हरेला के साथ शुरू होता है उत्तराखंड में सावन; किसानों से है इसका ख़ास संबंध!

हरेला 2023: वैसे तो सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू हो चुका है लेकिन भारत में कई ऐसे राज्य है, जहां सावन माह की शुरुआत अलग-अलग तिथियों से होती है। ऐसे में देवभूमि उत्तराखंड में हरेला के त्योहार से सावन माह की शुरुआत मानी जाती है। यह त्योहार हर साल कर्क संक्रांति के दिन मनाया जाता है। हरेले का अर्थ है हरियाली का दिन। यह त्योहार पूरे उत्तराखंड, विशेषकर कुमाऊं क्षेत्र में बड़े ही धूमधाम से साथ मनाया जाता है।

हरेले का पर्व साल भर में तीन बार आता है, पहला चैत्र मास में, दूसरा सावन मास में और तीसरा आश्विन मास में लेकिन इसमें सावन मास के हरेला पर्व का विशेष महत्व है। मान्यता के अनुसार, त्योहार के ठीक 9 या 10 दिन पहले हरेला बोया जाता है लेकिन कुछ लोग 11 दिन का हरेला बोते हैं। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में जानते हैं हरेला पर्व की तिथि, इसका महत्व, पूजन विधि और इस दिन किए जाने वाले आसान ज्योतिषीय उपाय।

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हरेला पर्व 2023 की तिथि

सुख, समृद्धि और खुशहाली का पर्व हरेला मूल रूप से देवभूमि उत्तराखंड में मनाया जाता है। यह लोक पर्व हर साल जुलाई के महीने में पड़ता है। इस साल हरेले का पर्व 16 जुलाई 2023 दिन रविवार को मनाया जाएगा। 

हरेला 2023 का महत्व

हरेले का त्योहार हरियाली का प्रतीक माना जाता है और यह पर्व नई ऋतु शुरू होने की खुशी में मनाया जाता है। उत्तराखंड में इस दिन से सावन के त्योहार की शुरुआत मानी जाती है। यह पर्व पर्यावरण व किसानों से जुड़ा है। इस पर्व के नौ या दस दिन पहले एक टोकरी में पांच या सात प्रकार के अनाज बोए जाते हैं और फिर हरेले के दिन इसे घर के बुजुर्ग से कटवाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि हरेला जितना बड़ा होगा उतना ही किसानों को अपनी फसल से लाभ होगा। इस पर्व को शिव और पार्वती के विवाह के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन शिव पार्वती की पूजा की जाती है और अच्छी फसल के लिए भगवान से प्रार्थना की जाती है।

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हरेला 2023: पूजा-विधि

  • इस त्योहार के ठीक पहले शाम को हरकाली पूजा की जाती है।
  • इस पूजा के दौरान घर के आंगन या बाहर की शुद्ध मिट्टी लेकर उससे भगवान शिव माता पार्वती, भगवान गणेश व कार्तिकेय की मूर्ति बनाई जाती है।
  • फिर इसके बाद मूर्ति का श्रृंगार किया जाता है।
  • घर में बनाया गया पकवान जैसे- फल, पूड़ी, खीर, गुड़-आटे का चीला बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है।
  • इसके बाद बोये हुए हरेले के सामने इन मूर्तियों को रखकर विधि-विधान से घर के बड़े-बुजुर्ग पूजन करते हैं।
  • अंत में बुजुर्गों का आर्शीवाद प्राप्त किया जाता है।

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हरेले के दिन करें ये ज्योतिषीय उपाय, दूर होंगी सभी समस्याएं

  • हरेले के दिन पीपल या बरगद का पेड़ लगाना बेहद शुभ माना जाता है और साथ ही, आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से भी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
  • इस पावन पर्व के दिन जरूरतमंदों व गरीबों को गुड़, तांबे का बर्तन या कोई अन्य सामान, लाल फूल, दूध की बनी खीर आदि का दान करना फलदायी माना जाता है।
  • मान्यता है कि यदि कुंडली में चंद्रमा कमज़ोर स्थिति में मौजूद हैं तो इस दिन जल से भरे तांबे के लोटे में अक्षत, सफेद फूल मिलाकर चंद्र देव को अर्पित करें।
  • इस दिन गाय, कौए, कुत्ते को रोटी जरूर खिलाएं। ऐसा करने से व्यक्ति बड़े से बड़े रोगों से मुक्ति पा लेता है।
  • अगर संभव हो तो इस दिन नदी किनारे जाकर पिंडदान और तर्पण करके ब्राह्मणों को भोजन कराएं। इससे पितृ दोष से छुटकारा पाया जा सकता है।
  • आर्थिक समस्याओं को दूर करने के लिए इस दिन भगवान शिव का जलाभिषेक जरूर करें और माता पार्वती का श्रृंगार करें। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में चल रही सभी परेशानियां दूर होती हैं।
  • हरेले के दिन सुख-शांति बनाए रखने व हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए खिचड़ी का दान अवश्य करें।

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