15 अगस्त 2023 – उभरते भारत का 77वां गौरवशाली स्वतंत्रता दिवस

15 अगस्त 2023 जगद्गुरु भारत का गौरवशाली 77 वां स्वतंत्रता दिवस (15th August, 2023, the 77th Independence Day of India) सभी भारतीयों के लिए गौरव का राष्ट्रीय पर्व है और इसे प्रत्येक भारतवासी पूरी आन, बान और शान के साथ मनाने की तैयारी कर रहा है। हमारे देश को आजादी मिले लंबा अरसा बीत गया है लेकिन हम अपनी सभ्यता, अपने संस्कार और अपनी जड़ों को अभी तक संभाल कर रखे हुए हैं और यही हमारी सबसे बड़ी शक्ति है, जो विश्व पटल पर हमारे देश भारत को सिरमौर बना रही है। भारत की स्वाधीनता की इस 77वीं वर्षगांठ पर ज्योतिष और कुंडली के माध्यम से जानिए कि क्या कहता है भारत का भविष्य, कैसा होगा भविष्य का भारत। देश भक्ति के इस महान पावन राष्ट्रीय पर्व पर पढ़िए हमारा यह लेख और जानिए कि 15 अगस्त 2023 से आने वाले एक वर्ष में कैसी होगी उभरते हुए जगतगुरु भारत की विश्व के समक्ष तस्वीर! किन क्षेत्रों में भारत का डंका बजेगा और किन क्षेत्रों में भारत के लिए चुनौतियां प्रस्तुत होने वाली हैं। इसके अतिरिक्त यदि आपके मन में भी कोई प्रश्न उमड़ रहा है तो अपने उस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए अभी यहां क्लिक करें और हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषियों से परामर्श पाएं।

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जहां डाल डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा, वह भारत देश है मेरा.. कहकर अपने देश का गुणगान करने वाले हमारे रणबांकुरे जवानों को और उन वीर स्वतंत्रता सेनानियों को शत-शत नमन जिन्होंने भारत देश को अंग्रेजों की गुलामी और उनकी दासता से मुक्त कराने के लिए अपने जीवन की आहुति तक दे दी थी। 15 अगस्त की तारीख विश्व इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण तारीखों में से एक मानी जाती है क्योंकि इसी दिन भारत को अंग्रेजों की दास्तां से मुक्ति मिली थी। आज भारत पूरे विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करता है जो निश्चित रूप से एक गौरव का विषय है। ऐसे में हमें उन लोगों के बलिदान को नहीं भुलाना चाहिए जिन्होंने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया यह सोचकर कि उनकी आने वाली पीढ़ियां स्वतंत्र भारत को देख सकेंगी। आज हमारा अपना तिरंगा झंडा है जो हमें स्वतंत्र होने का अभिमान देता है। हमारे लिए गर्व का पल होता है जब हम अपने तिरंगे को लहराते हैं इसलिए इस पर्व को प्रत्येक भारतवासी को पूर्ण हृदय से स्वीकार करते हुए मनाना चाहिए और जब हर एक भारतवासी दिल से इस दिन को मनाएगा तभी वास्तव में स्वतंत्रता दिवस अपने सार्थक रूप में प्रत्यक्ष हो पाएगा। 

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15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस एक ऐसा दिन है जब हमें यह प्रण लेना चाहिए कि एक भारतवासी के रूप में हम अपने देश के लिए क्या कर रहे हैं और आगे क्या कर सकते हैं। जात-पात का भेदभाव और अमीर गरीब की खाई मिटाकर देश में असमानता को खत्म करने पर हमें ध्यान देना चाहिए। भले ही आजादी का जश्न निश्चित तौर पर मनाना चाहिए लेकिन उस दौरान हमारे जीवन में, हमारे समाज में और हमारे राष्ट्र में आ रही विसंगतियों पर भी ध्यान देना चाहिए। असमानता को दूर करने पर भी ध्यान देना चाहिए और सांप्रदायिकता, भ्रष्टाचार, देश की शांति को खतरे में डालने वाली समस्याओं, आपसी भाईचारे को नष्ट करने वाली सोच और आर्थिक असमानता को दूर करने का भी प्रयास करना चाहिए। प्रत्येक भारतवासी को राष्ट्र निर्माण में योगदान देना चाहिए, चाहे वह किसी भी रुप में क्यों ना हो। इसी से हम अपने भारतवर्ष को एक मजबूत और सुदृढ़ राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ा पाएंगे और यह केवल सभी भारतवासियों के सम्मिलित प्रयास से ही संभव है। इसके लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि हम अपने संविधान में भरोसा रखें और अपने अधिकारों से पूर्व अपने कर्तव्यों के बारे में जानकारी प्राप्त करें और उन्हें पूरा करने की निरंतर कोशिश करते रहें।  

बृहत् कुंडली से आपको अपने जीवन में ग्रहों के प्रभाव को समझने में मदद मिलेगी। 

सारी दुनिया को कोरोना वायरस जैसी महामारी के समय न केवल स्वयं को संभालते हुए बल्कि औरों की मदद करते हुए भारत ने पूरी दुनिया में अपना एक अलग मुकाम बनाया है। आज हथियारों से लेकर दवाईयां तक भारत निर्मित हैं और यही हमारी शक्ति है जो विश्व पटल पर दिखाई दे रही है। भारत ने न केवल रक्षा क्षेत्र बल्कि अर्थव्यवस्था, व्यापार, कृषि, शिक्षा, आदि के क्षेत्र में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है। देश के अंदर अनेक योजनाओं का क्रियान्वयन हुआ है और यातायात सुगम हुआ है। देश में इंफ्रास्ट्रक्चर की भी बहुत ज्यादा तेजी से वृद्धि हुई है। मेट्रो ट्रेन हो या भारतीय रेल, वंदे भारत हो या रैपिड रेल, सब जगह भारत में प्रगति और उन्नति की नई गाथा लिखी गई है। आज हम चंद्रयान को भी चंद्रमा पर उतरते हुए देखने की उम्मीद कर रहे हैं। भारत में आजादी के बाद के इन वर्षों में अपनी मेहनत, ईमानदारी, निष्पक्षता और वसुधैव कुटुंबकम की नीति का पालन करते हुए न केवल देश के भीतर बल्कि विश्व के अंदर अपना एक विशेष स्थान बनाया है। 

केवल अच्छाइयों को याद करना ही आवश्यक नहीं, इस स्वतंत्रता दिवस पर हमें यह भी देखना चाहिए कि किन-किन क्षेत्रों में हम अभी भी पीछे हैं। हमारे देश में आज भी गरीबी है। बहुत से ऐसे लोग हैं जो आज भी भूखे पेट सो रहे हैं। देश में अशिक्षा, बेरोजगारी, आर्थिक असमानता, जात पात का भेद, जनसंख्या वृद्धि और संसाधनों का दुरुपयोग तथा भ्रष्टाचार जैसी अनेक बड़ी समस्याएं अभी भी मौजूद हैं, जिन्हें जड़ से मिटाना अत्यंत आवश्यक है तभी हम वास्तव में एक महान राष्ट्र के राष्ट्रवादी होने का गौरव प्राप्त कर पाएंगे इसलिए हमें भारत के इस 77 वें स्वतंत्रता दिवस पर यह ध्येय बनाना चाहिए कि हम अपने इस देश को आगे बढ़ाने में अपना पूर्ण योगदान देंगे और एक आदर्श नागरिक बनेंगे। आइये अब जानते हैं एस्ट्रोगुरु मृगांक के द्वारा स्वतंत्र भारतवर्ष की  कुंडली के अनुसार देश के लिए आने वाला यह एक वर्ष कैसा रहने वाला है?

डिजिटल युग में स्वतंत्र भारत की बुलंद तस्वीर और भविष्य का भारत 

आमतौर पर ऐसा कहा जाता है कि जन्म कुंडली तो उनकी होती है जिनका जन्म होता है। भारत तो प्राचीन काल से ही विद्यमान रहा है और इसका कोई ओर छोर नहीं है। भारत की प्रभाव राशि मकर है और यह शनि प्रधान देश है। शायद यही कारण है कि देश में शारीरिक मेहनत करने वाले लोग अधिक मात्रा में पाए जाते हैं जो हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं और भारत से जाकर विश्व के अन्य देशों में भी अपनी मेहनत का लोहा मनवाते हैं। औपनिवेशिक दासता से मुक्त होने के बाद 15 अगस्त 1947 के मध्य रात्रि में भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा मिला था इसलिए हम स्वतंत्र भारत की जन्म कुंडली उसी समय के आधार पर निर्मित करते हैं और उसी के आधार पर आने वाले वर्षों में देश की दशा और दिशा कैसी रहेगी, इस पर ध्यान दिया जाता है। 

स्वतंत्र भारत वर्ष की कुंडली

  • उपरोक्त कुंडली स्वतंत्र भारत की कुंडली है जिसमें वृषभ लग्न उदित हो रहा है। 
  • लग्न में राहु महाराज विद्यमान हैं जो कि उनकी एक मजबूत राशि है।
  • स्थिर लग्न होने के कारण भारत एक अखंड देश के रूप में अपनी मान्यता प्राप्त किए हुए है और अपना अस्तित्व बनाए हुए है।
  • दूसरे भाव में मिथुन राशि के मंगल महाराज विराजमान हैं और इसी कारण अक्सर हमारे देश के प्रधान नेताओं के शब्दों में गर्व झलकता है।
  • तीसरे भाव में कर्क राशि में शुक्र (अस्त), बुध, सूर्य, चंद्रमा और शनि (अस्त) युति संबंध में हैं। इसी वजह से हमारे बहुत सारे पड़ोसी देश हैं।
  • छठे भाव में तुला राशि में देव गुरु बृहस्पति विराजमान हैं। 
  • सप्तम भाव में वृश्चिक राशि के केतु उपस्थित हैं।
  • यदि नवमांश कुंडली को देखें तो, उसमें लग्न कुंडली का एकादश भाव उदित होता है यानी कि मीन लग्न उदित होता है जिसमें सूर्य महाराज विराजमान हैं और यही वजह है कि भारत का डंका पूरे विश्व में बज रहा है।
  • नवमांश में दशम भाव में मंगल महाराज का विराजमान होना और एकादश भाव में शनि और शुक्र का स्थित होना भारत के संकल्प, दृढ़ निश्चय और अर्थव्यवस्था में वृद्धि तथा सैन्य क्षेत्र में मजबूती का परिचायक है।
  • स्वतंत्र भारत की कुंडली में अनेक ग्रहों जैसे कि शनि, बुध, केतु, शुक्र और सूर्य की महादशा बीत चुकी है और अब चंद्रमा की महादशा चल रही है। यह दशा सितंबर 2025 तक प्रभावी रहने वाली है। 
  • वर्तमान समय में इसी चंद्रमा की महादशा के अंतर्गत शुक्र की अंतर्दशा चल रही है जो कि 11 मार्च 2025 तक प्रभावी रहेगी। इस प्रकार, अगले पूरे वर्ष चंद्रमा की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा और विभिन्न ग्रहों की प्रत्यंतर दशाओं का प्रभाव देखने को मिलेगा।
  • चंद्रमा स्वतंत्र भारत की कुंडली के तीसरे भाव के स्वामी होकर तीसरे ही भाव में शनि के नक्षत्र पुष्य में विराजमान हैं। पुष्य नक्षत्र को सभी नक्षत्रों में सर्वाधिक अनुकूल और अच्छा माना जाता है।  
  • इस पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनि महाराज हैं जो भारत की लग्न कुंडली के योगकारक ग्रह हैं और नवम तथा दशम भाव के स्वामी होकर चंद्रमा के साथ ही विराजमान हैं और बुध के नक्षत्र अश्लेषा में स्थित है।  
  • शनि के नक्षत्र स्वामी बुध भी इस कुंडली के लिए अनुकूल ग्रह हैं और दूसरे और पांचवें भाव के स्वामी होकर शनि, चंद्र, सूर्य और शुक्र के साथ तीसरे भाव में ही विद्यमान हैं। 
  • इस प्रकार देखा जाए तो यह दशा भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण दशा साबित हो रही है और आने वाले समय में भी अनुकूल ही साबित होगी। शुक्र ग्रह स्वतंत्र भारत के लग्न के स्वामी और छठे भाव के स्वामी हैं और तीसरे भाव में ही विराजमान हैं तथा वह भी बुध के नक्षत्र अश्लेषा में उपस्थित हैं।
  • यदि हम वर्तमान समय के गोचर को देखें तो शनि का गोचर पूरे वर्ष दशम भाव में रहने वाला है। देव गुरु बृहस्पति का गोचर वर्तमान समय में द्वादश भाव में राहु के साथ चल रहा है।
  • कुंडली के तीसरे भाव से मुख्य रूप से संचार के साधनों, यातायात, देश के पड़ोसी राष्ट्रों और उनके साथ संबंध, शेयर मार्केट आदि के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है।
  • कुंडली का नवम भाव देश की आर्थिक प्रगति, बौद्धिकता और व्यापारिक प्रगति के बारे में बताने के साथ-साथ धार्मिक क्रियाकलापों और देश के न्यायालयों के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
  • यदि कुंडली के दसवें घर की बात की जाए तो उससे वर्तमान सत्तारूढ़ पार्टी, देश की सर्वोच्च संस्थाएं, देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, आदि के बारे में पता लगता है।

(ताजिक वर्षफल कुंडली)

वर्ष प्रवेश तिथि 15 अगस्त 2023 वर्ष प्रवेश समय पूर्वाह्न 11:36:40 बजे की है। 

  • मुंथा कन्या राशि में वर्षफल कुंडली के द्वादश भाव में और स्वतंत्र भारत की मुख्य कुंडली के पंचम भाव में स्थित है। 
  • मुंथा के स्वामी बुध हैं। जन्म लग्न के स्वामी शुक्र हैं और वर्ष लग्न के स्वामी भी शुक्र हैं।
  • अब यदि हम उपरोक्त स्थितियों का अध्ययन करते हैं तो यह पता चलता है कि यह वर्ष भारत वर्ष के लिए अनुकूल रहने की प्रबल संभावना है और भारत की आर्थिक उन्नति में विशेष योगदान देने वाला वर्ष साबित हो सकता है। 
  • इस वर्ष विशेष रूप से शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य होने की संभावना बनी रहेगी। छोटे बच्चों को लेकर कुछ अच्छा होने के योग बनेंगे। महिलाओं के अधिकार और सम्मान में बढ़ोतरी होने के योग बनेंगे और विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने की स्थिति बनेगी। 
  • पड़ोसी देशों से नए व्यावसायिक और व्यापारिक संबंध स्थापित होंगे और जो पड़ोसी देश हमारे देश के प्रति असहिष्णुता की भावना रखते हैं उन्हें दो टूक जवाब भी मिलेगा। देश में विदेशी मुद्रा प्राप्ति के अच्छे योग बनेंगे और विदेशी मुद्रा भंडार में अच्छी बढ़ोतरी होगी। विदेशी लोगों का शेयर बाजार में निवेश भी बढ़ेगा। देश में हवाई यात्रा को लेकर कुछ विशेष नियम बन सकते हैं। धार्मिक स्थलों की रौनक लौटेगी और देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अनेक कार्य होंगे। कई नए पर्यटन क्षेत्रों की घोषणा की जा सकती है। इसके साथ ही कुछ नए करों का प्रावधान भी हो सकता है।
  • चंद्रमा तीसरे भाव के स्वामी होकर तीसरे ही भाव में विराजमान हैं इसलिए भारत को अपने पड़ोसी देशों के क्रियाकलापों में उलझाए रखेंगे, लेकिन कुछ अन्य पड़ोसी देश भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहेंगे। भारत का साहस और पराक्रम बढ़ेगा जिससे वह सभी चुनौतियों का भली प्रकार सामना करने में सफल हो पाएगा।
  • शुक्र लग्न और छठे भाव के स्वामी होकर तीसरे भाव में विराजमान होंगे जिससे अपने देश की जमीन को विरोधियों के कब्जे में आने से रोकने के लिए भारत का पराक्रम लगेगा और भारत वह पराक्रम दिखाएगा भी। प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी होगी और जनता के स्वास्थ्य से संबंधित अच्छी योजनाओं को शुरू किया जा सकता है। 
  • वर्षफल कुंडली के द्वादश भाव में मुंथा होने से देश में खर्च बढ़ेंगे लेकिन इसकी पूर्ति विदेशी निवेश से हो सकती है। इस दौरान विरोधी देशों से संवाद बनाए रखकर उनसे अच्छे संबंध स्थापित करने की कोशिशें जारी रहेंगी। 
  • आगामी चुनावों में वर्तमान सत्तासीन पार्टी को लाभ होने के योग बनेंगे। कुछ ऐसे गठबंधन भी होंगे जिसके बारे में किसी को आज तक उम्मीद ही नहीं है।
  • वोट बैंक की खातिर ऐसे लोग भी सरकार के पक्ष में मतदान करेंगे जिनके बारे में सब यह सोचते हैं कि वह कभी उन्हें वोट नहीं देंगे। इससे सत्तासीन पार्टी के दोबारा सत्ता पर काबिज होने की संभावना बढ़ रही है। 
  • दशम भाव में शनि की उपस्थिति यह बता रही है कि भारत कर्तव्यनिष्ठा के साथ अपने सुदूर उद्देश्यों की पूर्ति में लगा रहेगा और धीरे-धीरे मेहनत करते हुए उन्नति के पथ पर अग्रसर होगा। 
  • देव गुरु बृहस्पति और राहु के द्वादश भाव में गोचर करने से यह पता चलता है कि भारत को विरोधी साजिशों और विदेशी गुप्तचरों से विशेष रूप से सावधानी रखनी चाहिए। वे भारत के अंदर आंतरिक संघर्ष को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

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तनाव के बीच पड़ोसी राष्ट्रों से संबंध

इस दशा में भारत की अपने पड़ोसी देशों से समस्याएं जस की तस बनी रहने वाली हैं, लेकिन भारत इन समस्याओं को मुंहतोड़ जवाब देना जारी रखेगा। अनेक विरोधी देशों से संवाद के स्तर पर बातचीत होती रहेगी। जो लोग भारत की सीमाओं पर अतिक्रमण करने का प्रयास करेंगे, उन्हें मुंहतोड़ जवाब मिलेगा और भारत प्रबल पक्ष के रूप में आगे बढ़ेगा। मुख्य विरोधी चीन अपनी नीतियों से पीछे नहीं हटेगा और वह गुपचुप तरीके से पाकिस्तान का समर्थन करेगा जिससे भारत विरोधी कार्य में पाकिस्तान की गुप्त भूमिका हो सकती है। विशेष रूप से भारत के बीच आंतरिक संघर्ष बढ़ाने में चीन और पाकिस्तान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को हथियार देने से यह समस्या और भी अधिक बढ़ने की संभावना हो सकती है जिसके प्रति भारत को मजबूत कदम उठाने होंगे। इतनी चुनौतियां होने के बावजूद भी भारत अपनी उन्नति की राह पर अग्रसर ही रहेगा और पूरे विश्व में अपनी धाक जमा कर रखेगा और सभी जगह भारत जय जय कार होगी। अमेरिका, ब्रिटेन और रूस जैसे देश भी भारत का लोहा मानेंगे और उसे संयुक्त राष्ट्र के स्थायी सदस्य के रूप में मान्यता देने के लिए पूर्ण प्रयास करेंगे। 

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भारतीय राजनीति में गठजोड़ और संघर्ष

अब यदि उपरोक्त 77 वें वर्ष की कुंडली का अध्ययन करें तो, वर्षफल कुंडली के लग्नेश शुक्र दशम भाव में चंद्रमा की राशि में चंद्रमा और सूर्य के साथ स्थित हैं तथा अस्त अवस्था में हैं। लग्न भाव में केतु उपस्थित हैं जो कि केंद्रीय मंत्रिमंडल का प्रतिनिधित्व करता है। केतु के यहां पर उपस्थित होने के कारण ऐसा प्रतीत होता है कि आने वाला समय केंद्र सरकार के लिए कष्टपूर्ण रहने वाला है और उन्हें अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। सप्तम भाव में राहु और गुरु का योग रहेगा। सरकार को विपक्षी दलों की नाराजगी और उनकी नकारात्मक राजनीति का सामना पल प्रतिपल करना पड़ सकता है। कई मामलों में सरकार को असमंजस का सामना भी करना पड़ेगा।

इस एक वर्ष में देश में आने वाले चुनावों की बात करें तो, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में आने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मजबूती मिलने की प्रबल संभावना है। यदि लोकसभा चुनाव की बात करें तो 15 अगस्त 2024 से शुरू होने वाले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को विजय मिलने की प्रबल संभावना रहेगी। यहां पर अनेक ऐसे लोग सरकार के पक्ष में मतदान करेंगे जिनके बारे में कभी किसी ने सोचा भी नहीं था। यह भारत की राजनीति का एक महत्वपूर्ण दौर होगा जब मुस्लिम पक्ष के लोगों के मतदान के आधार पर भारतीय जनता पार्टी को जीत मिलने के योग बन सकते हैं।

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भारतीय जनमानस और समस्याएं

जनता से संबंधित विभिन्न प्रकार के करो, महंगाई तथा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर को लेकर भारत की जनता परेशान हो सकती है और इसके लिए कोई आंदोलन भी चल सकता है।

व्यापारी वर्ग सरकार की योजनाओं की आलोचना करते हुए नजर आ सकते हैं। पंचम भाव में शनि महाराज विराजमान हैं जो सप्तम भाव, राहु और बृहस्पति को भी देख रहे हैं। इस प्रकार सरकार और विपक्ष एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहेंगे और लोकतांत्रिक प्रणाली की गरिमा को भी आघात पहुंचेगा। भाषा की शालीनता अतीत की बात हो जाएगी। 

पंचम भाव में शनि और एकादश भाव में मंगल और उनके साथ बुध की उपस्थिति शब्दों के कारण या नफरत भरे भाषण के कारण आपस में जनमानस को लड़ा सकती है। देश के अंदर अराजक आंदोलन हो सकते हैं और हिंसा होने की संभावना बन सकती है।

वर्ष फल के अनुसार शनि की दृष्टि लग्न पर भी होगी। यह एक अनुकूल दृष्टि होगी जिसके कारण केंद्र सरकार द्वारा विकास को प्राथमिकता देकर अनेक योजनाओं और नीतियों को क्रियान्वित किया जाएगा और तेजी से उन पर कार्य किया जाएगा।

सामान्य रूप से कहें तो देश में जनसंख्या वृद्धि की समस्या, कट्टरवाद और गरीबी के कारण अनेक जटिल समस्याओं का जन्म हो सकता है जिसके लिए केंद्र सरकार और आम जनता संघर्ष करते हुए नजर आएंगे। लेकिन, इन सभी चुनौतियों के बीच खुशी का समाचार यह है कि भारत प्रगति करेगा और अपने प्रगति पथ पर अग्रसर होकर अपने विरोधियों को धूल चटाते हुए विश्व पटल पर अपनी छवि मजबूत करेगा। अनेक अवरोधों के बावजूद विकास कार्यों में तेजी आएगी, जिनका असर अगले वर्ष से स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगेगा। इन जनकल्याणकारी नीतियों के कारण आने वाले विधानसभा चुनावों में केंद्र सरकार से संबंधित जनों को विशेष सफलता प्राप्त हो सकती है।

इस वर्ष छोटी-छोटी बीमारियों का प्रकोप मौसम के साथ साथ दिखाई देने लगेगा इसलिए सभी को अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए और आवश्यक रोकथाम करने पर ध्यान देना चाहिए।

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इस प्रकार भारत का यह 77वां स्वाधीनता दिवस भारत की नई गाथा लिखेगा। इस वर्ष सैन्य क्षेत्र में भारत की क्षमता और अधिक बढ़ने वाली है और वह कई अन्य देशों को भी सैन्य हथियार मुहैया कराने वाला देश बन सकता है। इसके अतिरिक्त देश में शिक्षा के क्षेत्र में विशेष रूप से अच्छे बदलाव देखने को मिलेंगे और शिक्षा का स्तर सुधरेगा। शिशुओं की जन्म दर को बढ़ाने के लिए और उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए कुछ नई योजनाओं की शुरुआत हो सकती है। इसके अतिरिक्त जनसंख्या नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा। देश के आदिवासी बहुल इलाकों को देश की मुख्यधारा में जोड़ने का प्रयास किया जाएगा और अनेक पर्यटन स्थलों की पुनर्स्थापना और कुछ नए पर्यटन स्थलों की घोषणा हो सकती है। वर्ष 2024 में अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर का निर्माण होगा जो भारत के साथ विश्व के लिए एक महान उपलब्धि के रूप में देखा जाएगा। इससे प्रत्येक भारतवासी गौरवान्वित महसूस करेगा। गरीबों को मुफ्त राशन योजना अभी जारी रह सकती है और अपना घर अपना मकान जैसी योजनाओं पर विशेष ध्यान रहेगा। देश के ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति देखने को मिल सकती है। इस तरह हमारा देश भारत उन्नति की राह पर आगे बढ़ता ही जाएगा। अतः अब हम सभी भारतीय नागरिकों को भी देश की स्वाधीनता की इस 77वीं वर्षगांठ पर स्वयं से यह वादा करना चाहिए कि हम भी अपने देश को एक उत्तम राष्ट्र बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित होकर अपनी ओर से पूरी ईमानदारी से प्रयास करेंगे और इसके लिए छोटे-छोटे प्रयासों से भी पीछे नहीं हटेंगे। वृक्षारोपण और पौधारोपण कार्यक्रमों में भाग लेंगे। प्रदूषण की मात्रा को कम करने में योगदान करेंगे। देश में गरीबों की स्थिति को सुधारने में योगदान देंगे। किसी गरीब बच्चे को पढ़ा कर और किसी भूखे को भोजन करा कर हम अपने मानव धर्म का पालन करेंगे और अपने देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने की पुरजोर कोशिश करेंगे। आइए हम सब मिलकर अपने इस महान भारत देश के 77 वें स्वतंत्रता दिवस के जश्न को मनाते हैं। 

जय हिंद ! जय भारत !!

एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
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