तुला राशि में सूर्य के गोचर से होगी केतु-सूर्य की युति, मचेगी हलचल?

सूर्य, जो कि धरती पर ऊर्जा के सबसे बड़े स्रोत हैं। ज्योतिष में सूर्य को तारों का जनक माना जाता है। जन्म कुंडली में सूर्य पिता के कारक की भूमिका अदा करते हैं। सिंह राशि के स्वामी सूर्य 17 अक्टूबर 2022 को कन्या राशि से निकल तुला राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। आइए जानते हैं कि तुला राशि के लग्न भाव में सूर्य की स्थिति का जातकों पर क्या प्रभाव पड़ने की संभावना है।

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सूर्य ग्रह और जन्म कुंडली

इसी तरह ग्रहों के राजा माने जाने वाले सूर्य देव का भी ज्योतिष विज्ञान में महत्व विशेष बताया गया है। उनका प्रत्येक गोचर लगभग एक माह यानी 30 दिनों में होता है। चन्द्रमा के बाद सूर्य ही ऐसे ग्रह हैं जो कभी भी वक्री नहीं करते। सूर्य को सरकारी एवं उच्च सेवा, ऊर्जा, पद-प्रतिष्ठा, मान-सम्मान, आत्मा, पिता, नेत्र, आत्मबल, अहंकार आदि का कारक माना गया है। ऐसे में यदि किसी कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत अर्थात बलवान हो तो उस जातक के अपने पिता के साथ संबंध हमेशा बेहतर रहते हैं। साथ ही वो व्यक्ति कार्यक्षेत्र पर उच्च पद प्राप्त करते हुए समाज में भी यश और मान-सम्मान हासिल करता है। जबकि इसके विपरीत यदि किसी कुंडली में सूर्य की स्थिति निर्बल हो या अशुभ हो तो वो व्यक्ति अपने पिता सुख से वंचित रहता है। साथ ही उसे हृदय व नेत्र संबंधी बीमारियां घेर लेती हैं और उसे कार्यस्थल पर अच्छा पद पाने में भी काफी समय लग सकता है।

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सूर्य के कन्या में गोचर से जुड़े कुछ अहम बिंदु पर एक नज़र 

  • तुला राशि पर सूर्य गोचर का प्रभाव

तुला राशि में अपना गोचर करते हुए सूर्य राशि से प्रथम भाव में प्रवेश करेंगे। तुला राशि चक्र की सप्तम राशि होती है, ऐसे में सप्तम राशि के प्रथम भाव में सूर्य की नीच अवस्था जातकों के वैवाहिक जीवन को सबसे अधिक प्रभावित करेगी। आशंका है कि सूर्यदेव आपके अहम में वृद्धि करें, जिसके कारण आप अपने साथी के सक्षम खुद को सर्वश्रेष्ठ रखने के लिए उन्हें बार-बार टोकते दिखाई देंगे। आपकी इस आदत से साथी को आपत्ति हो सकती है। इसलिए अपने स्वभाव में आ रहे नकारात्मक बदलावों के प्रति आपको शुरुआत से ही सावधान रहने की सलाह दी जाती है।  

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  • तुला में होगी केतु-सूर्य की युति  

सूर्य के 17 अक्टूबर को कन्या से निकलकर तुला में गोचर करने पर, वहां पहले से उपस्थित छायाग्रह केतु के साथ उनकी युति बनेगी। वैदिक ज्योतिष में जहाँ सूर्य को जीवन में ऊर्जा और केंद्रीयता का कारक माना गया है। वहीं केतु को तामसिक आदतों व बुराई के अंत और आध्यात्मिक की ओर जाने वाले ग्रह के रूप में देखा गया है। ऐसे में अब इन दोनों ग्रहों का एक साथ युति करना और इस दौरान सूर्य का नीच अवस्था में होना देशभर के लोगों को ज़रूरत से ज्यादा गुप्त और रहस्यमय बनाने वाला है। 

इस स्थिति में नीच के सूर्य की ऊर्जा केतु द्वारा प्रभावित होगी, जिससे कई जातकों को इच्छा अनुसार पद-प्रतिष्ठा प्राप्त करने में कुछ विलंब हो सकता है। 

  • सूर्य पर होगी शनि की दृष्टि 

इसके अलावा 17 अक्टूबर को जब सूर्य देव तुला राशि में गोचर करेंगे, तब मकर में उपस्थित कर्मफल दाता शनि की दशम दृष्टि सूर्य देव पर होगी। शनि की दशम दृष्टि को उच्च दृष्टि माना गया है, ऐसे में इस स्थिति के प्रभाव से गेहूं, जौ, चना, अलसी, सोना, तांबा, तेल आदि में अचानक जबरदस्त उछाल आने के योग बनेंगे। 

इसके अलावा शनि की इस दृष्टि से कई जातकों का अपने पिता के साथ मतभेद संभव है। साथ ही इस दौरान शनि देव जातकों के आत्मविश्वास को कम भी करने वाले हैं।  

सूर्य देव के सकारात्मक लाभों की प्राप्ति के लिए धारण करें  बेल मूल 

ज़रूर करें सूर्य से जुड़े ये सरल उपाय:

  • रोजाना कम से कम एक मिनट तक सूर्य देव के नग्न आँखों से दर्शन करें। 
  • ज्योतिष विशेषज्ञों से उचित सलाह के बाद अपनी ऊँगली में माणिक्य रत्न धारण करें।  
  • तुलसी और केले के पौधे को रोजाना पानी दें। 
  • अपने पिता को गर्म वस्त्र भेंट करें।   
  • सूर्य ग्रह के बीज मंत्र का उच्चारण करते हुए रोज़ाना उन्हें जल अर्पित करें।
  • गुड़ व तांबा किसी भी मंदिर में जाकर दान करें।  
  • श्री आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। 
  • विकलांगों की मदद करें। 
  • विधि अनुसार एक मुखी रुद्राक्ष या 12 मुखी रुद्राक्ष धारण करें। 
  • भगवान विष्णु जी के अवतारों की कथा पढ़ें या सुनें।   
  • उच्च पद की प्राप्ति हेतु आप अपने घर या दफ्तर में सूर्य यंत्र की स्थापित भी कर सकते हैं।
  • गौ सेवा करें और पक्षियों के जोड़े को आजाद करें। 
  • अपनी कुंडली से हर प्रकार के सूर्य दोष की मुक्ति के लिए आप ऑनलाइन सूर्य ग्रह शांति के लिए ऑनलाइन पूजा भी करवा सकते हैं। 
  • सूर्य देव की कृपा पाने के लिए बेल मूल जड़ी को धारण करना भी आपके लिए अनुकूल रहेगा।

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