वामन जयंती विशेष: पढ़ें पूजा विधि और व्रत कथा

भगवान विष्णु ने राजा बलि के अहंकार को तोड़ने के लिये वामन अवतार लिया था। शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु का वामन रुप में अवतरण हुआ था। साल 2019 में यह तिथि 10 सितंबर को है इसलिये इस दिन वामन जयंती मनाई जाएगी। वामन अवतार भगवान विष्णु का पांचवां अवतार है जोकि त्रेतायुग में अवतरित हुए थे। वामन अवतार धारण करके भगवान विष्णु ने राजा बलि के साथ सारे विश्व को यह संदेश दिया था कि दंभ और अहंकार के दम पर कुछ भी हासिल नहीं होता है। धरती पर कमाई गई सारी संपदा एक दिन यहीं रह जाती है। 

इस दिन कैसे करें पूजा

हिंदू धर्म में स्वच्छता का बहुत महत्व है इसलिये वामन जयंती के दिन खुद को स्वच्छ करने के साथ-साथ अपने घर और पूजा स्थल की भी साफ सफाई करनी चाहिये। इस दिन सुबह भगवान विष्णु के वामन अवतार का स्मरण भक्तों द्वारा किया जाना चाहिये। इसके बाद पंचोपचार पूजन के बाद दही, चावल जैसी वस्तुओं का दान जरुरत मंदों में किया जाना चाहिये। जिस भी जातक के द्वारा इस दिन व्रत रखा जाता है उसे शाम के समय भगवान वामन का पूजन करना चाहिये और साथ ही व्रत कथा का पाठ भी करना चाहिये।  शाम की पूजा के समय कथा सुनने के लिये परिवार के सारे लोग मौजूद हों तो अच्छा माना जाता है। अगर आप श्रद्धापूर्वक भगवान वामन की पूजा करते हैं तो आपको मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है। 

वामन जयंती व्रत कथा

शास्त्रों के अनुसार इंद्र को पुन: देवलोक का राजा बनाने के लिये और बलि को सबक सिखाने के लिये भगवान विष्णु ने वामन का रुप धारण किया था। बता दें कि राजा बलि ने इंद्रलोक का राज इंद्र से छीन लिया था और वह त्रिलोक का राजा बन गया था अपनी ताकत से बलि ने सबको अपने आगे झुका दिया था। हालांकि राजा बलि एक अहंकारी राजा था लेकिन उसमें एक खूबी यह थी कि वह अपने द्वार से किसी भी मांगने वाले को खाली हाथ नहीं जाने देता था। राजा बलि के अहंकार को तोड़ने के लिये विष्णु भगवान ने वामन का अवतार लिया औऱ राजा बलि के द्वार पर गये। बलि से मिलकर वामन अवतार लिये भगवान विष्णु ने अपने लिये तीन पग भूमि बलि से मांगी। वामन की यह बात सुनकर बलि के गुरु शुक्राचार्य ने बलि को चेताया हालांकि उनके चेताने के बाद भी बलि नहीं माना और उसने भगवान विष्णु को तीन पग भूमि नापने को कहा। वचन लेने के बाद वामन अवतार ने अपना आकार इतना बड़ा कर लिया कि एक पग में भूमि और दूसरे पग में देवलोक को नाप लिया। तीसरे पग के लिये भूमि नहीं बची तो राजा बलि ने बड़ी शालीनता से कहा कि अब आप अपना तीसरा पग मेरे सिर पर रख लीजिये।

बलि की यह बात सुनकर वामन बहुत प्रसन्न हुए। विष्णु जी ने बलि से कहा कि हे राजन तुम पाताल लोक में चले जाओ, इसपर बलि बोले कि मैं तो हमेशा आपके चरणों के निकट रहना चाहता हूं। बलि की इस बात को सुनकर वामन अवतार लिये भगवान विष्णु ने कहा कि मैं हमेशा तुम्हारे पास ही रहूंगा और इसे तुम मेरा वरदान समझो। इसके बाद वामन ने बलि के सिर पर अपना पैर रख दिया और राजा बलि पाताल पहुंच गए। कुछ मान्यताओं के अनुसार वामन देव ने राजा बलि के सिर पर पैर रखकर उन्हें अमरत्व प्रदान कर दिया था क्योंकि वह बलि की वचन और धर्म परायणता से खुश थे। हिंदू धर्म के लोग भगवान विष्णु के वामन अवतार को प्रसन्न करने के लिये और शुभ फलों की प्राप्ति के लिये तब से वामन जयंती मनाते हैं और इस दिन वामन अवतार की पूजा अर्चना करते हैं।

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