जानिये कुंडली के वह योग जो व्यक्ति को बनाते हैं एक सफल बिजनेसमैन

बिजनेस शुरू करना आसान है परंतु उसे सफलतापूर्वक चलाने के लिए काफी चीजों की आवश्यकता पड़ती है। हमेशा उसी वस्तु का बिजनेस करना चाहिए जो किसी भी व्यक्ति का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने में समर्थ हो और कोई चाह कर भी जिसकी उपेक्षा न कर सके। इसके अतिरिक्त व्यापार करने के लिए कुछ अन्य चीज़ें जैसे कि क्रिएटिविटी और नेतृत्व क्षमता होना भी आवश्यक है। 

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इसमे कोई शक नहीं है कि क्रिएटिविटी बिजनेसमैन की लाइफ लाइन होती है। काम करने वाले कर्मचारी बहुत मिल जाते हैं लेकिन उनसे काम करवाने के लिए नेतृत्व क्षमता का होना बहुत आवश्यक है। जब आप किसी नए बिजनेस में प्रवेश करते हैं तो उसमें आप कुछ समय बिताते हैं, धैर्य रखते हैं, अनुभव प्राप्त करते हैं। यही एक्सपीरियंस है। अगर आप भी यह जानना चाहते हैं कि आपको कौन से क्षेत्र में व्यापार करना उचित रहेगा जिससे आपको सफलता मिले, तो कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट इसमें आपकी पूर्णता सहायक साबित होती है।

कुंडली का बारहवाँ घर समय की बर्बादी का है, परंतु यदि यह बारहवाँ भाव अनुकूल होता है तो यह एक्सपीरियंस देता है। नेतृत्व की क्षमता हमें कई ग्रह देते हैं इनमें से सूर्य, मंगल और बृहस्पति प्रमुख हैं। इनमें से किसी एक ग्रह की कृपा यदि कुंडली में आपके जन्म लग्न या जन्मराशि पर हो जाए तो किससे कैसे काम लेना है यह आपके लिए बहुत आसान हो जाएगा अर्थात आप में जन्मजात नेतृत्व क्षमता होगी।

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आज हर व्यक्ति चाहता है कि उसका अपना कोई व्यवसाय हो। बेशक वह छोटा हो किन्तु अपने किसी व्यवसाय की बात ही निराली होती है। कई बार हम बहुत चुनौतियों का सामना करते हुए कोई अपना काम शुरू भी कर देते हैं, लेकिन वहां हम सफल होंगे या असफल यह कोई नहीं जानता है। ऐसे में कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट आपके व्यक्तिव के आधार पर आपको इस बात की जानकारी प्रदान करती है कि क्या चयनित व्यवसाय में आपको सफलता मिलेगी, या नहीं।

किन्तु व्यक्ति की जन्मकुंडली को देखकर यह बताया जा सकता है कि क्या आप अपना बिजनेस शुरू कर सकते हैं या वह उत्तम समय कब आयेगा जब आप अपना कोई काम प्रारंभ कर सकते हैं। यदि आप भी कोई बिजनेस करना चाहते हैं तो ज्योतिष आपकी मदद कर सकता है बिजनेस को सफलतापूर्वक चलाने के लिए कौन-कौन से ग्रह सहायक होते हैं, आइये जानते हैं।

बिजनेसमैन योग बनाने की ग्रह स्थिति

एक बिजनेसमैन बनने के लिए ग्रह स्थिति और व्यक्ति की सोच बहुत मायने रखती है। एक व्यक्ति ने 50 साल की उम्र तक नौकरी करने के बाद एक छोटा सा बिजनेस शुरू किया और वह बिजनेस चल रहा है। ऐसा आपने अनेक बार देखा होगा तो जो व्यक्ति नौकरी करता है, ऐसा बिलकुल जरूरी नहीं है कि वह कभी बिजनेस कर ही नहीं सकता। जरूरत और अनुभव जब दोनों मिलते हैं तो बिजनेस में सफलता अपने आप मिलने लगती हैं। 

  • फिर भी एक सफल बिजनेसमैन बनने के लिए बुध ग्रह की कृपा अवश्य होनी चाहिए क्योंकि बुध ग्रह बिजनेस का मूल कारक है, और एक सफल बिज़नेसमैन बनने के लिए बुध ग्रह की कृपा आवश्यक होती है, बुध ग्रह घोड़े को घास से दोस्ती नहीं करने देता।
  • व्यक्ति किस तरह के व्यवसाय में अधिक सफलता प्राप्त करेगा इसका निर्धारण करने के लिए प्रथम, द्वितीय, सप्तम, दशम एवं एकादश भाव में विराजमान ग्रह या इन भावों पर दृष्टि डालने वाले ग्रहों से किया जाता है।
  • जिसकी कुंडली में प्रथम, द्वितीय, सप्तम, नवम, दशम एवं एकादश भाव के स्वामी एवं बुध प्रबल रहतें हैं, ऐसे लोग समान्यतः स्वयं के व्यवसाय में सफल होते हैं।

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  • जन्म कुंडली में कर्म (कार्य) का स्थान दसवां घर होता है। अगर किसी व्यक्ति का कर्म स्थान अच्छा है तो उस व्यक्ति का व्यवसाय अच्छा चलने की संभावना ज्यादा रहती हैं। 

कुंडली में मौजूद यह योग बनाते हैं सफल बिजनेसमैन

आइये एक नजर डालते हैं कुंडली के उन योगों पर जो व्यक्ति के व्यवसाय को सफल बनाने में मदद करते हैं।

  • अगर कुंडली के कर्म स्थान में ब्रहस्पति बैठा हो (जो भाग्य का मालिक होता है) तो यह केंद्रादित्य योग बनता है। यदि किसी जातक की कुंडली में यह योग होता है तो उस व्यक्ति का व्यवसाय अन्य जातकों की तुलना में अच्छा चलता है।
  • अगर कर्म स्थान पर बुध या सूर्य की दृष्टी हो या इन ग्रहों में से कोई ग्रह कर्म के स्थान (दसवें भाव) में विराजमान हो तो यह लक्ष्मी नारायण योग बनता है। इस प्रकार के जातकों को व्यवसाय में लाभ प्राप्त होने के अवसर ज्यादा प्राप्त होते हैं।
  • जातक की जन्म कुंडली में अगर मंगल उच्च का होकर कर्म भाव में विराजमान है तो ऐसे व्यक्ति को व्यवसाय और विदेश यात्रा के अच्छे संयोग बन जाते हैं।
  • कुंडली के केंद्र में अगर कहीं भी गुरू और सूर्य या चंद्रमा और गुरु की युक्ति (मेल-मिलाप) बन रहा हो तो इस योग का सीधा प्रवाह कर्म को जाता है। शास्त्रों में इसे वर्गोतम योग बोला जाता है। इस योग में व्यक्ति को सभी प्रकार की सुख-सुविधायें प्राप्त होती हैं।
  • सप्तम दृष्टी सभी ग्रहों की होती है। ब्रहस्पति, सूर्य या मंगल इन शुभ ग्रहों में से किसी की भी दृष्टी अगर दसवें घर पर हो तब भी कर्म भाव में अच्छा फल व्यक्ति को प्राप्त होता रहता है।
  • राहु भी अगर कर्मभाव की तरफ देखता है या कर्म भाव में उच्च का होकर विराजमान हो तो यह भी योग व्यवसाय के लिए अच्छा माना जाता है। बेशक शनि, राहू और केतु अशुभ ग्रह माने जाते हैं किन्तु कई बार योग के कारण यह ग्रह अच्छे फल प्रदान कर देते हैं।

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