सूर्य ग्रहण 2020: जानें समय और इस दौरान बरतने वाली सावधानी की जानकारी

सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण, दोनों ही घटनाओं को ज्योतिष की दुनिया में महत्वपूर्ण माना गया है। किसी भी ग्रहण का प्रभाव हमारे जीवन में अवश्य ही पड़ता है ऐसे में हमारे लिए ये जानना बेहद ज़रूरी हो जाता है कि कौन सा ग्रहण किस समय लगने वाला है। जानकारी होने की वजह से हम ज़रूरी परहेज कर के खुद को इस ग्रहण के दुष्प्रभाव से अवश्य ही बचा सकते हैं। तो आइये इस आर्टिकल के माध्यम से जानते हैं, साल के आखिरी सूर्य ग्रहण से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें और सूतक काल की जानकारी।

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इस वर्ष के आखिरी सूर्य ग्रहण का समय

14 दिसंबर 2020 सूर्यग्रहण

हिंदू पंचांग के अनुसार साल का यह आखिरी सूर्य ग्रहण मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि दिन सोमवार को 14 दिसंबर 2020 को भारतीय समय के अनुसार शाम 7 बज-कर 03  मिनट से मध्य रात्रि 12 बज-कर 23 मिनट तक रहेगा। यह सूर्य ग्रहण एक पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा तथा वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र में आकार लेगा। यह एक पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा जिसका विस्तृत प्रभाव अनेक स्थानों पर दिखाई पड़ेगा। 

कहाँ नज़र आएगा यह सूर्य ग्रहण?

हिंदू पंचांग के अनुसार यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसके अलावा एशियाई देशों जैसे कि श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, मॉरीशस, अफग़ानिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात और फिजी आदि में भी यह सूर्य-ग्रहण नहीं नज़र आएगा।

तथा उत्तरी अटलांटिक महासागर, अफ्रीका का अधिकांश भाग, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, हिंद महासागर और उत्तरी अमेरिका के देशों में भी यह ग्रहण दृश्य-मान नहीं होगा।

कहाँ आएगा नज़र: दक्षिण अटलांटिक महासागर, अर्जेंटीना, दक्षिण प्रशांत महासागर और चिली में पूर्ण रुप से दिखाई देगा।

इसके अतिरिक्त यह ग्रहण कुछ अन्य जगहों पर आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में भी देखा जाएगा जिनमें पेरू, ब्राजील, उरुग्वे और पराग्वे के कुछ क्षेत्र शामिल हैं। 

क्या है ग्रहण का सूतक काल ? 

ग्रहण चाहे कोई भी हो उसका सूतक काल हमेशा महत्वपूर्ण माना जाता है। सूतक काल ग्रहण लगने से पूर्व की अवधि होती है और सूतक काल ग्रहण के समाप्त होने के बाद पूर्ण होता है। अब बात करें कि, सूतक काल की गणना कैसे की जाती है तो सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण से लगभग चार पहर पहले शुरू हो जाता है। सूतक काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है और मंदिरों आदि के द्वार भी बंद कर दिए जाते हैं। सूतक काल के दौरान पूजा पाठ करना, मूर्तियों को स्पर्श करना, भोजन बनाना, भोजन खाना इत्यादि काम वर्जित माने गए हैं, लेकिन क्योंकि साल का यह आखिरी सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए, भारत में इसका सूतक काल भी लागू नहीं होगा। हालांकि जिन स्थानों पर ग्रहण नज़र आएगा वहां ग्रहण लगने से चार पहर पूर्व सूतक काल शुरू हो जाएगा और सूतक के नियम माने जाएंगे।

जानें कब लगता है ग्रहण?

वैज्ञानिक दृष्टि से ये एक खगोलीय घटना मानी जाती है। जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर गुजरता है तो ऐसी स्थिति को सूर्य ग्रहण कहा जाता है, और वहीं जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है तो ऐसी स्थिति को चन्द्र ग्रहण कहा जाता है। 

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वहीं ज्योतिषियों की अनुसार, हमारे दो ग्रह राहु और केतु समय-समय पर सूर्य और चंद्रमा पर ग्रहण लगाते रहते हैं। इस ग्रहण का प्रभाव सभी 12 राशियों पर सीधे तौर पर अवश्य ही पड़ता है। यही वजह है कि ग्रहण के समय में हमें कई कार्य करने की मनाही बताई गयी है। 

वहीं ग्रहण पूरा होने के बाद घर की साफ़-सफाई और दान व स्नान करने की परंपरा है। माना जाता है कि ऐसा करने से ग्रहण के दौरान घर में आई नकारात्मक उर्जा हट जाती है और हम एक बार फिर से सामान्य जीवन जी सकते हैं।

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ग्रहण से जुड़ी कुछ विशेष मान्यताएं 

  • ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के समय के दौरान हमें खाना-पीना, शोर मचाना या किसी भी तरह का कोई शुभ काम जैसे पूजा-पाठ आदि नहीं करना चाहिए। यहाँ तक की सलाह तो यह भी दी जाती है कि ग्रहण के दौरान मंदिरों के कपाट बंद या परदे गिरा देने चाहिए।
  • इसके अलावा ग्रहण के बारे में दूसरी यह मान्यता है कि सूतक लगने के बाद से गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। ऐसा करना उनके होने वाले बच्चे के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। 
  • ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान कर, घर का शुद्धिकरण करने की भी मान्यता है। ग्रहण के बाद घर में धूप-दिया या अगरबत्ती जलाने की सलाह दी जाती है।
  • माना जाता है कि सूतक से पहले ही खाने की सभी चीजों में तुलसी के पत्ते रख देने चाहिए। हो सके तो ग्रहण से पहले ही सारा खाना खत्म कर दिया जाये लेकिन ऐसा ना हो सकने की स्थिति में तुलसी के पत्ते तो अवश्य ही डाल दें।
  • ग्रहण के दिन दान-पुण्य का काफी महत्व माना गया है।

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इसके अलावा ग्रहण के दौरान रखें सेहत से जुड़ी सावधानियां

  • ग्रहण को कई लोग नंगी आंखों से देखने की गलती कर बैठते हैं। ऐसा करना आपकी आँखों के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो सकता है। ऐसे में ग्रहण को पूरी सावधानी से ही देखें तो बेहतर रहता है। 
  • कई लोग ग्रहण के दौरान उपवास भी रखते हैं लेकिन बीमार और बुजुर्ग लोगों को इस दौरान उपवास ना ही करें तो अच्छा रहता है। हाँ बस इस बात का ख्याल रखें कि उन्हें इस दौरान  ऐसा भोजन दें जो पचने में आसान हो और पेट के लिए भी हल्का हो। 
  • कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान पानी पीने से भी बचना चाहिए, क्योंकि, सूर्य की किरणें न होने के चलते बैक्टिरीया एक्टिव होते हैं। लेकिन अगर घर में कोई बच्चा, या कोई बूढ़ा इंसान या कोई गर्भवती महिला है तो उन्हें सलाह यही दी जाती है कि आप पानी पी लें बस पीने से पहले पानी को हल्का गर्म अवश्य कर लें जिससे बैक्टीरिया मर जाते हैं। 
  • ग्रहण के बाद आप अपनी सामान्य डाइट पर आ सकते हैं. ग्रहण के बाद फल खाना अच्छा साबित हो सकता है, क्योंकि फलों में काफी मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करेंगे और एनर्जी बूस्ट होगी। 
  • ऐसी मान्यता है कि एक बार ग्रहण खत्म हो जाये तब आप कुछ भी बना खा सकते हैं, लेकिन, इसे सेहतमंद बनाने के लिए अच्छा होगा कि इसमें हल्दी का इस्तेमाल किया जाए। हल्दी सौ तरह के रोगों को काटती है।

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आशा करते हैं कि आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज के साथ जुड़े रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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