विवाह पंचमी 2022 पर बन रहे सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग, सुखी वैवाहिक जीवन के लिए करें ये उपाय

एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम बात करेंगे हिंदू धर्म के ख़ास त्यौहार विवाह पंचमी 2022 के बारे में। यह ब्लॉग आपको विवाह पंचमी से जुड़ी समस्त जानकारी प्रदान करेगा जैसे तिथि, मुहूर्त, महत्व, नियम, पूजा विधि और व्रत कथा आदि। साथ ही, हम आपको इस दिन बनने वाले शुभ संयोगों से भी अवगत कराएंगे। इसके अलावा, किन उपायों को करने से होगी आपकी मनोकामना पूरी? ये भी जानेंगे, इसलिए इन सभी बातों को जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें। 

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हिंदू धर्म में विवाह पंचमी 2022 का महत्व  

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, विवाह पंचमी 2022 का अपना अलग धार्मिक महत्व है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम और माता सीता इस दिन विवाह के बंधन में बंधे थे जो प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन आता है। विवाह पंचमी के अवसर पर श्रीराम और माता सीता का विवाह किया जाता है और इस दिन मंदिरों में विशेष तरह के धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न किये जाते हैं। 

समूचे भारत में विवाह पंचमी 2022 का त्यौहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, विशेष रूप से अयोध्या में। हालांकि, इस तिथि पर पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में शादियां आयोजित नहीं की जाती है क्योंकि माता सीता मिथिलांचल राज्य से थी जो वर्तमान समय में बिहार और नेपाल का हिस्सा है। इसलिए यहाँ इस पर्व को बहुत ही जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। पुराणों में विवाह पंचमी को अत्यंत महत्व दिया गया है और भक्तजन इस पर्व को श्रद्धा, भक्तिभाव और प्रेम से मनाते हैं। आइये अब जानते हैं विवाह पंचमी 2022 की तिथि और समय के बारे में। 

विवाह पंचमी 2022: तिथि और शुभ मुहूर्त 

विवाह पंचमी 2022 तिथि: 28 नवंबर, 2022 सोमवार

विवाह पंचमी 2022 तिथि आरंभ: 27 नवंबर, 2022 को शाम 04 बजकर 25 मिनट से,

विवाह पंचमी 2022 तिथि समाप्त: 28 नवंबर, 2022 को दोपहर 01 बजकर 35 मिनट पर।

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विवाह पंचमी 2022 पर हो रहा इन 2 शुभ योगों का निर्माण   

एस्ट्रोसेज के विशेषज्ञ ज्योतिषियों के अनुसार, इस साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का आरंभ 27 नवंबर को शाम 04 बजकर 25 मिनट पर होगा और इसका समापन 28 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 35 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, इस साल विवाह पंचमी 28 नवंबर को मनाई जाएगी और इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। विवाह पंचमी पर अमृतकाल शाम 05 बजकर 21 मिनट से अगले दिन सुबह 06 बजकर 55 मिनट तक रहेगा और इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग जैसे शुभ योगों का निर्माण भी हो रहा है। 

सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 10 बजकर 29 मिनट से अगले दिन सुबह 06 बजकर 55 मिनट तक 

रवि योग: सुबह 10 बजकर 29 मिनट से अगले दिन सुबह 06 बजकर 55 मिनट तक 

विवाह पंचमी 2022: पूजा विधि 

  • विवाह पंचमी के दिन प्रातःकाल जल्दी उठें। 
  • इसके पश्चात, स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। 
  • चौकी को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। 
  • श्रीराम और माँ सीता की प्रतिमा चौकी पर स्थापित करें। 
  • भगवान राम को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें। 
  • माता सीता को लाल रंग के कपड़े भेंट करें।  
  • घी का दीपक जलाएं और दोनों मूर्तियों का तिलक करें। 
  • प्रभु राम और देवी सीता के सामने धूपबत्ती जलाएं। 
  • फूल, रोली, मोली, चावल, चंदन, फल, नैवेद्य, अक्षत और अन्य सामग्री को पूजा में अर्पित करें और पूजा आरंभ करें।   
  • बालकांड में वर्णित विवाह प्रसंग का पाठ करें।  
  • श्रीराम और माता सीता की आरती करें।  
  • परिवार में खुशियां और शांति बनाए रखने के लिए रामचरितमानस का पाठ करें। 

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विवाह पंचमी 2022 व्रत कथा  

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता सीता की उत्पत्ति धरती से हुई थी। मिथिला नरेश राजा जनक खेत जोत रहे थे जब उन्हें भूमि से कन्या प्राप्त हुई और उसे वह अपने घर ले आये तथा बेटी की तरह उसका पालन पोषण किया। राजा ने इस कन्या का नाम सीता रखा और इन्हें ही राजा जनक की बेटी के रूप में संसार में जाना गया। मान्यता है कि एक बार मां सीता ने मंदिर में रखा हुआ भगवान शिव का धनुष उठा लिया था। इससे पहले भगवान शिव के धनुष को भगवान परशुराम ने उठाया था। इसी दिन, राजा जनक ने अपनी पुत्री का विवाह उस व्यक्ति से करने का फैसला किया था जो इस धनुष को उठायेगा। माँ सीता का स्वयंवर रखा गया जिसमें शामिल होने के लिए देशभर से महारथी, राजा और राजकुमार आएं। स्वयंवर में महर्षि वशिष्ठ, मर्यादा पुरुषोत्तम राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण भी मौजूद थे। 

जब स्वयंवर का आरंभ हुआ तब सभी राजा और राजकुमार एक-एक करके धनुष उठाने के लिए आगे आये लेकिन इन सभी महारथियों में से एक भी भगवान शिव का धनुष न उठा सका और न हिला सका। उस समय राजा जनक ने निराश होकर सभा में कहा कि लगता है इस स्वयंवर में मेरी पुत्री को योग्य वर नहीं मिलेगा तब महर्षि वशिष्ठ ने श्रीराम को स्वयंवर में भाग लेकर धनुष उठाने के लिए कहा। भगवान राम ने शिव जी का धनुष क्षण भर में उठा लिया और गुरुओं के आदेश पर धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाते समय धनुष टूट गया। इसके परिणामस्वरूप, माता सीता ने श्रीराम को वरमाला पहनाई जिससे तीनों लोक खुशियों से झूम उठें। उस समय से ही हर साल धूमधाम से विजय पंचमी मनाई जाती है।      

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विवाह पंचमी 2022 पर करें ये उपाय, घर-परिवार और वैवाहिक जीवन में आएगी सुख-शांति 

  • प्रेम विवाह के लिए: यदि आपके प्रेम विवाह में समस्याएं आ रही हैं तो इस दिन माता सीता को सुहाग की वस्तुएं अर्पित करें और मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें।   
  • जल्दी विवाह के लिए: विवाह पंचमी 2022 के दिन नीचे दिए गए मंत्रों का जाप करें।  

पानिग्रहन जब कीन्ह महेसा। हियँ हरषे तब सकल सुरेसा॥

बेदमन्त्र मुनिबर उच्चरहीं। जय जय जय संकर सुर करहीं॥2॥

  • शादी में आने वाली अड़चनें दूर करने के लिए: जिन लोगों का रिश्ता नहीं हो रहा है या बार-बार रिश्ता टूट जाता है तो विवाह पंचमी के दिन पूरी विधि-विधान से माँ सीता और श्रीराम का विवाह कराएं। ऐसा करने से कुंडली में उपस्थित विवाह से जुड़े दोष दूर हो जाते हैं।  
  • सुखी वैवाहिक जीवन के लिए: यदि पति और पत्नी के बीच बेवजह मतभेद होता रहता है तो दंपति रामचरितमानस से राम-सीता कथा का पाठ करें। ऐसा करने से आपको सुखी और खुशहाल वैवाहिक जीवन की प्राप्ति होगी।  

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