वास्तु शास्त्र के ये पांच नियम नींद से जुड़ी सारी समस्याओं को छूमंतर कर देंगे

वास्तु शास्त्र कहता है कि सभी दिशाओं पर किसी न किसी देवता का आधिपत्य है और हर दिशा का विशेष महत्व है। वास्तु शास्त्र ये भी कहता है कि गलत वस्तु या गलत आकार की वस्तु को गलत दिशा में रखने से नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है और यह ऊर्जा आपके जीवन को प्रभावित करती है। जाहीर है कि नकारात्मक वस्तु आपके जीवन पर बुरा प्रभाव ही डालेगी। 

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लेकिन आज के भाग-दौड़ और तेजी से बढ़ते शहर की संस्कृति में लोगों के पास इतने बड़े घर या जगह नहीं है जहां वे वास्तु के अनुसार चीजों को नियत दिशा में रख सकें। ऐसे में शहरों में ‘दीवान’ की संस्कृति बढ़ी। दीवान उस बिस्तर की बनावट को कहते हैं जिसमें नीचे की ओर एक बक्सा मौजूद होता है। जगह की कमी की वजह से लोग अपना अधिकतर सामान इसी दीवान में रखते हैं। लेकिन वास्तु शास्त्र में बिस्तर को लेकर भी कुछ नियम और कानून हैं जिसमें दीवान समेत तमाम बिस्तर आते हैं और आज के इस लेख में हम आपको वास्तु शास्त्र के उन नियमों के बारे में बताएँगे जो घर के बिस्तर से जुड़ी हैं।

क्या कहता है वास्तु शास्त्र?

वास्तु मानता है कि हमारे बिस्तर के चारों ओर ऊर्जा प्रवाहित होती है क्योंकि हम यहां अपने आराम के पल बिताते हैं। इस वजह से इसका सही दिशा और दशा में होना बेहद जरूरी है।

नियम 01

वास्तु शास्त्र में कहा गया है कि सोने का बिस्तर हमेशा लकड़ी का होना चाहिए। सोने का पलंग लोहे का या फिर वृत्ताकार, अर्धचंद्राकार या धनुष के आकार का नहीं होना चाहिए। इसके अलावा लकड़ी के बिस्तर को लेकर भी निर्देश है कि इसका आकार आयताकार या फिर चौकोर होने चाहिए अन्यथा मानसिक बेचैनी की शिकायत बनी रहती है। इसके अलावा बिस्तर की ऊंचाई को लेकर भी नियम है कि बिस्तर की ऊंचाई सामान्य होनी चाहिए। न तो बिस्तर ज्यादा ऊंचा हो और न ही ज्यादा नीचा।

नियम 02

बिस्तर के दिशा को लेकर भी वास्तु शास्त्र में नियम बताए गए हैं। वास्तु शास्त्र के मुताबिक दक्षिण दिशा की ओर पैर कर के कभी नहीं सोना चाहिए। इस दिशा पर मृत्यु के देवता का अधिकार होता है और इस दिशा में सोने से खराब नींद और दुःस्वप्न की शिकायत बनी रहती है। साथ ही इस दिशा में पैर कर सोने से आपका मानसिक बीमारियों से भी पाला पड़ सकता है। वास्तु शास्त्र के मुताबिक यदि पैर पूर्व दिशा में कर के सोया जाए तो जातक के मान और वैभव में बढ़ोतरी होती है और यदि जातक पश्चिम दिशा में पैर रख कर सोये तो जातक के अंदर सद्भावना और अध्यात्म का विस्तार होता है। वहीं अगर उत्तर दिशा में पैर कर के सोया जाए तो ऐसे जातक को धन और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

नियम 03

बिस्तर के नीचे या ‘दीवान’ में कबाड़ का समान बिलकुल भी न रखें। इससे नकारात्मक ऊर्जा निकलती है। इसकी वजह से आपके वैवाहिक जीवन में समस्या आ सकती है। साथ ही घर में कलह भी शुरू होने की आशंका बढ़ जाती है। घर की सुख शांति के लिए इस नियम को मानना जरूरी है।

नियम 04

सोने का बिस्तर हमेशा साफ होना चाहिए। सिरहाने में किसी भी प्रकार का कोई उपकरण रखकर न सोएं। बिस्तर के गद्दे के नीचे किसी भी प्रकार की कोई चीज न रखें। बिस्तर को दीवार से एकदम सटा कर नहीं रखना चाहिए। इसके साथ-साथ अगर आपका बिस्तर डबल बेड का है और आप वैवाहिक जीवन जी रहे हैं तो बिस्तर पर एक ही गद्दा होना चाहिए। वरना वैवाहिक जीवन में मतभेद शुरू हो जाते हैं। 

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नियम 05

बिस्तर दरवाजे के ठीक सामने नहीं होना चाहिए। अगर बिस्तर बदलने में सक्षम नहीं हैं या फिर कमरा छोटा होने की वजह से ऐसा करना मजबूरी है तो दरवाजे पर पर्दा टांग कर रखें। इससे यह वास्तु दोष खत्म हो जाएगा। साथ ही बिस्तर के ठीक सामने शीशा होने पर भी मनाही है। ऐसा होने पर व्यक्ति रोग से ग्रसित हो जाता है। ऐसे में या तो उस कमरे से शीशा हटवा दें या फिर उसे ढक दें। इससे ये वास्तु दोष दूर हो जाएगा।

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