सूत्र की कृपा से हुआ है।
कौंडिन्य को यह सुनकर क्रोध आ गया। उन्होंने कहा, “यह सब तो अंधविश्वास है! किसी धागे से क्या हो सकता है?” और उन्होंने सुशीला के हाथ से वह अनंत सूत्र जबरन उतारकर आग में जला दिया। इसके बाद धीरे-धीरे उनके जीवन में संकट आने लगे। धन चला गया, घर की शांति भंग हो गई, रोग और कष्टों ने घेर लिया। पश्चाताप और पुनः प्रयत्न कौंडिन्य को अपनी गलती का अहसास हुआ। उन्होंने अनंत भगवान से क्षमा मांगी और अनंत की खोज में जंगल-जंगल भटकने लगे। वह भूखे-प्यासे, थके हुए, तपस्या करते हुए अंत में बेहोश होकर गिर पड़े।
तभी भगवान विष्णु अनंत रूप में प्रकट हुए और बोले हे कौंडिन्य! तुमने मेरे प्रतीक अनंत सूत्र का अपमान किया था, इसलिए तुम्हें यह कष्ट मिला। अब तुम पुनः श्रद्धा से अनंत चतुर्दशी का व्रत करो, अनंत सूत्र बांधो और दूसरों को भी इसकी महिमा बताओ, तब तुम्हारे सारे कष्ट समाप्त हो जाएंगे। कौंडिन्य ने विधिपूर्वक व्रत किया, अनंत सूत्र बांधा और फिर से उनके जीवन में सुख-शांति लौट आई। तभी से अनंत चतुर्दशी व्रत की परंपरा चली आ रही है।
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अनंत चतुर्दशी 2025 के दिन करें ये उपाय
रोग मुक्ति के लिए
स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें और भगवान विष्णु के सामने घी का दीपक जलाकर यह मंत्र 108 बार जाप करें। मंत्र “ॐ अनन्ताय नमः। ऐसा करने से पुराने और जटिल रोगों से राहत मिलती है, शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
अनंत चतुर्दशी 2025 पर दरिद्रता दूर करने का उपाय
इस दिन 14 गांठ वाला पीला या केसरिया धागा हल्दी से रंगकर अनंत सूत्र तैयार करें। पूजा के बाद पुरुष इसे दाहिने हाथ और महिलाएं बाएं हाथ में बांधे। यह सूत्र भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप का प्रतीक है। इसे बांधने से आर्थिक तंगी, दरिद्रता और दुर्भाग्य दूर होता है।
कर्ज से मुक्ति पाने के लिए
तुलसी के पौधे पर प्रतिदिन जल चढ़ाएं, लेकिन अनंत चतुर्दशी के दिन तुलसी पर गंगाजल और कच्चा दूध मिलाकर चढ़ाएं। ऐसा करने से बृहस्पति ग्रह की कृपा मिलती है और कर्ज से राहत मिलती है।
अनंत चतुर्दशी 2025 पर संतान प्राप्ति के लिए
पति-पत्नी एक साथ अनंत चतुर्दशी व्रत करें, भगवान विष्णु को पीले पुष्प अर्पित करें और यह मंत्र जपें। मंत्र ॐ विष्णवे अनन्तरूपाय नमः। ऐसा करने से पारिवारिक क्लेश, वैवाहिक तनाव व संतान संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।
पितृ दोष निवारण के लिए
सूर्योदय के समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जल में काले तिल और कुश डालकर पितरों का तर्पण करें। ऐसा करने से, पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और घर में सुख-शांति आती है।
अनंत चतुर्दशी 2025 पर मनोकामना पूर्ति हेतु
किसी विष्णु मंदिर में जाकर अनंत सूत्र भगवान के चरणों में अर्पित करें और अपनी मनोकामना कहें। इसके परिणामस्वरूप मन की इच्छा को शीघ्र पूर्ण करने वाला माना जाता है।
शत्रु से छुटकारा पाने के लिए
शाम को पीपल के वृक्ष के नीचे एक सरसों के तेल का दीपक जलाएं और सात बार परिक्रमा करें। ऐसा करने से, नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और शत्रु कमज़ोर पड़ते हैं।
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अनंत चतुर्दशी 2025 पर व्यापार में वृद्धि के लिए
अनंत चतुर्दशी के दिन 11 बार श्री सूक्त का पाठ करें और देवी लक्ष्मी व विष्णु भगवान को कमलगट्टे की माला अर्पित करें। ऐसा करने से, धन की वृद्धि होती है, रुका हुआ व्यापार चलने लगता है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
अनंत चतुर्दशी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। यह गणेश चतुर्थी के दसवें दिन आती है और यह गणेश उत्सव का अंतिम दिन होता है।
इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है और रक्षा सूत्र बांधकर अनंत सुख व समृद्धि की कामना की जाती है।
हां, स्त्री-पुरुष, बच्चे, युवा सभी यह व्रत रख सकते हैं।