यंत्र ज्योतिषीय महत्व, स्थापना विधि एवं मंत्र

Shri Dhan Varsha Yantra – श्री धन वर्षा यंत्र

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक श्री धन वर्षा यंत्र से जीवन में आ रही धन से संबंधी हर प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं। इस यंत्र को घर या ऑफिर में स्थापित करने से माँ लक्ष्मी और कुबेर देव की कृपा आपके ऊपर बरसती है। जो जातक इस यंत्र की नित्य साधना करते हैं वो जीवन की कई परेशानियों को आसानी से पार कर जाते हैं। धन वर्षा यंत्र को मुख्य रूप से माता लक्ष्मी और कुबेर देव का प्रतीक माना जाता है। जिस प्रकार प्रत्येक यंत्र में दैवीय शक्तियां समाहित होती हैं इसी तरह श्री धन वर्षा यंत्र में भी यह गुण मौजूद होते हैं जिनकी मदद से आप खुद में भी सकारात्मक ऊर्जा महसूस करते हैं।

धन वर्षा यंत्र को स्थापित करने की विधि:

  • धन वर्षा यंत्र को स्थापित करने से पूर्व स्नान अवश्य करें और इसके पश्चात यंत्र पर भी गंगाजल या शुद्ध जल के छींटे मारें।
  • माँ लक्ष्मी और कुबेर देव की फोटो के सामने दीप जलाकर “ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • धन वर्षा यंत्र को पूजा स्थल, प्रवेश द्वार या जहाँ आप धन रखते हैं वहां स्थापित करें।
  • उत्तर अथवा पूर्व दिशा में इस यंत्र की स्थापना करें।
  • इस यंत्र की स्थापना सप्ताह के पांचवें दिन यानि शुक्रवार को करें।
  • इसकी स्थापना आप भरणी, पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में भी कर सकते हैं।

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Navgrah Yantra – नवग्रह यंत्र

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवग्रह यंत्र सभी नौ ग्रहों की कृपा के लिए स्थापित किया जाता है। इस यंत्र को नवग्रह शांति यंत्र के नाम से भी जाना जाता है। इस यंत्र की सहायता से एक साथ सारे ग्रहों का पूजन विधिवत कर उन्हें शान्त कर सकते हैं जिससे आपको सभी ग्रहों का अच्छा फल मिलना शुरू हो जाता है और जीवन की कई परेशानियाँ भी दूर हो जाती हैं। प्रतिदिन धूप-दीप जलाकर यंत्र की पूजा की जाए तो इसका प्रभाव अधिक दिखता है। नवरात्रों के दौरान इस यंत्र की स्थापना करना बहुत शुभ माना जाता है।

नवग्रह यंत्र को स्थापित करने की विधि:

    • केवल पूजा स्थल में ही इस यंत्र की स्थापना करें।
    • ध्यान रहे यंत्र का मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर हो।
    • यंत्र को दूध, फूल, पंच द्रव्य और  गंगाजल से शुद्ध करें।
    • दीप या धूप से यंत्र की पूजा करें और इसके बाद नौ ग्रहों के मन्त्रों का जाप करें। या ‘ॐ ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी, भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च, गुरुश्च शुक्रः शनिराहु केतवः, सर्वे ग्रहा शान्तिकरा भवन्तु’ मंत्र का 108 बार उच्चारण करें।
    • इस यंत्र की स्थापना नवरात्रों अथवा किसी भी दिन ब्रह्म मुहूर्त में करें।

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Saraswati Yantra – सरस्वती यंत्र

ज्योतिष शास्त्र की मानें तो सरस्वती यंत्र को स्थापित करने से इंसान को कई फायदे होते हैं। खासकर शिक्षा के क्षेत्र में जो लोग अच्छा करना चाहते हैं उनके लिए यह यंत्र बहुत उपयोगी सिद्ध होता है। सरस्वती यंत्र को विद्या की देवी माँ सरस्वती का प्रतीक माना जाता है। इसी लिए इस यंत्र को धारण करने से बौद्धिक शक्ति का विकास होता है और साथ ही एकाग्रता और रचनात्मकता भी बढ़ती है। जो लोग मानसिक रूप से परेशान हैं या किसी मानसिक रोग से जूझ रहे हैं उनके लिए भी यह यंत्र कारगर साबित होता है। यंत्र की स्थापना के बाद जो सच्चे मन से इसकी पूजा करता है उसे अच्छे फल अवश्य मिलते हैं।

सरस्वती यंत्र को स्थापित करने की विधि:

  • इस यंत्र को स्थापित करने से पहले पूजा स्थल की शुद्धि कर लें।
  • घर के मंदिर या पवित्र स्थल में इस यंत्र को देवी देवताओं के साथ स्थापित किया जाना चाहिए।
  • यंत्र की स्थापना उत्तर पूर्व दिशा की ओर करें।
  • स्थापना के बाद ‘ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः’ मंत्र का जाप 108 बार करें।
  • सरस्वती यंत्र की स्थापना वसंत पंचमी या बुधवार के दिन अथवा ज्येष्ठा या रेवती नक्षत्र के दौरान ही करें।

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Kuber Yantra – कुबेर यंत्र

भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुबेर यंत्र की स्थापना से घर में धन की कमी कभी नहीं होती। यह यंत्र धन के देवता कुबेर से संबंधित है और सिर्फ धन ही नहीं बुद्धि और शुभता के लिए भी घर में इसकी स्थापना की जाती है। कुबेर देव को धन का देवता माना जाता है लेकिन इसके साथ ही बुद्धिमता के लिए भी उनकी पूजा की जाती है। अगर आप सच्चे मन से कुबेर यंत्र की पूजा करते हैं तो आपको आर्थिक समस्या कभी नहीं आ सकती और इससे व्यापार की नई संभावनाएं भी खुलती हैं।

कुबेर यंत्र को स्थापित करने की विधि:

  • कुबेर यंत्र को पूजा स्थल पर माँ लक्ष्मी और गणेश जी के साथ स्थापित करें।
  • स्थापना से पूर्व दूध, फूल और गंगाजल से यंत्र को शुद्ध करना चाहिए।
  • इसकी स्थापना आप उत्तर दिशा में स्थित प्रवेश द्वार के पास दक्षिण मुख की ओर भी कर सकते हैं।
  • स्थापना के बाद ‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः’ मंत्र का जाप करें।
  • कुबेर यंत्र की स्थापना शुक्रवार के दिन अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग में अथवा दीवाली के दिन करें।

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Mahalaxmi Yantra – महालक्ष्मी यंत्र

ज्योतिष शास्त्र में माँ लक्ष्मी की पूजा को बहुत महत्व दिया गया है। माँ लक्ष्मी को भौतिक सुखों को प्रदान करने वाली देवी माना जाता है। धार्मिक मतों के अनुसार महालक्ष्मी यंत्र को घर में स्थापित करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसकी स्थापना करने से धन-धान्य की आवाजाही घर में बनी रहती है। सिर्फ इतना ही नहीं महालक्ष्मी यंत्र की स्थापना कर आप आध्यात्मिक ज्ञान भी प्राप्त कर सकते है। माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए ही महालक्ष्मी यंत्र की स्थापना और पूजा की जाती है।

महालक्ष्मी यंत्र स्थापित करने की विधि:

  • महालक्ष्मी यंत्र की स्थापना से पूर्व पूजा स्थल को साफ़ कर, यंत्र को दूध और गंगाजल से शुद्ध करें।
  • दिया, धूप इत्यादि जलाकर यंत्र की पूजा करें।
  • यंत्र को मंदिर के पास उत्तर अथवा पूर्व की दिशा की ओर स्थापित करें।
  • स्थापना के बाद ‘ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • महालक्ष्मी यंत्र को किसी भी दिन स्थापित किया जा सकता है लेकिन कार्तिक अमावस्या के दिन इसे स्थापित करना सबसे अच्छा माना जाता है।

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Hanuman Yantra – हनुमान यंत्र

ज्योतिष शास्त्र में भगवान हुनमान जी को मुख्य स्थान प्राप्त है। हनुमान जी का आशीर्वाद पाने के लिए हनुमान यंत्र को घर में स्थापित किया जाता है। साथ ही हनुमान जी के इस यंत्र से आपके कई संकट दूर होते हैं और आपको अच्छे फल प्राप्त होते हैं। हनुमान यंत्र आपके जीवन से मंगल और शनि ग्रह के बुरे प्रभावों को भी दूर करता है। इससे आपके शत्रु पक्ष भी आप पर कोई प्रभाव नहीं डाल पाते। इसी लिए अगर आप हनुमान जी का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो इस यंत्र को घर में अवश्य स्थापित करें।

हनुमान यंत्र को स्थापित करने की विधि:

  • हनुमान यंत्र को स्थापित करने से पहले खुद को स्वच्छ कर, अपने पूजा स्थल को भी स्वच्छ करें।
  • इसके बाद धूप, दीप जलाकर यंत्र की पूजा करें।
  • हनुमान यंत्र को घर के देवताओं के साथ उत्तर एवं पूर्व की दिशा में स्थापित करें।
  • यंत्र स्थापना के बाद ‘ॐ हं हनुमते नमः’ मन्त्र का 108 बार जाप करें।
  • इसकी स्थापना के लिए मंगल या शनि का होरा सबसे शुभ होता है।

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Shani Shubh Yantra – शनि शुभ यंत्र

ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह को आयु, दुख, रोग, सेवक, कर्मचारी, विज्ञान, तकनीक, लोहा आदि का कारक माना गया है। अगर किसी जातक की कुंडली में शनि ग्रह पीड़ित या दुर्बल हो तो उस जातक को जीवन में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में शनि शुभ यंत्र को स्थापित कर शनि दोषों से बचा जा सकता है। यह यंत्र कुंडली में शनि से संबंधित हर प्रकार के दोषों को दूर करता है और शनि को बलवान बनाता है। साथ ही इसकी स्थापना से भगवान भैरव और शनि देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जिससे जातकों को शुभ परिणाम मिलते हैं। मुख्य रूप से शनि यंत्र जन्म कुंडली में स्थित शनि की साढ़े साती और शनि ढैय्या के बुरे प्रभावों को समाप्त करता है। हालाँकि इसके परिणामों को पाने के लिए पहले इसे विधि विधान से स्थापित करना पड़ता है। इसके पश्चात आपको इससे करियर/नौकरी तथा अन्य क्षेत्र में सफल परिणाम प्राप्त होते हैं। यह यंत्र जातक को दुर्घटना और मानसिक तनाव से भी बचाता है।

शनि शुभ यंत्र को स्थापित करने की विधि:

  • शनि यंत्र को गंगाजल अथवा कच्चे दूध से शुद्ध करें।
  • भगवान भैरव को काले तिल, धूप-दीप, अगरबत्ती अर्पित करते हुए शनि मन्त्र “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः” का 108 बार जाप करना चाहिए।
  • इसके पश्चात शनिवार को सूर्यास्त के बाद अथवा पुष्य, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में शनि यंत्र को स्थापित करें।
  • इसे पश्चिम दिशा में स्थापित करें।

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Shree Yantra – श्री यंत्र

श्री यंत्र एक चमत्कारिक और शक्तिशाली यंत्र है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार श्री यंत्र का संबंध विशेष रूप से माँ लक्ष्मी जी से है, लेकिन इसमें सभी देवी-देवताओं की शक्तियां समाहित होती हैं। श्री यंत्र भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार के सुखों में वृद्धि करता है। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार श्री यंत्र के सामने श्री सूक्त का पाठ करने से बौद्धिक शक्ति, धन, आरोग्य जीवन आदि प्राप्त होता है। इसी लिए इस यंत्र को स्थापित करके इसकी सच्चे मन से पूजा करने से कई सारे सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं। यह यंत्र मन की एकाग्रता बढ़ाने में बहुत सहायक है। साथ ही इस यंत्र से निकलने वाली दैवीय ऊर्जा बुद्धि को शुद्ध और तेज करती है। इसलिए छात्रों के लिए यह बहुत ही उपयोगी और कारगर है।

श्री यंत्र को स्थापित करने की विधि:

  • प्रात: काल स्नान के बाद श्री यंत्र को लाल कपड़े पर रखें।
  • श्री यंत्र को पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल) से स्नान कराएँ।
  • इसके बाद लाल चंदन, लाल फूल, अबीर, रोली और अक्षत चढ़ाकर पूजन करें।
  • इसके पश्चात श्री यंत्र पर लाल चुनरी चढ़ाएं तथा धूप-दीप से आरती उतारें और “महालक्ष्म्यै नम:” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • श्री यंत्र को घर की पूर्व दिशा में रखें।
  • श्री यंत्र को सबसे श्रेष्ठ ब्रह्म मुहूर्त में अथवा दीपावली, शिवरात्रि या अक्षय तृतीया में स्थापित करें।

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Santan Gopal Yantra – श्री संतान गोपाल यंत्र

श्री संतान गोपाल यंत्र से निःसंतान दंपत्ति को संतान प्राप्ति होती है। यह यंत्र बाल गोपाल श्री कृष्ण भगवान से संबंधित है। इसलिए निःसंतान दंपत्तियों को इस यंत्र के साथ बाल-गोपाल की प्रतिमा की भी आराधना करनी चाहिए। इस यंत्र की पूजा के दौरान दुर्वा (घास) के साथ दही-मक्खन भगवान विष्णु जी को अर्पित कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है। इससे संतान प्राप्ति की कामना पूर्ण होती है। इसे ज्योतिष शास्त्र में भी संतान सुख पाने का सबसे अचूक उपाय बताया गया है। वहीं धार्मिक मान्यता के अनुसार जो दंपत्ति इस यंत्र की पूजा करती है उसे भगवान श्री कृष्ण के समान योग्य और मनमोहक संतान की प्राप्ति होती है।

श्री संतान गोपाल को स्थापित करने की विधि:

  • यंत्र को गंगाजल अथवा कच्चे दूध से शुद्ध करें।
  • अब इस यंत्र को घर के मंदिर में स्थापित करें।
  • यंत्र के साथ भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की भी विधिवत पूजा करें।
  • इस विधि को करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा को धूप-दीप अर्पित कर ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते। देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः’ मन्त्र का 108 बार जाप करें।  
  • इसे बुधवार के दिन या भाद्र पक्ष की कृष्णाष्टमी अथवा जन्माष्टमी के दिन स्थापित करें।

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Sarv Karya Siddhi Yantra – श्री सर्व कार्य सिद्धि यंत्र

सर्व कार्य सिद्धि यंत्र बहुत ही चमत्कारी यंत्र है। अपने नाम के अनुरूप यह व्यक्ति के सभी कार्यों को सिद्ध करता है। इस यंत्र में आपकी सभी समस्याओं का निदान है। साथ ही जो जातक सच्चे मन से विधि अनुसार इस यंत्र की पूजा आराधना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। यह आर्थिक, व्यापार, प्रोफेशन, करियर, पारिवारिक, निजी, वैवाहिक, प्रेम, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि सभी क्षेत्रों में व्यक्ति को सफलता प्रदान करता है। इसके अलावा यह यंत्र शारीरिक और मानसिक रूप से भी बलवान बनाता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति के अंदर नकारात्मक विचार नहीं आते हैं। इस यंत्र को विधि अनुसार घर, ऑफिस तथा अपने व्यापारिक अनुष्ठान में स्थापित किया जा सकता है।

श्री सर्व कार्य सिद्धि यंत्र को स्थापित करने की विधि:

  • यंत्र को सबसे पहले गंगाजल अथवा कच्चे दूध से शुद्ध करें।
  • यंत्र को चंदन भेंट करें और मंत्रों सहित विधिवत इसकी आराधना करें।
  • इस विधि के बाद अब इस यंत्र को स्थापित करें।
  • श्री सर्व कार्य सिद्धि मंत्र –

शिवः शक्तया युक्तों यदि भवति शक्तः प्रभवितुः।
न चेदेवं देवो न खलु कुशलः स्पन्दि तुमपि।
अवत्स्त्वा मारध्यम हरिहरविरमचादि भिरपि।
प्रणन्तुम स्त्रोतुमवा कथमकृत पुण्यः प्रभवित।

  • गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र में सर्व कार्य सिद्धि यंत्र को स्थापित करें।

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Kaal Sarp Yantra – काल सर्प यंत्र

काल सर्प दोष से मुक्ति और मंगल फल प्राप्ति के लिए काल सर्प यंत्र की स्थापना करना बेहद शुभ एवं फलदायी होता है। इस यंत्र की स्थापना घर और ऑफिस में करने के अलावा आप इसे अपने पर्स में भी रख सकते हैं। शुभ ग्रह नक्षत्रों के दौरान  किसी अनुभवी पंडित या फिर ज्योतिषाचार्य से इसकी स्थापना करवाना बेहद महत्व रखता है। इसकी स्थापना करने से पूर्व इस बात का विशेष ध्यान रखें कि काल सर्प यंत्र में किसी प्रकार की कोई कमी ना हो और इसे विधि पूर्वक बनाया गया हो। काल सर्प यंत्र, काल सर्प दोष के सभी हानिकारक प्रभावों को दूर कर जीवन में खुशहाली लाता है। भगवान शिव को काल सर्प यंत्र का दैवीय प्रतीक माना जाता है। इसी लिए इस यंत्र को स्थापित कर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।

काल सर्प यंत्र को स्थापित करने की विधि:

  • इसकी स्थापना शयन कक्ष या घर में बने मंदिर में पूर्व दिशा में करें।
  • काल सर्प की स्थापना शनिवार के दिन सूर्यास्त के बाद लेकिन अर्ध रात्रि से पहले करें।
  • इसे स्थापित करने से पहले यंत्र को कच्चे दूध या फिर गंगाजल से शुद्ध करें।
  • फिर स्नान ध्यान के बाद काल सर्प दोष निवारक बीज मन्त्रों का उच्चारण करते हुए  इसकी स्थापना करें।
  • प्रतिदिन इसकी पूजा अर्चना करें और दूध एवं फूल अर्पित करें।
  • इसे आप अपने पर्स में रख सकते हैं अथवा गले में भी पहन सकते हैं।

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