शुक्र गोचर जल्द, वृषभ और तुला राशि के जातकों के जीवन में आएगा ये बदलाव

वैदिक ज्योतिष में शुक्र को एक शुभ ग्रह माना जाता है। शुक्र भौतिक सुखों के दाता हैं और किसी भी जातक की कुंडली में वैवाहिक जीवन के कारक माने गए हैं। शुक्र यदि किसी जातक की कुंडली में शुभ स्थान पर विराजमान हों तो ऐसे जातक का जीवन धन-धान्य से भरपूर रहता है और वह जातक एक सुखद वैवाहिक जीवन जीता है। शुक्र यदि कमजोर स्थिति में किसी जातक की कुंडली में स्थापित हों तो जातक के जीवन में दरिद्रता आती है। वैवाहिक जीवन कष्टदायक होता है। साथ ही किसी महिला की कुंडली में शुक्र यदि कमजोर स्थिति में हों तो उसे गर्भपात का दंश भी झेलना पड़ता है।

जीवन की दुविधा दूर करने के लिए विद्वान ज्योतिषियों से करें फोन पर बात और चैट

वैदिक ज्योतिष में सभी बारह राशियों में वृषभ और तुला राशि पर शुक्र का आधिपत्य होता है और 27 नक्षत्रों के बीच भरणी, पूर्वाषाढ़ा और पूर्व फाल्गुनी के स्वामी शुक्र ही हैं। शुक्र की बात इसलिए क्योंकि जल्द ही शुक्र का गोचर होने जा रहा है। साल 2021 में 22 जून को मंगलवार की दोपहर 02 बजकर 07 मिनट पर शुक्र का गोचर कर्क राशि में होने जा रहा है। शुक्र कर्क राशि में 17 जुलाई 2021 को शनिवार की सुबह 09 बजकर 13 मिनट तक रहने वाले हैं। इसके बाद वे सिंह राशि में गोचर कर जाएंगे।

ऐसे में यह देखना बड़ा ही रोचक रहेगा कि शुक्र के इस गोचर का प्रभाव उनकी स्वामित्व वाली राशि यानी कि वृषभ और तुला राशि पर क्या पड़ने वाला है। तो आइये जानते हैं कि शुक्र गोचर का प्रभाव वृषभ और तुला राशि के जातकों पर किस प्रकार पड़ने वाला है।

वृषभ राशि पर शुक्र गोचर का प्रभाव

शुक्र वृषभ राशि के जातकों के प्रथम भाव और छठे भाव का स्वामी माना जाता है। वैदिक ज्योतिष में प्रथम भाव लग्न भाव होता है जबकि छठा भाव रोग, ऋण, मामा-मामी, चोट आदि का भाव माना जाता है। वर्तमान स्थिति में शुक्र वृषभ राशि के तृतीय भाव यानी कि पराक्रम और सहोदर के भाव में गोचर कर रहा है। ऐसी स्थिति में वृषभ राशि के जातकों को इस गोचर के दौरान किसी प्रकार का खास सरप्राइज़ मिल सकता है जिससे उनका मन प्रसन्न रहने की संभावना है। इस दौरान वृषभ राशि के जातक अपने जीवनसाथी के साथ कुछ बेहद ही प्यारे पल बिताते नजर आ सकते हैं जिससे उनका वैवाहिक जीवन और भी सुखद होगा। खास तौर से निजी जीवन में वृषभ राशि के जातकों को काफी सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकते हैं। 

इस दौरान आपका रचनात्मकता की तरफ झुकाव रहेगा। करियर के क्षेत्र में इस गोचर की अवधि में आपको नए अवसर प्राप्त हो सकते हैं जिसका आप अपनी समझ से लाभ भी उठा सकते हैं। चूंकि शुक्र आपके तृतीय भाव में यानी कि सहोदर भाव में गोचर कर रहा है, ऐसे में इस अवधि में आपके भाई-बहनों से आपके संबंध और भी मधुर होने की संभावना है। परिवार में किसी प्रकार का मांगलिक कार्य आयोजित हो सकता है जिससे घर का माहौल सुखद रहने की संभावना है। कारोबार कर रहे वृषभ राशि के जातकों को भी इस गोचर की अवधि में लाभ होने के योग बन रहे हैं। स्वास्थ्य बेहतर रहने की उम्मीद है लेकिन सलाह दी जाती है कि दिनचर्या का सही ढंग से पालन नहीं करेंगे तो ऊर्जा में कमी महसूस हो सकती है।

तुला राशि पर शुक्र गोचर का प्रभाव

शुक्र तुला राशि के जातकों के प्रथम भाव व आठवें भाव का स्वामी माना जाता है। वैदिक ज्योतिष में प्रथम भाव लग्न भाव कहलाता है जबकि अष्टम भाव आयु भाव कहलाती है। वहीं वर्तमान स्थिति में शुक्र का गोचर तुला राशि के दसवें भाव यानी कि कर्म भाव में में हो रहा है। ऐसी स्थिति में शुक्र के इस गोचर के दौरान आपको मानसिक समस्याओं का सामना करना पद सकता है। आर्थिक लिहाज से यह समय आपके लिए बेहद सजग रहने का समय है। व्यर्थ के खर्चों की वजह से इस अवधि में आपको आर्थिक संकट का सामना भी करना पड़ सकता है। वहीं संभावना है कि व्यावसायिक जीवन में इस अवधि में आपके पास काम की कमी नहीं रहेगी और आप इस दौरान पूरी ऊर्जा के साथ मेहनत करते हुए भी नजर आ सकते हैं। हालांकि आपको सलाह दी जाती है कि जरूरी कार्यों को लेकर आलस्य न करें अन्यथा मुश्किल में पड़ सकते हैं। वैवाहिक जीवन में जीवनसाथी के साथ छोटी-छोटी बातों पर नोकझोंक की स्थिति उत्पन्न हो सकती है जिससे आपका मन खिन्न रह सकता है। स्वास्थ्य के लिहाज से भी आपको सतर्क रहने की जरूरत है। स्वास्थ्य संबंधी कोई भी परेशानी होने पर चिकित्सीय परामर्श अवश्य लें।

ये भी पढ़ें : शुक्र करेंगे कर्क राशि में गोचर, जानें क्या पड़ेगा देश-दुनिया पर प्रभाव

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ जरूर साझा करें। धन्यवाद!

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.