वैकुण्ठ चतुर्दशी: पूजा विधि, महत्व एवं पौराणिक कथा

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को वैकुण्ठ चतुर्दशी कहा जाता है और इस दिन को हिंदू धर्म में मान्यता रखने वाले लोग बहुत शुभ मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव का मिलन होता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार जब भगवान विष्णु चार महीनों की योगनिद्रा में चले जाते हैं तो भगवान शिव सारा कार्यभार संभालते हैं। इन चार महीनों में कोई भी मांगलिक कार्य करना उचित नहीं माना जाता। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ही सारे संसार में मांगलिक कार्य करवाते हैं। भगवान विष्णु जब अपनी योगनिद्रा से जागते हैं तो भोलेनाथ उन्हें सारे दायित्व फिर से सौंप देते हैं इसी दिन को वैकुण्ठ चतुर्दशी कहा जाता है।  

साल 2019 में कब मनाई जाएगी वैकुण्ठ चतुर्दशी

हिंदू पंचांग के अनुसार वैकुण्ठ चतुर्दशी इस साल 10 नवंबर को मनाई जाएगी। चतुर्दशी तिथि 10 नवंबर 2019 को 16:35 मिनट से शुरु होगी और 11 नवंबर 2019 को 18:04 तक व्याप्त रहेगी। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना और व्रत रखना शुभ माना जाता है।

वैकुण्ठ चतुर्दशी मनाने का तरीका

  • हिंदू धर्म में मान्यता रखने वाले लोग इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करते हैं। दुख और कष्टों के निवारण के लिये इस दिन लोग व्रत भी रखते हैं।
  • वैसे तो वैकुण्ठ चतुर्दशी के मौके पर भारत के हर हिस्से में ही चहल-पहल होती है लेकिन उज्जैन में इस दिन को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन उज्जैन में भव्य यात्रा का आयोजन किया जाता है और श्रद्धालु ढोल नगाड़ों के साथ महाकाल के मंदिर में जाते हैं और बाबा के दर्शन करते हैं।
  • इस दिन नदियों में दीप दान करना भी अति शुभ माना गया है।
  • वाराणसी में भी इस दिन रौनक देखने को मिलती है इस दिन वाराणसी में स्थित विष्णु मंदिर को सजाया जाता है। इस मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
  • जो लोग मंदिरों या नदियों के दर्शन नहीं कर पाते वो अपने घर में ही भगवान की पूजा अराधना करते हैं और उपवास रखते हैं। 

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वैकुण्ठ चतुर्दशी के दिन कैसे करें पूजा

इस दिन भक्तों को सुबह स्नान-ध्यान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिये। इसके बाद श्रद्धापूर्वक भगवान के सामने दीप जलाना चाहिये और उसके बाद पुष्प चंदन भगवान विष्णु को अर्पित करने चाहिये। भगवान विष्णु की पूजा के साथ-साथ इस दिन भगवत गीता का पाठ करना भी शुभ होता है। इस दिन किसी के प्रति गलत विचार अपने मन में नहीं लाने चाहिये और साथ ही मांस-मदिरा का सेवन भी इस दिन नहीं करना चाहिये।  

वैकुण्ठ चतुर्दशी का महत्व और पौराणिक कथा

शास्त्रों के अनुसार, एक बार नारद जी ने जिज्ञासावश भगवान विष्णु से प्रश्न पूछा कि भगवान की सरल भक्ति कर मुक्ति कैसे पायी जा सकती है। नारद जी की जिज्ञ़ासा को शांत करने के लिये भगवान विष्णु ने उत्तर दिया कि, हे नारद जो भी जातक कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को व्रत रखेगा और सारे नियमों का श्रद्धापूर्वक पालन करेगा उसके लिये स्वर्ग के द्वार खुल जाएंगे। 

इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का भी बड़ा महत्व है। ऐसा माना जाता है कि जो भी जातक इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के बाद भगवान शिव की पूजा करता है वह सारे बंधनों से मुक्ति पा जाता है और अंत में उसे वैकुण्ठ धाम प्राप्त होता है।  

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