वनदेवी मंदिर : जहां भक्त माता को फल फूल नहीं बल्कि पत्थर चढ़ाते हैं

भारत मंदिरों का देश है। इस देश में इतने मंदिर हैं कि उनकी गिनती लगभग नामुमकिन है। जाहिर है कि सनातन धर्म के अनुयायियों की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश भी भारत है तो ऐसे में मंदिरों की इतनी संख्या होना भी स्वाभाविक है। लेकिन भारत के इन मंदिरों में से कई ऐसे मंदिर हैं जो अपने चमत्कारों की वजह से प्रसिद्ध हैं तो वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी मंदिर हैं जो अपनी अजीबोगरीब मान्यताओं की वजह से जाने जाते हैं।

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आपने ऐसे कई मंदिरों के बारे में सुना होगा जहां देवी-देवताओं को अजीबोगरीब चीजें चढ़ाई जाती हैं। जैसे कि कहीं भगवान को झाड़ू चढ़ाया जाता है तो कहीं किसी देवता को शराब चढ़ाने की परंपरा है और कहीं तो समोसे तक चढ़ाये जाते हैं लेकिन क्या आपने ऐसे किसी मंदिर का नाम सुना है जहां देवी-देवताओं को पत्थर चढ़ाएं जाते हों? सुना हो या न सुना हो लेकिन है ये बिल्कुल सच और आज हम इस लेख में आपको उसी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं।

वनदेवी मंदिर 

यह मंदिर भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर शहर के पास खमतकाई इलाके में मौजूद है। मंदिर का नाम है वनदेवी मंदिर। वनदेवी मंदिर की सबसे खास बात यही है कि यहाँ मौजूद देवी भगवती की प्रतिमा को भक्त फल, फूल या मिठाई का भोग लगाने के बजाय पत्थर का भोग लगाते हैं।

भक्तों की इस परंपरा को लेकर मान्यता है कि सच्चे दिल से ऐसा करने से माता सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं। मंदिर में पत्थर चढ़ाने की संख्या भी निर्धारित है। इस मंदिर में भक्त केवल पाँच पत्थर ही चढ़ा सकते हैं। नियम अनुसार पहले भक्त मन्नत मांगते हैं और उसके बाद माता के चरणों में इस पत्थर का भेंट देते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।

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मंदिर के पुजारी बताते हैं कि माता को इस मंदिर में कोई भी पत्थर नहीं चढ़ाया जाता है बल्कि पास के खेतों में मिलने वाला गोटा पत्थर ही चढ़ाया जा सकता है। मान्यता है कि माता भगवती को यह पत्थर बहुत प्रिय है। छतीसगढ़ की स्थानीय भाषा में इस पत्थर को चमरगोटा कहते हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि जो भी भक्त यहाँ आते हैं और आस्था के साथ माता को चमरगोटा पत्थर चढ़ाते हैं, माता उनकी मनोकामना जरूर पूरा करती हैं। यही वजह है कि मंदिर में माता के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते रहते हैं।

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