टेली आयुर्वेदा, आज के समय की मांग

टेली आयुर्वेदा , आज के समय की मांग 

टेलीपैथी संपर्क और सूचना प्रदान करने का एक प्राचीन तरीका है। पुराने साहित्य में अनेकों बार इसके प्रयोग का ज़िक्र आता है। लेकिन टेलीपैथी द्वारा चिकित्सा को जन-जन तक रेकी प्रैक्टिशनर ने पहुँचाया।  यह प्रैक्टिशनर दूर से ही कॉस्मिक एनर्जी को दूर तक रोगी तक पहुंचा कर उनको स्वस्थ कर देते हैं। 

प्रकृति मे मानव को स्वस्थ करने की नैसर्गिक शक्ति होती है। आयुर्वेद ना केवल प्राकृतिक शक्तियों का प्रयोग करता है, बल्कि इसमें अनेकों अद्भुत चमत्कारी औषधियों का भी योगदान है। यह अकेले ही रोग का निदान करने में समर्थ है। कुछ औषधियां दवा के रूप में ग्रहण की जाती है तथा कुछ लेप या स्टीम के द्वारा लेनी होती हैं। 

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आधुनिक काल में एक नया वर्ग, आयुर्वेदिक औषधि का टेलीपैथिक प्रयोग करके, बिना संपर्क मे आये रोगियों को स्वस्थ करने में बड़ी भूमिका निभा रहा है। हर औषधि हर जगह उपलब्ध नहीं होती और वर्तमान कोरोना काल मे इनको प्राप्त करना भी कठिन हो जाता है। एक विशेषज्ञ चिकित्सक ही जानता है कि, किन औषधि का मिश्रण अधिक लाभकारी  होगा। अगर विशेष प्रयास द्वारा औषधि प्राप्त कर ले तो भी उतना लाभ नहीं उठा पाएंगे, जितना विशेषज्ञ टैलीपैथी द्वारा उस अंग या टिशू को ऊर्जा देगा , जहां उसकी आवश्यकता है। कई रोग शारीरिक होते हैं और कई मानसिक। 

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टैलीपैथी हीलर अपने उपकरणों की सहायता से सही आयुर्वेदिक औषधियों का चुनाव करके सही फ्रीक्वैन्सी पर पहुंचाता है। इस बात को आप आसानी से ऐसे समझ सकते हैं कि, दूर बैठा विशेषज्ञ औषधि को टेलीपैथी द्वारा आप तक उसी प्रकार पहुंचाता है जिस प्रकार पोस्टमैन आप तक चिट्ठी लेकर आता है। उसी प्रकार घर बैठे सही औषधि टेलीपैथी द्वारा आप तक पहुंच जाती है । 

कोरोना काल में इसका महत्व और बढ़ जाता है। कोरोना महामारी अपने साथ अनेक समस्या लेकर आई है। इस बीमारी से आज हर कोई परेशान है, सबके मन में कई सवाल हैं। ऐसे में अगर आप भी किसी तरह की शंका से घिरे हैं और आपको उसका जवाब नहीं मिल पा रहा है तो, आज ही हमारे विशेषज्ञ ज्योतिष से प्रश्न पूछें और अपनी समस्या का समाधान जानें।

छोटी-छोटी बीमारी के लिए जांच कराने के लिए डॉक्टर के पास जाना संभव नहीं होता है। सिर दर्द के भी 48 मूल कारण होते हैं। यह मेडिकल साइंस भी कहती है। इसके लिए डॉक्टर के पास जाना आज के समय में खतरे से खाली नहीं है। टेलीपैथी प्रैक्टिशनर आपके रोग का मूल कारण जान, दूर से ही (मीलों दूर से ही) आपके उस अंग पर आयुर्वेदिक औषधि द्वारा उपचार कर देता है। इस तरह के उपचार का प्रयोग आज के समय की जरूरत के साथ साथ समय की मांग भी है। क्योंकि कुछ बीमारियां तो कुछ समय तक रोक के रखी जा सकती हैं किंतु, अधिक समय तक रोकने से कठिनाइयां बढ़ सकती हैं ।

इस उपचार पद्धति को विस्तार से समझने के लिए एक केस आपके साथ साझा करती हूं। आजकल अनिद्रा की समस्या आम बन गई है। कोरोना काल में आर्थिक चिंतन व काम के अभाव में प्रायः लोग अनिद्रा के शिकार होते जा रहे हैं। शरीर व दिमाग दोनों ही व्यस्त रखना बहुत आवश्यक है। किंतु मौजूदा परिस्थितियों में बेरोजगारी के चलते अक्सर लोग हीन भावना से ग्रसित होकर पूरी पूरी रात जागरण में बिता देते हैं। 

इस कठिन समय में नौकरी की चिंता बेहद जायज़ है। अगर आपके मन में भी अपनी नौकरी से जुड़ा कोई भी प्रश्न है तो एस्ट्रोसेज की बृहत् कुंडली से आप उसका सटीक जवाब पा सकते हैं। इस व्यक्तिगत और विस्तृत रिपोर्ट में आपकी नौकरी से जुड़ा हर सवाल मौजूद है । रात में नींद के अभाव के कारण सुबह सिर दर्द होना स्वभाविक है। आमतौर पर लोग इस दर्द से पेन किलर द्वारा मुक्ति पा लेते किंतु अत्याधिक पेन किलर का सेवन घातक सिद्ध हो सकता है। व्यक्ति को इन दवाइयों का व्यसनी बना देता है। 

हमारे पास एक ऐसा ही केस सामने आया। एक युवा बेरोजगारी के चलते बहुत कठिन परिस्थितियों से गुज़र रहा था। आयुर्वेद पद्धति प्राचीन काल से लोगों को रोग मुक्त बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। मध्यकाल में लोगों का इस पद्धति से रुझान कम हो गया था। किंतु पिछले कुछ वर्षों में यह पद्धति पुनः लोगों के बीच में प्रचलित हो गई है। आमतौर पर आयुर्वेदिक चिकित्सक नाडी़ परीक्षण द्वारा रोगों का मूल कारण जान, रोगी को उपयुक्त औषधि युक्त दवाएं लेने की सलाह देते हैं। किंतु सोशल डिस्टेंसिंग की पालना के अंतर्गत रोगी चिकित्सक के पास पहुंच ही नहीं पा रहा है। 

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हमारे पास जब यह समस्या पहुंची तो हमने डाउजिंग विद्या के माध्यम से दूर बैठे उस व्यक्ति की समस्या का मूल कारण जाना। युवाओं में बहुत ऊर्जा होती है। यदि यह ऊर्जा सही दिशा में ना लगाई जाए तो वह मानसिक वेदना पैदा कर देती है। कई लोग क्रोध के रूप में इस ऊर्जा को निकाल देते हैं। वहीं कई लोग अपने भीतर मन व शरीर दोनों को इस ऊर्जा से क्षति पहुँचाते हैं। धीरे-धीरे ऐसे व्यक्ति की नैसर्गिक सूर्य ऊर्जा समाप्त हो जाती है। वह अवसाद का शिकार होकर सिरदर्द व अनिद्रा की समस्या का शिकार हो जाता है। 

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समस्या का मूल कारण जान हमने टेलीपैथिक हीलिंग चार्जर पर काकड़सिंगी नामक औषधि से उस व्यक्ति की सूर्य ऊर्जा की कमी को पूरा किया।  इस उपचार में यह बहुत आवश्यक होता है कि रोगी व हीलर के बीच बातचीत द्वारा निरंतर संपर्क बना रहे। साथ ही हम भी पेंडुलम द्वारा उसके उपचार की गति को प्रतिशत मे मापते रहे। 

इस उपचार को और प्रभावशाली बनाने के लिए हमने परिजात, पदमकाष्ट जैसी अन्य प्रभावशाली  औषधियों का भी प्रयोग किया।

कुछ एक-दो हफ्ते में वह युवा इस समस्या से मुक्त हो पाया। उसके सहयोग व हमारे निरंतर प्रयास से वह युवा आज पुनः अपनी स्वस्थ मानसिक शक्ति के साथ मौजूदा स्थितियों को समझ कर आगे बढ़ने की योजना बना रहा है। 

ऐसे अनेकों रोग हैं जिनको आयुर्वेदिक टेलीपैथी द्वारा समाप्त किया जा सकता है।

सही समय पर सही उपचार करना अति आवश्यक होता है।

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