स्कंद षष्ठी में इस विधि से करें भगवान कार्तिकेय जी को प्रसन्न

स्कंद षष्ठी व्रत 2 नवंबर को है। इस दिन भगवान कार्तिकेय जी की पूजा की जाती है। इस पर्व को ख़ासतौर पर दक्षिण भारतीय राज्यों तमिलनाडु एवं केरल में इस पर्व को धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यहां लोग कार्तिकेय जी को मुरुगन नाम से पुकारते हैं और उनकी पूजा-अर्जना करते हैं। स्कंद पुराण के अनुसार, इस दिन उपवास रखने का विशेष महत्व बताया गया है। आज हम इस ख़बर के माध्यम से स्कंद षष्ठी व्रत के महत्व और इसकी विधि के बारे में जानेंगे।

स्कंद षष्ठी पर्व का महत्व 

धार्मिक मान्यता के अनुसार, स्कंद षष्ठी असुरों के नाश की खुशी में मनाया जाता है। इसलिए इस दिन जो भी भक्त उनकी पूजा-अर्चना सच्ची श्रद्धा से करता है, तो माना जाता है कि भगवान कार्तिकेय उनके हर कष्ट को हरते हैं और उन्हें सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं। हर वर्ष आने वाले इस छह दिवसीय उत्सव में सभी भक्त बड़ी संख्या में भगवान कार्तिकेय के मंदिरों में इकट्ठा होते हैं। 

इस अवसर पर कई जगहों पर भव्य जुलूसों का भी आयोजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त दक्षिण भारत के प्रसिद्ध मंदिर जैसे उडूपी और पलानी हिल्स में बने भगवान सुब्रमण्यम के प्राचीन मंदिर, थिरुपरमकुनरम मंदिर आदि में इस पर्व पर छः दिनों तक विशेष पूजा की व्यवस्था की जाती है। कई जगहों पर विशाल मेले का भी आयोजन होता है।

स्कंद षष्ठी व्रत के नियम

  • जो भी श्रद्धालु स्कंद षष्ठी का उपवास करते हैं उन्हें भगवान मुरुगन का पाठ, कांता षष्ठी कवसम एवं सुब्रमणियम भुजंगम का पाठ अवश्य ही करना चाहिए। 
  • इस दौरान सुबह भगवान मुरुगन के मंदिर में जाकर उनके समक्ष भी पूजा करने का विधान है। 
  • उपवास के दौरान कुछ भी न खाएँ। हाँ आप एक वक़्त भोजन या फलाहार कर सकते हैं। 
  • छः दिनों तक चलने वाले इस पर्व पर सभी छः दिनों तक उपवास करना शुभ होता है। 
  • कई लोग इस पर्व पर उपवास नारियल पानी पीकर भी छः दिनों तक करते हैं। 
  • इस दौरान मनुष्य को झूठ बोलने, लड़ने- झगड़ने से परहेज करना चाहिए। 

स्कंद षष्ठी के दिन इन मंत्रों से करें भगवान मुरुगन की पूजा 

वैदिक शास्त्रों के अनुसार स्कंद षष्ठी के उत्सव के दौरान इन मंत्रों के साथ भगवान मुरुगन की पूजा करना बहुत फलदायक होती है। इन मन्त्रों का जप करने से दाम्पत्य जीवन में सदैव सुख की अनुभूति होती हैं। 

ॐ तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात।

ॐ शारवाना-भावाया नम: ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा, देवसेना मन: कांता कार्तिकेया नामोस्तुते।

यह भी पढ़ें:
जानें क्यों इतना प्रसिद्ध है मुंबई का सिद्धि विनायक मंदिर

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *