17 मई को खोले जायेंगे केदारनाथ धाम के कपाट, यहाँ पढ़ें इससे जुड़ी हर महत्वपूर्ण बात

प्रत्येक महाशिवरात्रि के दिन बात की घोषणा की जाती है कि, केदारनाथ धाम और अन्य धामों के कपाट इस वर्ष किस किस दिन खोले जाने हैं। ऐसे में इस महाशिवरात्रि गुरुवार 11 मार्च के दिन भी इस बात की घोषणा हुई। हिंदू धर्म में सु-प्रसिद्ध चार धाम और करोड़ों लाखों लोगों की आस्था का प्रतीक केदारनाथ धाम के कपाट इस वर्ष 17 मई 2021 को खोले जाने हैं।

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केदारनाथ धाम कपाट खुलने का शुभ मुहूर्त

केदारनाथ धाम का कपाट खोलने की एक पूरी प्रक्रिया होती है जिसका नियमित रूप से पालन किया जाता है। जिसके अंतर्गत इस वर्ष 14 मई को केदारनाथ की डोली केदारनाथ धाम की ओर प्रस्थान करेगी। इसके बाद 14 मई को यह डोली फाटा पहुंचेगी। 15 मई को गौरीकुंड पहुंचेगी और 16 मई की शाम केदारनाथ धाम पहुंच जाएगी। जिसके बाद 17 मई की सुबह मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे। शुभ मुहूर्त की बात करें तो 17 मई सोमवार सुबह 5:00 बजे केदारनाथ धाम के कपाट खोल दिए जाना तय हुआ है।

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कब कब खोले जाएंगे अन्य तीन धाम?

पिछले साल भाई दूज के दिन यानी 16 नवंबर 2020 को भारी बारिश और बर्फबारी के बीच केदारनाथ धाम कपाट बंद कर दिए गए थे जो अब 17 मई को वापस खोले जाने हैं। यह नियम हर साल चलता है। सर्दियों में चारों धाम केदारनाथ, गंगोत्री, बद्रीनाथ, यमुनोत्री, के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और फिर गर्मियां आने पर इन धामों के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए वापस से खोल दिया जाते हैं। 

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बात करें अन्य तीन धाम कब कब खुलने हैं तो बद्रीनाथ धाम केदारनाथ धाम के ठीक 1 दिन बाद यानी 18 मई 2021 को खुलेगा और इसका शुभ मुहूर्त सुबह 4 बजकर 15 मिनट होने वाला है। इसके अलावा गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट प्रत्येक वर्ष अक्षय तृतीया के दिन खोले जाते हैं। इस वर्ष अक्षय तृतीया 14 मई को है। ऐसे में अन्य दो धामों के कपाट 14 मई को खोल दिए जाएंगे।

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केदारनाथ धाम से जुड़ी रोचक बातें

शिवपुराण की कोटिरुद्र संहिता के अनुसार बताया जाता है कि, भगवान विष्णु के नर नारायण अवतार ने बद्रीवन में शिवलिंग बनाकर तपस्या की थी। नर नारायण की तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने उनसे वर मांगने को कहा। तब उन्होंने भगवान शिव से वर के रूप में यह मांग की कि, शिव जी हमेशा यही रहे। क्योंकि शिव जी नर नारायण की भक्ति और तपस्या से प्रसन्न थे इसलिए उन्होंने यही रहने के उनके वर को मान लिया और शिव जी ने कहा कि, इस जगह को केदार क्षेत्र के नाम से जाना जाएगा। बताया जाता है कि, उसके बाद ही भगवान शिव ज्योति के रूप में इस शिवलिंग में ही समा गए थे।

इसके अलावा केदारनाथ के बारे में बात करें तो, हिंदू धर्म के प्रसिद्ध चार धामों में केदारनाथ तीसरा और 12 ज्योतिर्लिंगों में ग्यारहवें स्थान पर देखा जाता है। यह वही स्थान है जहां पर भगवान शिव ने बैल के रूप में पांडवों को दर्शन दिए थे। केदारनाथ का यह मंदिर बेहद ही ऊंचाई पर बना हुआ एक भव्य और खूबसूरत मंदिर है। 

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बताया जाता है हजारों सालों पहले आदि गुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर को बनवाया था। यह मंदिर गौरीकुंड से तकरीबन 16 किलोमीटर दूर स्थित है। हर साल भारी ठंड, बर्फबारी और वातावरण अनुकूल न होने की वजह से ठंड के समय चारों धाम के कपाट को बंद कर दिए जाते हैं और गर्मी के मौसम में वापस चार धामों के कपाट को भक्तों के दर्शन के लिए पुनः खोल दिए जाते हैं।

हम आशा करते हैं कि, आपको यह लेख पसंद आया होगा। अब तक एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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