प्रत्येक ग्रह का गोचर हमारे जीवन पर और देश-दुनिया पर कुछ न कुछ प्रभाव डालता है। न सिर्फ मनुष्य बल्कि गोचर से सभी जीव-जंतु प्रभावित होते हैं। यही वजह है कि वैदिक ज्योतिष ग्रहों के गोचर को बहुत ही महत्वपूर्ण मानता है। अब जल्द ही सूर्य का गोचर होने जा रहा है। प्रत्येक महीने सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करता है। सूर्य के गोचर की प्रक्रिया को संक्रांति कहते हैं। सूर्य जिस भी राशि में गोचर करता है, उस संक्रांति को उसी राशि के नाम से जाना जाता है। चूंकि सूर्य जल्द ही कर्क राशि में गोचर करने जा रहा है इसलिए सूर्य के गोचर की इस तिथि को कर्क संक्रांति के तौर पर मनाया जाएगा।
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ऐसे में आज हम आपको इस लेख में सूर्य गोचर से जुड़ी पांच जरूरी बातें बताने वाले हैं।
01 ) कब हो रहा है सूर्य गोचर?
सूर्य इस समय मिथुन राशि में मौजूद है लेकिन साल 2021 के 16 जुलाई को शुक्रवार की शाम को 04 बजकर 41 मिनट पर सूर्य चंद्रमा के स्वामित्व वाली राशि कर्क में गोचर कर जाएगा। सूर्य की कर्क राशि में यह स्थिति 17 अगस्त 2021 को मंगलवार की सुबह 01 बजकर 05 मिनट तक ऐसी ही बनी रहेगी। इसके बाद यह अपने स्वराशि सिंह में गोचर कर जाएगा।
आइये अब आपको सूर्य का वैदिक ज्योतिष में क्या महत्व है, इस बात की जानकारी दे देते हैं।
02 ) सूर्य का वैदिक ज्योतिष में महत्व
सूर्य को वैदिक ज्योतिष में सभी ग्रहों के बीच राजा का दर्जा प्राप्त है। सूर्य सभी प्राणियों के आत्मा कारक माने गए हैं। किस पुरुष की कुंडली में सूर्य पिता के कारक माने गए हैं जबकि किसी महिला की कुंडली में सूर्य पति के कारक होते हैं। सभी बारह राशियों में सिंह राशि पर सूर्य का आधिपत्य होता है। वहीं मेष राशि में यह उच्च होता है जबकि तुला इसकी नीच राशि मानी जाती है।
आइये अब आपको बताते हैं कि यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य मजबूत स्थिति में हो तो उसपर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।
03 ) यदि कुंडली में मजबूत हो सूर्य
यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य शुभ स्थिति में हो तो ऐसे जातक समाज में काफी मान-सम्मान अर्जित करते हैं और उच्च पद पर आसीन होते हैं। ऐसे जातक एक बेहतर गृहस्थ जीवन जीते हैं। सूर्य मजबूत होता है तो उस जातक के पिता के साथ बेहतर रिश्ते होते हैं। महिलाओं के अपने पति के साथ अच्छे रिश्ते के लिए भी सूर्य का मजबूत होना जरूरी है। जिनकी कुंडली में सूर्य मजबूत हो वे जातक समाज में अपना दबदबा कायम करते हैं और महत्वपूर्ण फैसलों में लोग उनसे सुझाव लेना पसंद करते हैं। जिनका सूर्य मजबूत हो वे आत्मविश्वास से भरे होते हैं और सत्य व सद्गुण की राह पर चलते हैं।
आइये अब आपको बताते हैं कि कुंडली में सूर्य कमजोर हो तो जातकों के जीवन पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।
04 ) यदि कुंडली में कमजोर हो सूर्य
सूर्य यदि किसी जातक की कुंडली में कमजोर हो तो उस जातक के अपने पिता के साथ रिश्ते ठीक नहीं रहते हैं। समाज में मान-सम्मान हासिल करने में उन्हें समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति आत्म-केन्द्रित हो जाते हैं और उनके अंदर अहंकार की भावना बढ़ जाती है। इनके अंदर अपने लिए गए फैसलों को लेकर हमेशा संशय बना रहता है। इसके साथ-साथ कमजोर सूर्य की वजह से जातकों को हृदय संबंधी बीमारियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे जातकों को सूर्य शांति के उपाय करने चाहिए।
आइये अब आपको सूर्य को कुंडली में मजबूत करने के उपाय बता देते हैं।
05 ) सूर्य ग्रह शांति उपाय
- कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत करने के लिए जातकों को तांबे के पात्र में गंगाजल के साथ रोली चंदन, लाल पुष्प व अक्षत मिलाकर भगवान सूर्य को प्रतिदिन सुबह में अर्घ्य देना चाहिए।
- रविवार के दिन उपवास रखें। नमक व अन्न ग्रहण न करें। फलाहार रखें। सेंधा नमक का प्रयोग कर सकते हैं।
- प्रतिदिन सुबह में भगवान राम और श्री हरि विष्णु की पूजा करने से भी कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है।
- रविवार के दिन लाल अथवा केसरिया रंग के वस्त्र धारण करें। इससे सूर्य देवता अति प्रसन्न होते हैं।
- रविवार के दिन तांबे का बर्तन, गेहूं, गुड़, लाल पुष्प, खस आदि का दान करें।
- प्रतिदिन सुबह में पिता के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें। महिलाएं अपने पति का सम्मान करें। सरकारी अधिकारियों से विनम्रता के साथ पेश आने से भी सूर्य देवता शुभ फल देते हैं।
- आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें।
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