शुक्र के कर्क राशि में गोचर से कर्क राशि के जातकों के जीवन में आएगा ये बदलाव

वैदिक ज्योतिष में ग्रहों का गोचर एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। वैदिक ज्योतिष यह मानता है कि ग्रहों के गोचर से सम्पूर्ण जगत के जीव-जंतु प्रभावित होते हैं। अब चूंकि जल्द ही शुक्र ग्रह का गोचर कर्क राशि में होने वाला है। ऐसे में इस गोचर का प्रभाव देश दुनिया पर पड़ना तो तय है लेकिन यह देखना बड़ा ही रोचक रहेगा कि कर्क राशि पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। 

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यही वजह है कि आज हम इस लेख में आपको यह बताने वाले हैं कि शुक्र के कर्क राशि में गोचर से कर्क राशि पर इसका क्या प्रभाव पड़ने की संभावना है लेकिन उससे पहले शुक्र ग्रह का वैदिक ज्योतिष में महत्व और शुक्र गोचर से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी आपके साथ साझा कर देते हैं।

वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह का महत्व

वैदिक ज्योतिष में शुक्र को एक शुभ ग्रह माना गया है। किसी भी जातक के जीवन में भौतिक सुखों का दाता शुक्र को ही माना गया है। शुक्र यदि कुंडली में कमजोर स्थिति में विराजमान हो तो ऐसे जातकों का वैवाहिक जीवन कलह से भर जाता है और साथ ही उसे आर्थिक संकटों का भी सामना करना पड़ता है। शुक्र यदि कमजोर हो तो जातक की कामुक शक्ति कमजोर हो जाती है और उसे किडनी संबंधी रोगों का सामना करना पड़ता है। वहीं किसी महिला की कुंडली में शुक्र की कमजोर स्थिति गर्भपात का वजह बनता है।

शुक्र यदि बली अवस्था में किसी जातक की कुंडली में विराजमान हो तो ऐसे जातक का वैवाहिक जीवन बेहद सुखद रहता है और साथ ही भौतिक सुख की जीवन में कमी नहीं रहती है। ऐसे जातकों का कला के प्रति रुझान रहता है। वैदिक ज्योतिष में मौजूद बारह राशियों में से शुक्र वृषभ और तुला राशि का स्वामी माना जाता है। मीन राशि में शुक्र उच्च होता है और कन्या में कमजोर। वहीं 27 नक्षत्रों में भरणी, पूर्वाषाढ़ा और पूर्वाफाल्गुनी पर शुक्र का ही आधिपत्य होता है।

अब आपको पता चल गया होगा कि शुक्र का वैदिक ज्योतिष में कितना महत्व है। आइये अब आपको शुक्र गोचर की जानकारी दे देते हैं।

कब हो रहा है शुक्र गोचर?

साल 2021 में  22 जून को मंगलवार की दोपहर 02 बजकर 07 मिनट पर शुक्र का गोचर चंद्रमा के स्वामित्व वाली कर्क राशि में होने जा रहा है। शुक्र कर्क राशि में 17 जुलाई 2021 को शनिवार की सुबह 09 बजकर 13 मिनट तक रहने वाले हैं। इसके बाद वे सिंह राशि में गोचर कर जाएंगे।

आइये अब जानते हैं कि शुक्र का चंद्रमा के स्वामित्व वाली कर्क राशि में गोचर करने से कर्क राशि के जातकों के जीवन में क्या बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

कर्क राशि के जातकों के जीवन पर शुक्र गोचर का प्रभाव

शुक्र ग्रह कर्क राशि के जातकों के चौथे और एकादश भाव का स्वामी माना जाता है। वैदिक ज्योतिष में चौथा भाव सुख व माता का भाव होता है और वहीं एकादश भाव लाभ भाव माना जाता है। हालांकि वर्तमान स्थिति में शुक्र कर्क राशि के प्रथम भाव यानी कि लग्न भाव में गोचर करने जा रहे हैं। वैदिक ज्योतिष में प्रथम भाव आत्मा, बुद्धिमता और व्यक्तित्व का कारक माना जाता है। ऐसे में इस गोचर के दौरान कर्क राशि के जातकों के बौद्धिक क्षमता में वृद्धि हो सकती है। आप किसी भी कार्य को लेकर स्वयं को पहले से ज्यादा स्पष्ट स्थिति में पाएंगे कि वो कार्य किस तरह संपन्न होगा या फिर आपको वो कार्य करना चाहिए या नहीं। 

आर्थिक दृष्टिकोण से यह गोचर आपके लिए खर्चीला साबित हो सकता है। ऐसे में आपको सलाह दी जाती है कि फिजूलखर्ची पर लगाम रखें अन्यथा भविष्य में आपको आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। वहीं किसी भी तरह के निवेश से पहले अच्छे से सोच-विचार लें अन्यथा हानि होने की आशंका है। वैसे जातक जो किसी तरह से विदेश से जुड़ा कोई भी व्यापार कर रहे हैं उन्हें इस गोचर की अवधि में किसी तरह का आर्थिक लाभ हो सकता है। किसी पुराने निवेश से भी लाभ होने के योग बन रहे हैं।

दूसरी तरफ यह गोचर कर्क राशि के जातकों के वैवाहिक जीवन में थोड़ी-बहुत परेशानियाँ खड़ी कर सकता है। संभव है कि जीवनसाथी से आप नाराज रहें। हालांकि संभावना ये भी है कि आप दोनों की एक दूसरे के लिए बेहतर समझ से यह परेशानी आपके वैवाहिक जीवन में ज्यादा लंबी नहीं रहने वाली है। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से कर्क राशि के जातकों को इस गोचर के दौरान सजग रहने की जरूरत है। खानपान में लापरवाही से स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। ऐसे में आपको सलाह दी जाती है कि थोड़ी सी भी स्वास्थ्य समस्या होने पर चिकित्सीय सलाह अवश्य लें।

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