चारधामों के कपाट बंद होने की तिथियों का हुआ ऐलान !

गंगोत्री के 28 अक्टूबर को, केदारनाथ और यमुनोत्री के 29 अक्टूबर को तो वहीं बदरीनाथ के कपाट होंगे 17 नवंबर को बंद।  

हाल ही में रावण दहन के साथ ही देशभर में विजयदशमी का पर्व मनाया गया। जिसके साथ ही अब चार धाम की यात्रा भी अपने अंतिम पड़ाव पर पहुँच गई है। विजयदशमी के पावन पर्व पर शीतकाल के लिए चारों धामों के कपाट बंद होने की तिथियों की घोषित कर दी गई हैं। 

इन तिथियों पर बंद किये जाएंगे चारों धामों के कपाट 

चारधामों के कपाट बंद करने के लिए बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि 17 नवंबर को सायं 5.13 मिनट पर तय की गई है। इसके साथ ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद करने का शुभ मुहूर्त भी 29 अक्टूबर, मंगलवार को निकाला गया। जबकि गंगोत्री के लिए मुहूर्त बुधवार, 28 अक्टूबर निकला। ग़ौरतलब है कि केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट दिवाली से दो दिन बाद भैया दूज के दिन 29 अक्टूबर और गंगोत्री के कपाट दिवाली के अगले ही दिन अन्नकूट पर्व पर 28 अक्टूबर को बंद कर दिए जाएंगे।

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बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति की ओर से की गई तिथियों की घोषणा 

जानकारी के लिए बता दें कि विजयदशमी के दिन यानी 8 अक्टूबर को बदरीनाथ धाम में रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी की उपस्थिति में ही बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति की ओर से समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने कपाट बंद होने की तिथियों की घोषणा की। 

उनके अनुसार सनातन धर्म की परंपरा का पालन करते हुए 13 नवंबर से कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। जिसके लिए 13 अक्टूबर से ही गणेश पूजन कर सबसे पहले 14 अक्टूबर को आदि केदारश्वर के कपाट बंद होंगे फिर 15 अक्टूबर को खडग व पुस्तक पूजा कर 16 नवंबर को परंपरागत तरीक़े से देवी लक्ष्मी को गर्भ गृह में आने का न्यौता दिया जाएगा।

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कपाट बंद होने से पहले किया जाएगा भगवान का भव्य शृंगार 

हर साल की तरह ही इस वर्ष भी कपाट बंद होने के अवसर पर भगवान का विभिन्न-विभिन्न फूलों से भव्य शृंगार किया जाएगा। इस संदर्भ में अधिक जानकारी देते हुए धामों के धर्माधिकारी ने बताया कि “कपाट बंद होने के अवसर पर भगवान बदरीनाथ को पहनाए जाने वाला घृत कंबल को बनाने का कार्य माणा की कुवांरी कन्याओं ने अभी से शुरू कर दिया है।” याद रहे कि वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार हर वर्ष माणा की कुंवारी कन्याएं ही भगवान के लिए घृत कंबल बनाने का कार्य करती हैं। 

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देव भूमि उत्तराखंड के चारधाम और उनका महत्व

बता दें कि हर साल गर्मियों में देव भूमि उत्तराखंड के चारधामों की यात्रा शुरू हो जाती है। इन चारों तीर्थ स्थलों (गंगोत्री, यमनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ) को दुनियाभर के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। इन स्थलों में से जहाँ गंगा नदी का उद्गम गंगोत्री और यमुना नदी का उद्गम यमुनोत्री दोनों ही उत्तरकाशी जिले में स्थित हैं। तो वहीं भगवान विष्णु का सबसे पवित्र स्थल बद्री विशाल जिसे बद्रीनाथ धाम कहते हैं उत्तराखंड के चमोली में और भगवान शिव का पवित्र धाम केदारनाथ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है।

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