तुलसी एक औषधीय वरदान
तुलसी को सनातन धर्म में सिर्फ पौधे के रूप में नहीं बल्कि देवी रूप में पूजा जाता है। इसलिए अधिकांश हिन्दू परिवारों में तुलसी जी की पूजा की जाती है। इन्हें सुख समृद्धि का प्रतीक कहा जाता है। इनके घर में होने से सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। परन्तु क्या आप जानते हैं कि धार्मिक महत्व के अतिरिक्त यह एक औषधी भी है। कई ग्रंथों की माने तो इतने सारे औषधीय गुणों के कारण तुलसी का इस्तेमाल कई बीमारियों को दूर करने के लिए भी किया जाता है। आयुर्वेद में तुलसी के हर भाग को स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभकारी बताया गया है।
तुलसी का उपयोग हजारों वर्षों से शारीरिक, भावनात्मक और पर्यावरणीय तनाव के प्रति एक स्वस्थ प्रतिक्रिया के रूप में किया जाता है। आधुनिक शोध ने तुलसी को एक एडाप्टोजेनिक जड़ी बूटी बताया है जो शरीर को तनाव से लड़ने और रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती है।
तुलसी महारानी को लेकर अक्सर हमारे मन में बहुत से सवाल होते हैं कि हमें कब जल देना चाहिए अथवा इसकी पत्तियां कब तोड़ना चाहिए? तुलसी मुरझाने लगे तो क्या करना चाहिए? आज के इस लेख में हम आपको तुलसी जी से जुड़ी कुछ ऐसी ही जानकारी देने जा रहे हैं ।
किसी भी निर्णय को लेने में आ रही है समस्या, तो अभी करें हमारे विद्वान ज्योतिषियों से फोन पर बात!
माँ लक्ष्मी का अवतार हैं तुलसी
तुलसी जी को भगवती लक्ष्मी जी का अवतार कहा जाता है। भगवान कृष्ण को अत्यंत प्रिय होने के कारण इन्हें भक्ति प्रदायिनी भी माना गया है। मान्यता है कि वृन्दावन धाम का नाम वृन्दावन पड़ा क्योंकि वहां वृंदा अर्थात तुलसी के अनेकों वन हैं इसलिए कृष्ण की भक्ति प्रदान करने वाली देवी को सनातन धर्म में बहुत महत्व दिया गया है।
तुलसी जी की नित्य पूजन विधि
- सुबह स्नान के बाद घर के आँगन में तुलसी जी के आगे हाथ जोड़कर उन्हें फल-फूल चढ़ाकर, धूप-दीप जलाएं और पूजा करें।
- तुलसी जी के नजदीक बैठकर तुलसी माला से 108 बार तुलसी गायत्री मन्त्र का पूरी श्रद्धा और सुख की कामना करते हुए जाप करें।
- गायत्री मंत्र –
ॐ श्री तुलस्यै विद्महे। विष्णु प्रियायै धीमहि। तन्नो वृंदा प्रचोदयात।।
- तुलसी के आठों नाम वृंदा, वृन्दावनी, विश्वपूजिता, विश्वपावनी, पुष्पसारा, नंदिनी, तुलसी और कृष्णजीवनी का जाप करें।
- संध्या के समय तुलसी के आगे दीपक अवश्य जलाएं। इससे घर में सदैव सुख शांति का वातावरण बना रहता है।
तुलसी में जल चढ़ाने की विधि
कहा जाता है कि सूर्य भगवान और तुलसी जी को जल चढ़ाते हुए परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए। पदम् पुराण के अनुसार तुलसी जी की जड़ में ब्रह्मा जी, मध्य भाग में श्री हरि विष्णु और मंजरी में भगवान भोलेनाथ का वास होता है। इसलिए तुलसी जी में जल हमेशा जड़ से होते हुए अग्र भाग में जाते हुए देना चाहिए ।
- तुलसी में शालिग्राम रखें या नहीं?
शालिग्राम भगवान विष्णु का ही एक स्वरुप है। प्राचीन काल में वर्णित एक कथा के अनुसार तुलसी देवी वृंदा नाम की बहुत ही पतिव्रता स्त्री थी। जिन्होंने अपने पतिव्रत धर्म का पालन करते हुए भगवान विष्णु को अपने पति की हत्या के लिए दंड देते हुए श्राप दिया कि वे पत्थर स्वरुप हो जाएं। तुलसी जी के श्राप के कारण ही भगवान शालिग्राम रूप में आए और महारानी वृंदा गण्डकी नदी के रूप में बहने लगी और उनके केश तुलसी के पौधे बन गए इसलिए तुलसी के पौधे के साथ भगवान का शालिग्राम स्वरुप स्थापित किया जा सकता है।
तुलसी को सूखने से बचाने के लिए करें ये उपाय
- तुलसी के पौधे को हमेशा पूर्व, उत्तर या उत्तर पूर्वी दिशा में रखें।
- तुलसी के पौधे को कभी भी किसी कांटेदार पौधे के साथ न रखें ।
- तुलसी के पौधे को हमेशा ज़मीन से थोड़ा ऊपर रखना चाहिए।
- तुलसी का पौधा लगाते हुए हमेशा ध्यान रखें कि उसमे 70 % मिट्टी और 30 % रेत का इस्तेमाल करें ।
- मिट्टी की समय समय पर गुड़ाई करें इससे पौधे में पानी इकठ्ठा नहीं होगा ।
- तुलसी जी में कभी भी बहुत ज्यादा मात्रा में पानी ना डालें, इस पौधे को बहुत ज्यादा पानी की जरुरत नहीं होती है।
- जब आपकी तुलसी बड़ी हो जाए और उसपर मंजरी निकलने लगे तो उसे तोड़ कर अलग कर लें। यदि आप ऐसा नहीं करते है तो तुलसी जी अपने जीवन को संपूर्ण समझने लगती है और सूखने लगती है ।
- मंजरी तोड़ते हुए हमेशा ध्यान रखें आपको अपने नाख़ून और तर्जिनी उंगली का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए ।
- तुलसी जी को कीड़े लगने से बचाने के लिए उनके ऊपर समय समय पर नीम के तेल का छिड़काव करें ।
- नीम का तेल डालने के तुरंत बाद तुलसी को खाना नहीं चाहिए ।
- अगर आपके घर में बहुत सारे तुलसी के पौधे है तो उन्हें हमेशा विषम संख्या में रखें ।
- कैसे है तुलसी बीमारियों से रक्षा कवच?
- भगवान कृष्ण के भोग में और सत्यनारायण की कथा के प्रसाद में तुलसी की पत्ती जरूर रखनी चाहिए। ऐसा नहीं करने से प्रसाद पूरा नहीं माना जाता है।
- शहद, अदरक और तुलसी को मिलाकर बनाया गया काढ़ा पीने से दमा, कफ और सर्दी में राहत मिलती है।
- तुलसी की 11 पत्तियों का 4 खड़ी काली मिर्च के साथ सेवन करने से, मलेरिया और टाइफाइड को ठीक किया जा सकता है।
- अक्सर महिलाओं को पीरियड्स में अनियमितता की शिकायत हो जाती है. ऐसे में तुलसी के बीज का इस्तेमाल करना फायदेमंद होता है।
- इसके सेवन से लाल रक्त कणों में इजाफा होता है और हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है।
- कान में दर्द होना या कान बहने जैसी समस्याओं में तुलसी का रस हल्का गुनगुना कर कान में डालने से फायदा होगा।
- तुलसी के पत्ते का इस्तेमाल करने से सांस की दुर्गंध को दूर करने में काफी हद तक फायदेमंद होते हैं।
- इसका इस्तेमाल करने से चेहरे पर कील-मुहांसे खत्म हो जाते हैं और चेहरा क्लीन हो जाता है।
- यदि कहीं चोट लग जाती है तो तुलसी के पत्ते को फिटकरी के साथ मिलाकर लगाने से घाव तुरंत ठीक हो जाता है।
- तुलसी की पत्तियां खाने से खून साफ रहता है। इससे त्वचा और बाल स्वस्थ रहते हैं।
सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।