जानिए आखिर क्यों किया भगवान शिव ने नाग देवता को अपने गले में धारण।

नाग देवता को पौराणिक काल से ही हिन्दू धर्म में बेहद पूजनीय जीव माना जाता रहा है। शायद इसलिए ही नागो को पूजने के लिए नाग पंचमी पर्व मनाया जाता है। सनातन धर्म में नागों की महत्वता का अंदाज़ा इसी बात से लगे जा सकता है कि त्रिदेवों में से जहाँ भगवान विष्णु की शैय्या पर नाग देवता का वास होता है तो वहीं देवों के देव महादेव अपने गहने के तौर पर विषैले नाग को अपने गले में धारण करे रखते हैं। ऐसे में आज हम आपको भगवान शिव शंकर से जुड़ी एक खास बात बताने जा रहे हैं। ये ख़ास बात भोलेनाथ के गले में लिपटे नाग देवता से जुड़ी है। जी हाँ, कई बार आपको यह लगता होगा कि भगवान शिव अपने गले में नाग की माला क्यों पहनते हैं? ये नाग कौन है और इसके पीछे का कारण क्या है। तो चलिए इस ख़बर के माध्यम से हम इस बारे में जानते हैं। 

भगवान शिव देवों के देव महादेव हैं। शिव सृष्टि के संहारक हैं। यूँ तो भगवान महादेव भोले बाबा हैं लेकिन जब उनका तीसरा नेत्र खुल जाए तो वे अपने क्रोध से सृष्टि को नष्ट कर सकते हैं। शंकर जी का स्वरूप ब्रह्मा और विष्णु जी के अलावा अन्य देवताओं से भिन्न है। हाथ में त्रिशूल और उसमें डमरू, जटा में गंगा, माथे पर चंद्र और गले में लिपटा साँप तथा शरीर में भस्म लपेट हुए ये भगवान भोलेनाथ का स्वरूप है।

पढ़ें: शिव चालीसा सनातन हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार। 

वासुकी नाग की आराधना से प्रसन्न हुए थे महादेव

धार्मिक मान्यता के अनुसार जो नाग उनके गले में लिपटा है उसका नाम वासुकी है। ऐसा कहा जाता है कि सापों की नाग प्रजातियों में वासुकी ने ही सर्वप्रथम भोलेनाथ की पूजा आरंभ की थी। अपने प्रति वासुकी की आराधना से प्रसन्न होकर शिव जी ने उन्हें नाग लोक का राजा बना दिया था और अपने गले में उन्हें धारण कर लिया था।

वासुकी ने ही शिव के गले में हालाहल विष रोका था 

शिव पुराण के अनुसार, मंथन के समय देवों और असुरों ने वासुकी नाग को ही रस्सी बनाकर समुद्र मंथन किया था। इस मंथन से निकले हालाहल विष को शिव जी ने अपने गले में उतार लिया था। किंतु अगर वह विष शिव के गले से नीचे उतर जाता तो शिव जी की मृत्यु भी हो सकती थी। लेकिन वासुकी शिव जी के गले में लिपट गए और उस विष को उनके गले से नीचे नहीं उतरने दिया।

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कौन हैं वासुकी?

पौराणिक मान्यता के अनुसार, ऐसा कहते हैं कि अगर किसी व्यक्ति को नाग दिख जाए तो ऐसा यह समझा जाता है कि उस व्यक्ति को साक्षात शिव के दर्शन हो गए हैं। शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि सभी नागों की उत्पत्ति ऋषि कश्यप की पत्नि कद्रू के गर्भ से हुई थी। उन्होंने हज़ारों पुत्रों को जन्म दिया था जिनमें अनंत, वासुकी, तक्षक, कर्कोटक, पद्म, महापद्म, शंख, पिंघला और कुलिक प्रमुख थे।

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