केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद अब श्री हेमकुंड साहिब के कपाट खुलने की भी तारीख तय हो चुकी है। बीते वर्ष कोरोना वायरस के चलते बंद हुआ है हेमकुंड साहिब का कपाट इस वर्ष 1 जून की जगह 10 मई 2021 को खोला जा रहा है। इससे जुड़ी तमाम तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। बताया जा रहा है क्योंकि बीते वर्ष कोरोना वायरस के चलते श्री हेमकुंड साहिब का कपाट जल्दी बंद कर दिया गया था इसलिए इस वर्ष कपाट जल्दी खोले जाने का फैसला लिया गया है।
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हेमकुंड शब्द की बात करें तो, यह संस्कृत के दो शब्दों से जोड़कर बनाया गया है। हेम और कुंड, जहाँ हेम शब्द का अर्थ होता है बर्फ और कुंड का अर्थ होता है कटोरा।
श्री हेमकुंड साहिब सिखों का प्रमुख तीर्थ स्थल क्यों माना जाता है?
श्री हेमकुंड साहिब को सिख धर्म के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी की तपोस्थली माना जाता है। इसके साथ ही इससे सिख तीर्थ का सबसे मुश्किल तीर्थ स्थल का भी दर्जा प्राप्त है। इसके पीछे की वजह यह है कि, श्री हेमकुंड साहिब 15 हज़ार 200 फ़ीट ऊंचे ग्लेशियर पर स्थित है। श्री हेमकुंड साहिब के बारे में कहा जाता है कि, यहीं पर श्री गुरु गोविंद सिंह ने सालों साल तक महाकाल की पूजा अर्चना की थी और यही वजह है कि, यह तीर्थ स्थल सिख समुदाय के लोगों के बीच बेहद ही प्रसिद्ध है और तमाम मुश्किलों और कठिनाइयों के बावजूद लोग यहां दर्शन के लिए पहुंचते ही हैं।
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श्री हेमकुंड साहिब का इतिहास
श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा सिखों के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में एक माना जाता है। कहा जाता है कि, यहीं पर सिख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने ध्यान साधना की थी। आस्था के साथ साथ श्री हेमकुंड साहिब अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। यह गुरुद्वारा साल के तकरीबन 6 महीने तक भारी बर्फ की चादर के तले ढका रहता है।
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श्री हेमकुंड साहिब के पास एक सरोवर स्थित है जिसे अमृत सरोवर के नाम से जाना जाता है। श्री हेमकुंड साहिब का संबंध पर रामायण काल से जोड़कर देखा जाता है। कहा जाता है यहां स्थित लोकपाल वही जगह है जहां प्रभु राम के भाई लक्ष्मण जी ने ध्यान किया था। गुरु गोविंद सिंह जी ने बिचित्र नाटक नाम से अपनी आत्मकथा में इस जगह के बारे में उल्लेख किया था। माना जाता है उसके बाद से ही यह जगह लोगों की नजर और अस्तित्व में आई थी।
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