पुत्र शनि की राशि में सूर्य देव बरसायेंगे कृपा

सूर्य करेंगे अपने पुत्र शनि की राशि मकर में गोचर !  ग्रहों के राजा का गोचर लेकर आएगा ये बड़े बदलाव।

जगत को प्रकाशित करने वाले और जीवन ऊर्जा देने वाले सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर मिलने जा रहे हैं। जी हां शनि की राशि मकर में होने वाला है सूर्य का गोचर और यहीं से शुरू होगा सूर्य देव का उत्तरायण काल।

सूर्य देव का गोचर काफी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह ऋतुओं में परिवर्तन आने का भी द्योतक है। सूर्य का गोचर संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है और जब सूर्य देव मकर राशि में गोचर करते हैं तो इस घटना को मकर संक्रांति के रूप में मान्यता दी जाती है।

कब और किस समय होगा सूर्य का मकर राशि में गोचर 

जगत को आरोग्य प्रदान करने वाले सूर्य देव 15 जनवरी 2020 को बुधवार के दिन प्रातः काल 1:54 बजे मित्र गुरु की राशि धनु से निकलकर अपने पुत्र शनि के स्वामित्व वाली मकर राशि में प्रवेश करेंगे और 13 फरवरी तक इसी राशि में स्थित रहेंगे।

30 साल बाद बनेगा अनोखा संयोग

यूं तो सूर्य का मकर राशि में गोचर हर वर्ष जनवरी के महीने में होता है लेकिन इस बार का यह गोचर कुछ खास संयोग बनाने वाला है। जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे तो बुध वहां पर पहले से ही मौजूद होंगे, जिससे बुधादित्य योग की उत्पत्ति होगी, लेकिन इससे भी ज्यादा खास बात यह है कि लगभग 30 वर्षों के बाद शनिदेव अपनी ही राशि मकर में 24 जनवरी को प्रवेश करेंगे और तब पिता और पुत्र का मकर राशि में मिलन होगा।

वैदिक ज्योतिष में यह एक विलक्षण योग माना जाएगा क्योंकि मकर राशि में शनि का इतने वर्षों बाद लौट कर आना शनि के प्रभाव को बढ़ाएगा और वहीं अपने पिता से उनका मेल आम जन मानस से लेकर देश-विदेश तक अनेक प्रकार के प्रभाव व्यापक रूप से दिखाएगा।

होगा आत्मा और कर्म का अनूठा मेल

यह गोचर कई मामलों में अनूठा साबित होगा क्योंकि जहां सूर्य देव को ज्योतिष में आत्मा का कारक माना जाता है तो वहीं शनि देव कर्म के अधिष्ठाता हैं। ऐसे में इन दोनों का मिलन होने से आत्मा और कर्म का अनूठा संगम होगा, जिसकी वजह से लोग अपने कर्मों के बारे में विचार कर पाएंगे और यदि उनसे भूतकाल में कोई गलत कार्य हुआ है तो उसके प्रति उनके अंदर ग्लानि का भाव भी उत्पन्न होगा और वे उसका प्रायश्चित करना चाहेंगे।

वास्तव में यह समय आपके जीवन का काफी महत्वपूर्ण समय होने वाला है क्योंकि यह वह समय है जब शनिदेव आपको सच्चाई से रूबरू कराएँगे और सूर्य देव आपके अंदर आत्मबोध का दर्शन कराएँगे। इसके परिणाम स्वरूप आप अगर गलत रास्ते पर भी हैं तो आपको सही मार्ग पर चलने के लिए मार्गदर्शन भी मिलेगा। आपके जीवन में विशुद्ध रूप से बदलाव की स्थिति आएगी, जो आपको एक परिपक्व व्यक्तित्व में बदल देगी। सूर्य के मकर राशि में होने वाले इस गोचर के प्रभाव से आपको अपने बड़ों के प्रति सम्मान का भाव रखना सीखना पड़ेगा, तभी आप जीवन में आगे बढ़ पाएंगे और सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ पाएंगे।

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इस गोचर का देश और दुनिया पर प्रभाव 

सूर्य जहां सरकार और राजा को प्रदर्शित करता है, वहीं शनि जनता का प्रतिनिधित्व करता है और प्रजा और लोकतंत्र का कारक है। ऐसे में शनि के साथ सूर्य की युति देश और दुनिया पर काफी व्यापक प्रभाव डालेगी।

हमारे देश भारत की कुंडली जिसे हम स्वतंत्र भारत के नाम से जानते हैं, में सूर्य और शनि तथा बुध का यह संगम सप्तम भाव में होगा जोकि विदेशी व्यापार का भाव भी है। इसके अतिरिक्त इस भाव से आंतरिक एवं विदेशी माम,ले मनोरंजन के साधन, जनता से संपर्क, व्यापारिक संधियों का भी पता चलता है। यह भाव विदेश मंत्रालयों और अन्य राष्ट्रों से संबंध तथा वैश्विक युद्ध तथा विवाद का भी भाव माना जाता है। ऐसे में देश और दुनिया में कुछ संघर्ष की स्थिति का निर्माण हो सकता है, जिसका असर व्यापक रूप से आम जनता पर पड़ेगा।

भारत के विदेश मंत्रालय के द्वारा कई देशों से संबंधों को दोबारा परिभाषित किया जाएगा और कई नए राष्ट्रों से संबंधित स्थापित करने का प्रयास होगा लेकिन कुछ पुराने साथी छूट भी सकते हैं। देश की सरकार को भारी विरोध या तनाव का सामना करना पड़ सकता है। तेल और गैस से संबंधित  कोई नया सौदा हो सकता है।

वहीं दुनिया के लिये देखें तो बड़े बड़े राष्ट्रों के बीच तनाव और युद्ध जैसी स्थितियों का निर्माण हो सकता है। बुध की उपस्थिति वाणी के दोष के कारण एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का कारण बन सकती है। सूर्य जहां पूर्व दिशा का प्रतिनिधित्व करता है तो वही शनि पश्चिम का ऐसे में पूर्व और पश्चिम के देशों के मध्य एक दूसरे को नीचा दिखाने की स्थिति बन सकती है। हालांकि है स्थिति कुछ समय के लिए ही बनेगी लेकिन सभी को स्वयं पर नियंत्रण रखना होगा ताकि स्थितियां विकट ना होने पाएं।

सूर्य की अनुकूलता प्राप्त करने के लिए विभिन्न उपाय

कुंडली में प्रबल सूर्य आपको जहां सरकारी क्षेत्र से सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है, वहीं उत्तम आरोग्य भी प्रदान करता है, इसलिए हम कुछ उपाय बताने जा रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप कुंडली में सूर्य की स्थिति को बेहतर बना सकते हैं:

  • यदि आपकी कुंडली में सूर्य शुभ स्थिति में मौजूद है और आप सूर्य के सकारात्मक प्रभाव अधिकता से प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको माणिक्य रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। माणिक रत्न धारण करने से सूर्य ग्रह मजबूत होता है और आपको अपनी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति करने में सफलता प्राप्त होती है।
  • इसके अतिरिक्त सूर्य की कृपा प्राप्ति के लिए आप एक मुखी रुद्राक्ष भी धारण कर सकते हैं।
  • जो लोग विशेष पूजा में विश्वास रखते हैं उन्हें सूर्य की कृपा प्राप्ति के लिए और अपनी कुंडली में उपस्थित सूर्य के अनुकूल परिणाम प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन नियमित रूप से आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
  • इसके अलावा आप सूर्य देव को प्रतिदिन तांबे के पात्र में अर्घ्य भी दे सकते हैं।
  • आपको रविवार से आरम्भ करके प्रतिदिन सूर्य के बीज मंत्र का जाप करना भी बहुत लाभदायक रहेगा।

सूर्य के गोचर से मनाये जाएँगे विशेष त्यौहार

सूर्य के मकर राशि में गोचर से ऋतु का परिवर्तन होता है और सभी लोग हर्षोल्लास से खेल उठते हैं यहीं से कुछ विशेष त्योहार भी मनाए जाते हैं जिन्हें हम मकर संक्रांति के अतिरिक्त पोंगल और उत्तरायण  के रूप में भी मनाते हैं।

पोंगल का त्यौहार विशेष रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है और तमिलनाडु का यह है एक प्रमुख त्यौहार है जहां इस त्यौहार की काफी धूम होती है केवल इतना ही नहीं श्रीलंका कनाडा अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में रहने वाले तमिल भाषी लोग इस पर्व को बेहद खुशी के साथ मनाते हैं।

सूर्य का उत्तर दिशा की ओर गमन करना उत्तरायण कहलाता है और यही उत्तरायण मकर राशि में सूर्य के प्रवेश से शुरू होता है विशेष रूप से गुजरात और महाराष्ट्र में उत्तरायण का पर्व मनाया जाता है और सभी शुभ कार्य किए जाते हैं इस दिन नदियों में स्नान करने का काफी महत्व है ऐसा भी कहा जाता है की उत्तरायण में मृत्यु होने पर व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और यही वजह है कि महाभारत काल में भीष्म पितामह ने भी उत्तरायण पर ही प्राणों का त्याग किया था।

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