व्रत एक धार्मिक विचार है जिसमें व्यक्ति किसी चीज़ को लेकर अपने मन में संकल्प धारण करता है। व्रत को हम उपवास के नाम से भी जानते हैं। हिन्दू धार्मिक त्योहारों में व्रत धारण करने की परंपरा होती है। ऐसा कहा जाता है कि उपवास रखने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। परंतु व्रत को धारण करने के कुछ विशेष नियम होते हैं जिनका आवश्यक रूप से पालन किया जाना चाहिए। यदि व्रत को पूर्ण विधि-विधान से नहीं किया जाता है तो व्रती को उसका फल नहीं मिलता है। साथ ही वह पाप का भागी भी बनता है।
उपवास का महत्व
हिन्दू धर्म में व्रत का विशेष महत्व है। इसे धारण करने वाला व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से शुद्ध हो जाता है। वेद-पुराणों में व्रत को धर्म का साधन माना गया है। व्रत के माध्यम से व्यक्ति ईश्वर प्रिय हो जाता है। यदि सच्चे मन से ईश्वर की आराधना में व्रत का पालन नियम से किया जाए तो व्यक्ति का पुरुषार्थ सिद्ध होता है। उसके अंदर सात्विक गुणों का विकास होता है। धार्मिक, आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ व्रत का वैज्ञानिक महत्व भी होता है।
जानें एकादशी व्रत की तारीखें: एकादशी व्रत
व्रत का धार्मिक महत्व
वैदिक शास्त्रों में उपवास की महिमा का वर्णन किया गया है। इसमें व्रत को मानसिक शान्ति, सुख-समृ्द्धि एवं मनोकामना पूर्ति का साधन माना गया है। इसके धार्मिक महत्व को देखते संसार के समस्त धर्मों ने किसी न किसी रूप में व्रत को अपनाया है। उपवास सभी प्रकार के कष्टों और पापों से मुक्ति कराता है। सनातम धर्म के अनुसार व्रत परमात्मा के प्रति भक्ति, श्रद्धा और विश्वास के परिचायक है। इसलिए विभिन्न धार्मिक पर्वों में व्रत का सर्वाधिक महत्व होता है।
व्रत का वैज्ञानिक महत्व
वैज्ञानिक दृष्टि से भी व्रत के महत्व को कम नहीं आंका जा सकता है। चिकित्सा शास्त्र के अनुसार व्रत धारण करने वाला व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ रहता है। दरअसल, उपवास के दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति के पाचन तंत्र को आराम मिलता है, जिससे उसकी पाचन क्रिया मजबूत बनी रहती है। इसके साथ ही शरीर में फैट व कोलेस्ट्रॉल की मात्रा घटती है और मानसिक रूप से व्यक्ति स्वस्थ रहता है।
व्रत में इन 10 बातों का रखें ध्यान
- व्रत के दिन अशुद्ध कपड़े न पहनें – व्रत के दिन शौच आदि से निवृत होकर व्यक्ति को स्नान करना चाहिए और उसके बाद साफ़-स्वच्छ कपड़े पहनना चाहिए।
- देव पूजा करें – व्रत रखने वाले जातक को उस विशेष दिन से संबंध रखने वाले देवी/देवताओं की आराधना अवश्य ही करनी चाहिए। इससे उन्हें दैवीय आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- दिन में न सोयें – व्रत के दिन सोना नहीं चाहिए। इससे व्रती का व्रत रखने का उद्देश्य पूर्ण नहीं होता है।
- व्रत के दौरान बार-बार खान-पान न करें – व्रत रखने वाले जातकों का संकल्प यही रहना चाहिए कि वे व्रत के दौरान न खाएं, विशेषकर अन्न का त्याग करें। फलाहार ले सकते हैं परंतु बार-बार फलाहार या पानी का सेवन न करें।
- झूठ न बोलें – व्रत वाले दिन सभी से सत्य वचन बोलना चाहिए। झूठ बोलने से व्रत रखने वाले जातक को पुण्य की प्राप्ति नहीं होती है।
- चोरी न करें – चोरी करना पाप है। व्रत के दौरान यह पाप बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। इसके अलावा इस दिन किसी भी तरह का भ्रष्टाचार न करें।
- क्षमा की भावना रखें – यदि आपने व्रत रखा है और आपके सामने किसी व्यक्ति से ग़लती हो गई है और वह आपसे क्षमा चाहता है तो आपके हृदय में क्षमा की भावना होनी चाहिए।
- दान करें – व्रत वाले दिन व्रती को अपनी क्षमता के अनुसार दान करना चाहिए। परंतु ध्यान रहे, दान ज़रुरतमंद को ही करें।
- किसी की बुराई न करें – किसी की बुराई करना बेहद ग़लत बात है। ख़ासकर व्रत वाले दिन इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आपके द्वारा किसी की बेवजह निंदा न हो।
- उपवास समाप्त होने पर सात्विक भोजन करें – उपवास के दिन व्रत समाप्त होने पर सात्विक भोजन करना चाहिए। ध्यान रखें, उपवास के बाद अत्यधिक भोजन न करें।
उपवास रखना व्यक्ति की निजी धार्मिक आस्था है। हम आशा करते हैं कि व्रत के संबंध में लिखा गया है लेख आपको पसंद आया होगा।
Upwas ke doran kya gehun ke aate ki puri banake kha sakte hain.???