विविधताओं का देश भारत जहां विभिन्न भागों में विभिन्न त्योहार मनाए जाते हैं, कभी यहां दिवाली की रौनक होती है, तो कभी दशहरे की धूम होती है, तो कभी गणेश चतुर्थी का उत्साह होता है तो कभी होली के रंगों में लोग रंगे नजर आते हैं। ये कुछ ऐसे त्यौहार है जो भारत की अधिकांश आबादी द्वारा व्यापक रूप से मनाए जाते हैं। इसके अलावा भी कुछ ऐसे त्योहार होते हैं जिन्हें खास समूह के लोगों द्वारा मनाया जाता है। हालांकि इनका महत्व बहुत होता है। ऐसा ही एक त्यौहार है वृश्चिक संक्रांति।
वृश्चिक संक्रांति का यह त्योहार यूँ तो बहुत लोग मनाते हैं लेकिन आज भी बहुत से ऐसे लोग भी हैं जिन्हें इस त्यौहार के महत्व, अनुष्ठान, इत्यादि के बारे में पता ही नहीं है। ऐसे में एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से हम आपको वृश्चिक संक्रांति से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों की जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
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वृश्चिक संक्रांति हिंदू समुदाय में एक बेहद ही शुभ दिन माना जाता है। यह वह दिन होता है जब सूर्य तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश कर जाता है। इस त्यौहार को बहुत सी जगहों पर वृश्चिक संक्रमणम नाम से भी जाना जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर और वैदिक भारतीय कैलेंडर के अनुसार वृश्चिक राशि राशियों की तालिका में आठवें स्थान पर आती है। 1 साल में कुल 12 संक्रांति दिवस मनाया जाते हैं। वृश्चिक संक्रांति के दिन हिंदू कैलेंडर के अनुसार एक नए महीने की शुरुआत मानी जाती है।
साल में पड़ने वाली इन सभी 12 संक्रांति तिथियों का अपना अलग महत्व होता है। इन सभी संक्रांति तिथियों के दिन दान देना, पितरों के लिए अनुष्ठान करना, बेहद ही उपयुक्त माना जाता है। सभी संक्रांति में से वृश्चिक संक्रांति को सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है। आइए अब जानते हैं इस पवित्र पर्व का महत्व और खासियत क्या होती है।
वृश्चिक संक्रांति 2021: तिथि महत्व और खासियत
इस वर्ष वृश्चिक संक्रांति 16 नवंबर 2021 मंगलवार के दिन पड़ रही है। यह दिन धार्मिक लोगों, छात्रों, वित्तीय कर्मियों, और शिक्षकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो कोई भी व्यक्ति वृश्चिक संक्रांति की नियम पूर्वक पूजा अनुष्ठान और उपाय ठीक ढंग से करता है उनके जीवन से धन से संबंधित समस्याओं से छुटकारा मिलता है और विद्यार्थियों को परीक्षा और करियर में शुभ परिणाम हासिल होते हैं।
वृश्चिक संक्रांति का यह दिन दान और पुण्य करने के लिए भी बेहद शुभ माना जाता है। यही वजह है कि बहुत से लोग पुण्य प्राप्त करने के लिए इस दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों को अलग-अलग वस्तुओं का दान करते हैं। इसके अलावा इस दिन ब्राह्मणों को गायों का दान करना भी बेहद शुभ होता है। इसके अलावा वृश्चिक संक्रांति पर स्नान करने का भी बड़ा महत्व बताया गया है।
इतना ही नहीं, वृश्चिक संक्रांति के दिन श्राद्ध और पितृ तर्पण करना भी बेहद उपयुक्त होता है।
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वृश्चिक संक्रांति की सही पूजन विधि
- इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर भगवान सूर्य की पूजा करें।
- सूर्य को जल अर्पित करते समय जल में थोड़ा लाल चंदन अवश्य शामिल करें और तांबे के बर्तन में ही सूर्य देव को जल अर्पित करें।
- इसके अलावा जल में रोली, सिंदूर, और हल्दी मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
- घी में लाल चंदन मिलाकर दिया जलाएं।
- सूर्य देव को चढ़ाने के लिए कुछ अन्य चीजें जैसे गूगल धूप, केसर, रोली और सिन्दूर शामिल करें।
- सूर्य देव को लाल फूल चढ़ाएं
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