वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को “सीता नवमी” का पर्व मनाते हैं। इस साल यह त्यौहार 2 मई, शनिवार के दिन मनाया जाएगा। धर्मग्रंथों के अनुसार इसी दिन माता लक्ष्मी त्रेतायुग में सीता जी का रूप लेकर धरती पर अवतरित हुई थी। माता सीता मिथिला के राजा जनक की ज्येष्ठ पुत्री थी, इसीलिए सीता नवमी को “जानकी नवमी” के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्व पर माँ जानकी के साथ-साथ मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की भी विधिवत पूजा की जाती है। देवी सीता को जानकी, जगत जननी, आदि शक्ति स्वरूपा और मिथिलेश कुमारी आदि नामों से भी जाना जाता है।
जीवन में किसी भी समस्या का समाधान जानने लिए प्रश्न पूछें
सीता नवमी के दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत करती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने पर 16 महान दानों और सभी तीर्थों के दर्शन का फल मिल जाता है। इसके अलावा व्यक्ति को सभी प्रकार के दुखों और रोगों आदि से भी मुक्ति मिलती है और मौजूदा हालात देखते हुए तो हमें सीता नवमी की पूजा और दुनिया में फैली इस महामारी से छुटकारा दिलाने की प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए। यह दिन बहुत ही पुण्यफलदायी होता है, इसीलिए आज इस लेख में आपको बताएँगे कि किस प्रकार आप सीता जी और भगवान राम की विधिवत पूजा कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति कर सकते हैं। साथ ही देंगे आपको सीता जी के जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी जानकारियाँ जिससे आप अभी तक अनजान थे-
रोग प्रतिरोधक कैलकुलेटर से जानें अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता
सीता नवमी पूजा मुहूर्त
इस साल सीता नवमी 2 मई, शनिवार को है। नीचे दी तालिका से जानें साल 2020 में पूजा मुहूर्त।
सीता नवमी पूजा मुहूर्त |
10:58 से 13:38 |
अवधि |
02 घण्टे 40 मिनट् |
नवमी तिथि प्रारम्भ |
मई 01, 2020 को 13:28 से |
नवमी तिथि समाप्त |
मई 02, 2020 को 11:37 तक |
सीता नवमी का महत्व
वैसे तो सीता जी की जयंती वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है, लेकिन भारत के कुछ हिस्सों में यह फाल्गुन कृष्ण अष्टमी को भी मनाते हैं। हालाँकि रामायण में सीता जी के अवतरित होने के लिए दोनों ही तिथियां सही मानी गई हैं। केवल भारत ही नहीं, बल्कि नेपाल में भी लोग सीता नवमी बहुत धूमधाम से मनाते हैं। भगवान श्री राम स्वयं विष्णु, तो माता सीता लक्ष्मी का स्वरूप मानी जाती हैं, इसीलिए राम नवमी की तरह ही सीता नवमी भी बहुत शुभ फलदायी पर्व के रूप में प्रसिद्ध है और इस दिन जो भी व्यक्ति माता सीता और प्रभु श्री राम की पूजा अर्चना एक साथ करता है, उस पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है।
शिक्षा और करियर क्षेत्र में आ रही हैं परेशानियां तो इस्तेमाल करें कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट
कैसे हुआ था माता सीता जन्म?
रामायण में माता सीता के जन्म से जुड़ी कथा का वर्णन किया गया है। कथा के अनुसार मिथिला राज्य में काफी सालों से बारिश नहीं हुई थी। वर्षा के अभाव में मिथिला राज्य के लोग और वहां के राजा जनक बेहद चिंतित थे। ऋषियों ने राजा जनक को सुझाव दिया कि यदि वे स्वयं हाल चलाएँ, तो इन्द्र देव प्रसन्न होंगे और वर्षा हो जाएगी। ऋषियों की बात मानकर राजा जनक ने हल चलाना शुरू किया। अचानक उनका हल एक कलश से टकराया, जिसमें एक बहुत आकर्षक बच्ची थी। राजा जनक निःसंतान थे, इसलिए वे बेहद खुश हुए और उन्होंने उस कन्या को अपना लिया। कन्या का नाम सीता रखा गया। इस प्रकार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को माँ सीता प्रकट हुईं और तब से इस दिन को सीता नवमी या सीता जयंती के नाम से जाना जाने लगा।
रंगीन बृहत कुंडली आपके सुखद जीवन की कुंजी
ऐसे करें सीता नवमी के दिन पूजा
सीता नवमी के दिन श्रीराम और सीता की पूजा करने के साथ-साथ कुछ लोग व्रत भी रखते हैं। सीता नवमी की पूजा की तैयारियाँ एक दिन पहले यानि अष्टमी के दिन से ही शुरू हो जाती हैं।
- अष्टमी के दिन प्रात:काल उठकर घर की साफ-सफाई कर लें।
- पूजा घर या घर के किसी एक स्थान को अच्छे से साफ़ कर गंगाजल का छिड़काव करें।
- साफ सफाई और जगह की शुद्धि के बाद वहां पर एक मण्डप बनाएँ।
- मंडप के बीच में एक आसन पर श्रीराम-जानकी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- नवमी के दिन प्रातः काल स्नान आदि करें और श्रीराम-जानकी की प्रतिमा के सामने एक कलश की स्थापना कर व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद श्रीराम-जानकी की एक साथ विधिवत पूजा करें।
- उन्हें फल, फूल, जल, धूप-दीप, प्रसाद और सिन्दूर आदि अर्पित करें।
- दशमी के दिन विधि-विधान से मंडप विसर्जित कर दें।
- इस प्रकार पूजा करने से श्रीराम और जानकी जी की कृपा बनी रहती है।
इस दिन माता सीता की पूजा में ‘श्री सीतायै नमः’ और ‘श्रीसीता-रामाय नमः’ मंत्र का जाप करना लाभदायी रहता है। सीता नवमी के दिन मंदिरों आदि में कीर्तन किए जाते हैं, लेकिन इस साल लॉकडाउन की वजह से सभी से निवेदन है कि माता सीता की पूजा आप घर पर ही रह कर करें।
हम आशा करते हैं कि सीता नवमी पर लिखा गया यह लेख आपको पसंद आएगा।
एस्ट्रोसेज से जुड़े रहने के लिए आपका धन्यवाद।
कॉग्निएस्ट्रो आपके भविष्य की सर्वश्रेष्ठ मार्गदर्शक
आज के समय में, हर कोई अपने सफल करियर की इच्छा रखता है और प्रसिद्धि के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहता है, लेकिन कई बार “सफलता” और “संतुष्टि” को समान रूप से संतुलित करना कठिन हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में पेशेवर लोगों के लिये कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट मददगार के रुप में सामने आती है। कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट आपको अपने व्यक्तित्व के प्रकार के बारे में बताती है और इसके आधार पर आपको सर्वश्रेष्ठ करियर विकल्पों का विश्लेषण करती है।
इसी तरह, 10 वीं कक्षा के छात्रों के लिए कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट उच्च अध्ययन के लिए अधिक उपयुक्त स्ट्रीम के बारे में एक त्वरित जानकारी देती है।
जबकि 12 वीं कक्षा के छात्रों के लिए कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट पर्याप्त पाठ्यक्रमों, सर्वश्रेष्ठ कॉलेजों और करियर विकल्पों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराती है।