तुलसी के पत्ते को चबाना है वर्जित, जानें इसकी वैज्ञानिक और धार्मिक वजह

भारत समेत पूरा विश्व इस समय कोरोना महामारी के चपेट में है लेकिन भारत पर यह महामारी कहर बनकर कर टूट पड़ी है। लगातार बढ़ते कोरोना के मामले लोगों को डरा रहे हैं। ऑक्सीजन और दवा का संकट आमजन से लेकर सरकार तक के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। वैज्ञानिक और डॉक्टर्स बार-बार लोगों से यह अपील कर रहे हैं कि आप अपने आहार में ऐसी चीजों को शामिल करें जो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सक्षम हो। ऐसे में भारत के लोगों को हजारों साल पुरानी इलाज की परंपरा पर आधारित आयुर्वेद का सहारा मिला। काढ़ा और जड़ी-बूटियाँ लोगों के लिए संजीवनी का काम कर रही है। जाहीर है कि इसकी वजह से तुलसी के पौधे का महत्व और इसकी डिमांड भी काफी बढ़ गयी है।

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तुलसी को सनातन धर्म में बेहद ही पवित्र माना जाता है। यही वजह है कि सनातन धर्म के अनुयायियों के घर में आपको तुलसी का पौधा मिल ही जाता है। तुलसी में पाया जाने वाला तेल हमारे श्वास संबंधी तकलीफ़ों को ठीक करता है और वैज्ञानिक भी मानते हैं कि इस पौधे के पत्तों में प्राकृतिक तौर पर एंटी-बायोटिक मौजूद होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि तुलसी के पत्तों को चबाने पर न सिर्फ सनातन धर्म में बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी मनाही है? अगर आपको इस बात की जानकारी नहीं थी तो आज हम इस लेख में आपको यह बताएंगे कि आखिर तुलसी के पत्ते को न चबाने की धार्मिक और वैज्ञानिक वजह क्या है।

तुलसी के पत्ते को न चबाने की धार्मिक वजह 

सनातन धर्म में तुलसी को किसी देवी की तरह पूजा जाता है। वैसे घर जहां रोज पूजा-पाठ होती है वहाँ तुलसी में जल और उसे पुष्प, धूप, दीप इत्यादि चढ़ाने व दिखाने की परंपरा रही है। सनातन धर्म में तुलसी को भगवान विष्णु के अर्धांगिनी का रूप माना जाता है। ऐसे में सनातन धर्म में तुलसी के पत्ते को चबाने पर मनाही है। मान्यता है कि इससे श्री हरी विष्णु नाराज होते हैं और माता लक्ष्मी रुष्ट होती हैं।

तुलसी के पत्ते को न चबाने की वैज्ञानिक वजह

तुलसी के पत्ते को न चबाने की सिफ़ारिश सिर्फ सनातन धर्म ही नहीं करता है बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी तुलसी के पत्ते को चबाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया गया है। जी हाँ! तुलसी के पत्ते स्वास्थ्य के लिए तो फायदेमंद हैं लेकिन इसको चबाने से आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच सकता है।

दरअसल वैज्ञानिकों के एक शोध में इस बात की जानकारी मिली है कि तुलसी के पत्तों में मरकरी यानी कि पारा और आयरन यानी कि लौह पदार्थों की मात्रा अधिक होती है। ऐसे में तुलसी को सीधे मुंह में रखकर चबाने से इसमें मौजूद पारा हमारे मुंह में घुल जाता है और दांतों के इनेमल को नुकसान पहुंचाता है। आपको बता दें कि इनेमल हमारे दांत पर मौजूद एक परत होती है जो हमारे दांतों की रक्षा करती है। इनेमल के नुकसान से आपके दांतों के झड़ने की आशंका बढ़ जाती है। 

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इसके साथ-साथ इस शोध में यह भी पता चला है कि तुलसी के पत्ते प्रकृति में अम्लीय होते हैं जबकि हमारा मुंह क्षारीय प्रकृति का होता है। जिस वजह से इसके पत्तों को चबाने से हमारे दांतों को काफी नुकसान पहुंचता है।

ऐसे में आपको सलाह दी जाती है कि तुलसी के पत्तों को चबाने से बचें। हालांकि अगर आप तुलसी को जूस के तौर पर या फिर चाय या फिर घी में पाउडर बना कर डालते है और उसके बाद ग्रहण करते हैं तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद चीज है, बशर्ते आप इसे चबाएँ न।

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