सावन के इस महीने में शिव से जुड़े तीर्थ स्थलों पर शिव भक्तों की धूम मची है। इन दिनों भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद पाने के लिए शिव भक्त काँवड़ यात्रा और सावन सोमवार का व्रत रख रहे हैं। ऐसे ही आज हम आपको शिवजी से जुड़ी एक ख़ास बात को बताने जा रहे हैं। दरअसल, आपने देखा होगा कि शिव जी को भांग और धतूरा बेहद प्रिय है। इसलिए शिव पूजा के दौरान उन्हें भांग और धतूरा चढ़ाया जाता है। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि शिव को भांग और धतूरा चढ़ाने के पीछे का कारण क्या है। चलिए आज हम आपको इस बारे में बताते हैं।
हालाहल विष के प्रभाव को मिटाने के लिए देवताओं ने शिव जी के सिर पर रखा था भांग-धूतरा
शिव पुराण के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि मंथन से जो हालाहल विष निकला था। उस विष को भगवान शिव ने पीकर सृष्टि को बचाया था। लेकिन विष का प्रभाव शिव के ऊपर चढ़ते ही जा रहा था। शिव अचेतन अवस्था में पहुँच गए थे। ऐसे में देवताओं ने उस विष के प्रभाव को कम करने के लिए शिव जी के सिर पर भांग और धतूरा रखा था। जिसके बाद उनके ऊपर चढ़े विष का प्रभाव कम हो गया।
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वहीं दूसरी ओर, ये भी कहा जाता है कि भगवान शिव सन्यासी हैं और उनकी जीवन शैली भी भिन्न है। वे पहाड़ों पर रह कर समाधि लगाते हैं और वहीं पर ही निवास करते हैं। पहाड़ों में होने वाली बर्फबारी से वहां का वातावरण अधिकांश समय बहुत ठंडा होता है। गांजा, धतूरा, भांग जैसी चीजें नशे के साथ ही शरीर को गरमी भी प्रदान करती हैं। जो वहां सन्यासियों को जीवन गुजारने में मददगार होती है।
भांग-धतूरे में हैं औषिधीय गुण
अगर थोड़ी मात्रा में ली जाए तो यह औषधि का काम भी करती है, इससे अनिद्रा, भूख आदि कम लगना जैसी समस्याएं भी मिटाई जा सकती हैं लेकिन अधिक मात्रा में लेने या नियमित सेवन करने पर यह शरीर को, खासतौर पर आंतों को काफी प्रभावित करती हैं।
इसकी गर्म तासीर और औषधिय गुणों के कारण ही इसे शिव से जोड़ा गया है। भांग-धतूरे और गांजा जैसी चीजों को शिव से जोडऩे का एक और दार्शनिक कारण भी है। ये चीजें त्याज्य श्रेणी में आती हैं, शिव का यह संदेश है कि मैं उनके साथ भी हूं जो सभ्य समाजों द्वारा त्याग दिए जाते हैं। जो मुझे समर्पित हो जाता है, मैं उसका हो जाता हूं।