ज्योतिष में कुंडली के द्वादश भाव को व्यय एवं हानि का भाव कहा जाता है। यह अलगाव एवं अध्यात्म का
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कुंडली में चतुर्थ भाव– घर, खुशी और समृद्धि का भाव
जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव को प्रसन्नता या सुख का भाव कहा जाता है। इसे माता के भाव के तौर
कुंडली में तृतीय भाव– संसार से संवाद का माध्यम
जन्म कुंडली में तृतीय भाव को वीरता और साहस का भाव कहा जाता है। यह हमारी संवाद शैली और उद्देश्यों
कुंडली में द्वितीय भाव – धन-धान्य और मौक़ों का द्वार
कुंडली के 12 भावों में से द्वितीय भाव को कुंटुंब भाव और धन भाव के नाम से जाना जाता है।
कुंडली में प्रथम भाव – स्वयं को जानने का मार्ग
जन्म कुंडली में प्रथम भाव यानि लग्न का विशेष महत्व है। हिन्दू ज्योतिष शास्त्र की उत्पत्ति ऋग्वेद से हुई है,
कुंडली सॉफ्टवेयर ऍप का धमाका! अब तक 50 लाख डाउनलोड्स
देश और दुनिया की #1 ज्योतिष वेबसाइट एस्ट्रोसेज अपनी सफलता का एक और जश्न मना रही है। एस्ट्रोसेज के कुंडली