जब भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलदेव को अपनी भावी पत्नी को हल से दबाना पड़ा था

सनातन धर्म के अनुयायियों ने भगवान कृष्ण की कथा कहानियां तो बहुत सुनी होंगी लेकिन उनके बड़े भाई बलदाऊ (बलदेव) की कहानियां उतनी ज्यादा प्रचलित नहीं है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार थे और उनके बड़े भाई बलदाऊ शेषनाग के अवतार थे। भगवान कृष्ण और बलदाऊ जी दोनों का ही जन्म द्वापर युग में हुआ था लेकिन एक बड़ी ही रोचक बात है जो बलदाऊ जी के विवाह से जुड़ी है। दरअसल बलदाऊ जी का विवाह सतयुग की रेवती नामक कन्या से हुआ था। लेकिन ऐसा हुआ कैसे कि द्वापर युग के किसी पुरुष का विवाह सतयुग की किसी स्त्री से हो? आज हम इस लेख में आपको बलदाऊ जी के विवाह से जुड़ा यही रोचक किस्सा बताने वाले हैं।

जीवन से जुड़ी हर छोटी बड़ी समस्या का समाधान जानने के लिए विद्वान ज्योतिषियों से करें फोन पर बात और चैट

रेवती और बलदाऊ जी का विवाह

पौराणिक कथाओं के अनुसार सतयुग में एक रैवतक नामक राजा हुआ करते थे। राजा रैवतक अत्यंत प्रतापी राजा थे और समस्त पृथ्वी लोक पर उनका राज हुआ करता था। उनकी एक पुत्री थी जिसका नाम रेवती था। राजा रैवतक ने अपनी पुत्री को खूब पढ़ाया लिखाया और उसे हर प्रकार की शिक्षा दी। 

बाद में जब रेवती अपनी युवावस्था में पहुंचीं तो राजा रैवतक को उनके विवाह की चिंता हुई। राजा ने रेवती के विवाह के लिए पूरी पृथ्वी पर सुयोग्य वर की तलाश शुरू कर दी लेकिन उन्हें कोई भी ऐसा तेजस्वी पुरुष नहीं मिला जिसका विवाह रेवती से किया जा सके। ऐसे में राजा रैवतक ने रेवती के विवाह की समस्या का सुझाव भगवान ब्रह्मा से मांगने का निश्चय किया।

राजा रैवतक ने रेवती को साथ में लिया और ब्रह्मलोक पहुंचे। लेकिन जिस समय वो ब्रह्मलोक पहुंचे वहाँ वेदों का पाठ चल रहा था जिसकी वजह से उन्हें भगवान ब्रह्मा से बात करने के लिए एक दिन का इंतज़ार करना पड़ा। जब वेदों का पाठ खत्म हुआ तब राजा रैवतक ने भगवान ब्रह्मा को रेवती के विवाह से जुड़ी समस्या बताई।

राजा रैवतक की समस्या सुनकर परमपिता ब्रह्मा मुस्कुराए और राजा को वापस पृथ्वीलोक जाने को कहा। भगवान ब्रह्मा ने राजा रैवतक को बताया कि जब वो पृथ्वीलोक पहुंचेंगे तो उन्हें वहाँ बलदेव जी मिलेंगे जो रेवती के लिए सबसे योग्य वर साबित होंगे। राजा रैवतक ने जब ब्रह्मा जी के मुख से बलदेव जी का वर्णन सुना तो उन्हें यकीन हो गया कि रेवती से विवाह के लिए बलदेव जी से बेहतर और कोई योग्य पुरुष नहीं हो सकता। 

ये भी पढ़ें : महाभारत की वो घटना जब भीष्म पितामह ने क्रोध में पांडवों के वध की प्रतिज्ञा ले ली थी

लेकिन जब राजा रैवतक वापस पृथ्वीलोक पहुंचे तो वो आश्चर्य में पड़ गए। पृथ्वी लोक पर मौजूद सभी लोगों की लंबाई काफी कम दिख रही थी। ऐसे में उन्होंने एक व्यक्ति से इसकी वजह पूछी तो उस व्यक्ति ने राजा रैवतक को बताया कि ये द्वापर युग है। चूंकि सतयुग में मनुष्य की लंबाई 32 फुट यानी कि 21 हाथ, त्रेतायुग में 21 फुट यानी कि 14 हाथ और द्वापर युग में 11 फुट यानी कि करीब 7 हाथ होती है इस वजह से ही राजा रैवतक को सभी लोग छोटे दिख रहे हैं।

यह जानकर राजा रैवतक विचलित होकर भगवान कृष्ण के पास गए। तब भगवान कृष्ण ने राजा रैवतक की शंका को दूर करते हुए बताया कि जितनी देर में राजा ब्रह्मलोक गए और आए उतनी देर में पृथ्वी पर दो युग बीत चुके हैं। राजा रैवतक ने भगवान कृष्ण के सामने भगवान ब्रह्मा की बात रखी और उनसे पूछा कि ऐसे में जब रेवती की लंबाई-चौड़ाई बलदेव जी से कहीं ज्यादा है तो इनदोनों का आपस में विवाह कैसे संभव है। यह सुनकर बलदेव जी ने रेवती को अपने हल से दबा कर छोटा कर दिया। राजा रैवतक यह देख कर बड़े प्रसन्न हुए और उन्होंने बलदेव जी के साथ रेवती का विवाह कर दिया। इसके बाद उन्होंने खुद संन्यास ले लिया।

हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आया होगा। ऐसे में आप इस लेख को अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ जरूर साझा करें। आपका दिन शुभ हो!

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.