हिन्दू धर्म में किये जाने वाले व्रत-त्यौहार, पूजा-पाठ हमारे जीवन में शांति प्रदान करते हैं। ग्रहों की चाल, शुभ दशा भी काफी हद तक हमारे जीवन को प्रभावित करती है। हालाँकि मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनजर अगर आपके दिमाग में अपने भविष्य से जुड़ा कोई भी सवाल है, जिसके चलते आप परेशान रहने लगे हैं, तो उसका जवाब जानने के लिए अभी हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषियों से प्रश्न पूछें।
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प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को वामन द्वादशी या वामन जयंती का पर्व मनाया जाता है। हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार यह दिन वही है जब श्रवण नक्षत्र के अभिजित मुहूर्त में भगवान विष्णु के एक अन्य रुप भगवान वामन का अवतार हुआ था। इस वर्ष वामन जयंती का पर्व 29 अगस्त 2020, को मनाई जाएगी।
वामन जयंती के बारे में ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान हरि ने बलि के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए वामन अवतार लिया था। इसके अलावा एक और मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि जो कोई भी इंसान इस दिन सच्ची आस्था से व्रत रखता है उसकी समस्त मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती है। आइये अब जानते हैं इस दिन की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व।
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सबसे पहले जानते हैं वामन जयंती की पूजा का शुभ मुहूर्त
वामन जयन्ती : 29 अगस्त- शनिवार
वामन जयंती का शुभ मुहूर्त :
द्वादशी तिथि प्रारम्भ – अगस्त 29, 2020 को 08:17 बजे (सुबह)
द्वादशी तिथि समाप्त – अगस्त 30, 2020 को 08:21 बजे (सुबह)
श्रवण नक्षत्र प्रारम्भ – अगस्त 30, 2020 को 01:52 बजे (शाम)
श्रवण नक्षत्र समाप्त – अगस्त 31, 2020 को 03:04 बजे (शाम)
वामन पूजन मन्त्र
देवेश्वराय देवश्य, देव संभूति कारिणे। प्रभावे सर्व देवानां वामनाय नमो नमः।
अर्ध्य मंत्र
नमस्ते पदमनाभाय नमस्ते जलः शायिने तुभ्यमर्च्य प्रयच्छामि वाल यामन अप्रिणे।।
नमः शांग धनुर्याण पाठ्ये वामनाय च। यज्ञभुव फलदा त्रेच वामनाय नमो नमः।।
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वामन जयंती का महत्व
इस दिन से जुड़ी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा गया है कि, अगर वामन जयंती के दिन श्रावण नक्षत्र हो तो इस व्रत की महत्ता कई गुना बढ़ जाती है। ऐसे में इस दिन भक्तों को उपवास करके वामन भगवान की स्वर्ण प्रतिमा बनवाकर पंचोपचार विधि सहित उनकी पूजा करने का नियम बताया गया है। इस दिन जो कोई भी इंसान पूरी श्रद्धा-भक्ति से वामन भगवान की पूजा करते हैं, उन्हें उनके सभी कष्टों से मुक्ति अवश्य मिलती है।
माना जाता है कि भगवान विष्णु के इस अवतार का सीधा संबंध बृहस्पति ग्रह से जुड़ा हुआ होता है। ऐसे में जिस भी जातक के गुरु ग्रह कुंडली में ख़राब या दुर्बल अवस्था में होते हैं उन्हें वामन अवतार की कथा पढ़नी चाहिए और यह उपवास भी करना चाहिए। ऐसा करने से बृहस्पति ग्रह से जुड़ी परेशानियाँ अवश्य ख़त्म होने लग जाएँगी। विशेषतौर पर अगर किसी की कुंडली में बृहस्पति नीच दशा में है या शनि/राहु/केतु के साथ बैठा है या छठे, आठवें और बारहवें स्थान में विराजमान है, उन्हें वामन देव की विशेष पूजा का विधान बताया गया है। यह व्रत उन लोगों के लिए वरदान साबित हो सकता है जो बृहस्पति की दशा से गुज़र रहे हैं।
वामन जयंती पूजा विधि
- इस दिन सुबह दैनिक कार्यों से निवृत होकर स्नान करें।
- इसके पश्चात भगवान वामन का पंचोपचार अथवा षोडषोपचार पूजन करें।
- इस दिन पूजा के बाद चावल, दही इत्यादि वस्तुओं का दान करना बेहद शुभ होता है। ऐसे में अपनी यथाशक्ति के अनुसार इस दिन दान अवश्य करें।
- शाम के समय दोबारा वामन देव की पूजा करें, व्रत कथा कहें या सुनें।
- पूजा के बाद सभी लोगों में प्रसाद वितरण करें।
- इस दिन अगर मुमकिन हो तो ब्राह्मणों को भोजन कराएं, उन्हें घर पर नहीं बुला सकते हैं तो उनके नाम से अन्न या दान वाली चीज़ें पूजा के समय ही अलग कर दें और फिर इसे किसी मंदिर में दे आयें।
- इस दिन की पूजा में अवश्य शामिल करें यह मंत्र, “ॐ तप रूपाय विद्महे श्रृष्टिकर्ताय धीमहि तन्नो वामन प्रचोदयात्”।
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वामन जयंती के दिन करें यह विशेष उपाय
अगर किसी इंसान के जीवन में लगातार कोई पारिवारिक कलेश चिंता की वजह बना हुआ है, तो उन्हें वामन जयंती के दिन कुछ विशेष उपाय करने की सलाह दी जाती है। क्या है वो विशेष उपाय, आइये जानते हैं।
- पारिवारिक कलेश दूर करना है तो, इस दिन वामन कलश पर कांसे के दीपक में गाय के दूध से बने घी का बारह मुखी दीप प्रज्वलित करें।
- इसके नौकरी में तरक्की चाहिए तो, इस दिन वामन कलश पर इत्र लगे 12 सिक्के चढ़ाकर पीले कपड़े में बांधकर रखें।
- अच्छी सेहत की कामना के लिए, इस दिन वामन कलश पर चढ़े चंदन से तिलक करें।
- शिक्षा के क्षेत्र में तरक्की करने के लिए, इस दिन पेन हाथ में लेकर 108 बार ‘वं वामनाय नमः’ मंत्र का जाप करें।
- प्यार में तरक्की पाने के लिए, इस दिन वामन कलश पर 12 गुलाबी फूल चढ़ाएं।
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आइये अब जानते हैं वामन जयंती से जुड़ी पौराणिक कथा
मान्यता है कि वामन जयंती के दिन इस कथा को पढ़ने या सुनने मात्र से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
“जब दैत्यराज बलि ने देवता इंद्र को हराकर स्वर्ग लोक पर अपना अधिकार जमा लिया तो यह सब देखकर देवता इंद्र की माँ अदिति को अत्यंत दुःख हुआ। ऐसे में अपने बेटे के लिए उन्होंने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। माँ अदिति की पूजा से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु वहां प्रकट हुए और उन्होंने कहा, ‘हे माँ, आप परेशान ना हों। मैं आपके पुत्र के रूप में जन्म लूँगा और इंद्र देव को उनका खोया हुआ साम्राज्य वापिस दिलाऊंगा।”
इसके बाद भगवान विष्णु ने माँ अदिति के गर्भ से वामन के रूप में जन्म लिया। तब उन्हें ज्ञात हुआ कि बलि, इन्द्रलोक पर स्थायी रूप से अधिकार ज़माने के लिए अश्वमेध यज्ञ कर रहा है। ऐसे में वामन उस स्थान पर जैसे ही पहुंचे उनके तेज से यज्ञशाला प्रकाशित हो उठी। तब बलि ने उनका सत्कार किया और अंत में उनसे कोई भेंट मांगने के लिए कहा। तब वामन देव ने उससे कहा कि मुझे तीन पग भूमि दे दो। इस पर बलि ने हाथ में जल लेकर तीन पग भूमि देने का संकल्प ले लिया।
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जैसे ही संकल्प पूरा हुआ वामन देव का आकार बढ़ने लगा। इसके बाद उन्होंने अपने एक पग से पृथ्वी, दूसरे से स्वर्ग को नाप लिया, तीसरे पग के लिए क्योंकि कोई जगह नहीं बची थी इसलिए बलि ने अपना मस्तिष्क ही उनके सामने कर दिया। अपने वचन के लिए बलि की ऐसी निष्ठा देखकर वामन देव बेहद प्रसन्न हुए और उन्होंने बलि को पाताल लोक का अधिपति बना दिया और देवताओं को उनके भय से मुक्ति भी दिला दी।
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