विजयादशमी विशेष: जानें नए कार्यों की शुरुआत के लिए क्यों अहम माना जाता है ये दिन!

हिन्दू सनातन धर्म में शारदीय नवरात्रि को ख़ासा महत्वपूर्ण माना जाता है। हर साल विशेष रूप से शरद नवरात्रि के दसवें दिन विजयादशमी या दशहरा का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन को शास्त्रों में नए कार्यों के शुरुआत के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस साल आने वाले 25 अक्टूबर को विजयादशमी का पर्व मनाया जाएगा। आइये जानते हैं आखिर क्यों इस दिन को किसी भी नए कार्य की शुरुआत करने के लिए अहम माना जाता है। 

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विजयादशमी का महत्व 

हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार विजयादशमी के पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन देवी दुर्गा ने अहंकारी असुर महिषासुर का वध किया था। इसके साथ ही साथ इस दिन को ख़ासा महत्व इसलिए भी दिया जाता है क्योंकि इस दिन ही भगवान् श्री राम ने लंकापति रावण का वध कर माता सीता को उसके चंगुल से रिहा कराया था। इसलिए इस दिन कई जगहों पर रामलीला का आयोजन भी किया जाता है। इसके अलावा विजयादशमी के दिन ही देवी दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन भी किया जाता है। 

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नए कार्यों की शुरुआत के लिए बेहद शुभ माना जाता है ये दिन 

हर साल विजयादशमी आश्विन माह की दशमी तिथि को मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस तिथि को साल के प्रमुख तीन शुभ तिथियों में से एक माना जाता है। इस दिन रावण दहन के साथ ही साथ लोग शस्त्रों की पूजा भी करते हैं। चूँकि इसी दिन विशेष रूप से भगवान श्री राम और देवी दुर्गा ने दो असुरों का वध कर मानव कल्याण का कार्य किया था, इसलिए इस दिन खासतौर से शस्त्र पूजा भी की जाती है। दूसरी तरफ इस दिन को किसी भी नए काम की शुरुआत के लिए बेहद शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि, विजयादशमी से शुरू किये जाने वाले किसी भी काम में व्यक्ति को सफलता जरूर प्राप्त होती है। इस दिन नया वाहन या घर खरीदना भी शुभ फलदायी माना जाता है। 

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विजयादशमी का पर्व व्यक्ति को दस कुरीतियों से निजात दिलाता है 

हिन्दू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व इसलिए भी है, क्योंकि आज का दिन मनुष्य को अपने जीवन से दस प्रकार की कुरीतियों को दूर करने की प्रेरणा देता है। वो दस कुरीतियां मुख्य रूप से हैं लोभ, क्रोध, काम, मोह, अहंकार, आलस्य, हिंसा, चोरी मत्सर। कहते हैं कि, दस सर वाले रावण में ये सभी कुरीतियां व्याप्त थी, और भगवान् श्री राम ने उनका वध कर उन्हें इन सभी कुरीतियों से मुक्ति दिलाई थी। इसलिए दशहरा के दिन रावण को जलाते वक़्त मनुष्य को अपने अंदर की सभी बुरी आदतों का भी त्याग करना चाहिए। 

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विजयादशमी का शुभ मुहूर्त 

विजय मुहूर्त :13:57:06 से 14:41:57 तक

अवधि :0 घंटे 44 मिनट

अपराह्न मुहूर्त :13:12:15 से 15:26:49 तक

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