जैसा की आप सभी जानते हैं कि बीते 13 सितंबर से पितृपक्ष या श्राद्धपक्ष की शुरुआत हो चुकी है। हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार पितृपक्ष के 15 दिनों की अवधि में सभी पितरों के लिए पिंडदान और तर्पण की क्रिया करना ख़ासा महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। आज हम आपको एक ख़ास जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पिंडदान की क्रिया करने से एक साथ सात पीढ़ी के पूर्वजों को मोक्ष मिलता है।
इस नदी किनारे पिंडदान करने से मिलता है पूर्वजों को मोक्ष
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पितृपक्ष के दौरान विशेष रूप से पिंडदान की क्रिया किसी पवित्र तीर्थस्थल या पवित्र नदी के किनारे करना लाभदायक माना जाता है। ऐसा ही एक पवित्र नदी है फाल्गु जिसके किनारे पिंडदान करने से सात पीढ़ियों को मुक्ति मिलती है। कहते हैं कि पितृपक्ष के दौरान विशेष रूप से इस नदी में तर्पण की क्रिया करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें वैकुण्ठ लोक में वास मिलता है। पौराणिक काल से ही हिन्दू धर्म में पितरों के आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण की क्रिया करने का विधान है। माना जाता है कि, पितृपक्ष में पूर्वजों के लिए पिंडदान और तर्पण की क्रिया करने से उनका आशीर्वाद परिवार पर हमेशा के लिए बना रहता है। बात करें फाल्गु नदी की तो झारखण्ड के पलागु नदी से निकलने वाली फाल्गु नदी बिहार के गया से बहकर गंगा नदी में समाहित हो जाती है।
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फाल्गु नदी में पिंडदान का महत्व
बता दें कि फाल्गु नदी में पिंडदान का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। वायु पुराण और विष्णु पुराण के अनुसार फाल्गु नदी किनारे पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है और इतना ही नहीं बल्कि सात पीढ़ियों को मोक्ष मिलती है। वायुपुराण के अनुसार फाल्गु नदी को गंगा नदी से भी ज्यादा पवित्र माना जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार फाल्गु नदी को सीता माता ने श्राप दिया था , जिस वजह से फाल्गु नदी आज भी गया में रेत के नीचे ही बहती है। ऐसी मान्यता है कि, यहाँ पिंडदान की क्रिया करने से सात पीढ़ियों की आत्माएं जीवन मरण के चक्र से मुक्त हो जाती है। इसलिए भारत के सभी पितृस्थानों में से विशेष रूप से गया जाकर पिंडदान करने का विशेष महत्व है। यहाँ मौजूद पंडे द्वारा पूर्वजों के लिए तर्पण और पिंडदान की क्रिया संपन्न करवाई जाती है।
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बहरहाल इस पितृपक्ष आप भी गया जाकर अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान की क्रिया जरूर करें। बीते 13 सितंबर से लेकर आने वाले 28 सितंबर में से किसी भी दिन आप गया जाकर पितरों का पिंडदान कर सकते हैं।