माता हरसिद्धि मंदिर : माँ करती हैं भक्तों के हर दुखों का निवारण !

शारदीय नवरात्रि चल रही है और इस दौरान देवी माँ के विभिन्न मंदिरों में भक्तों की असीम संख्या में भीड़ उमड़ रही है। ऐसे ही एक मंदिर के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं जिसे देश भर में व्याप्त हरसिद्धि माता का मुख्य मंदिर माना जाता है। इस मंदिर की ख़ासियत ये भी है कि इसे देश के विभिन्न शक्तिपीठों में से भी एक माना जाता है। आइये जानते हैं हरसिद्धि माता के इस प्रसिद्ध मंदिर के बारे में जहाँ भक्त देवी माँ के पास अपनी हर कामना लेकर जाते हैं। 

उज्जैन में स्थित है हरसिद्धि माता का प्रसिद्ध मंदिर 

यूँ तो देश के विभिन्न हिस्सों में हरसिद्धि माता के तमाम मंदिर हैं लेकिन उनमें से सबसे मुख्य मंदिर उज्जैन में स्थित है। उज्जैन में स्थित हरसिद्धि माता के इस मंदिर की गिनती बेहद प्राचीन मंदिरों में की जाती है। उज्जैन को प्रमुख देवस्थानों में से एक माना जाता है, कहते हैं यहाँ देवी देवताओं के इतने मंदिर हैं की इस शहर की रक्षा के लिए हमेशा उनका पहरा लगा रहता है। इन्हीं में से हरसिद्धि माता का मंदिर भी एक ऐसा ही मंदिर है,  जो अपने भक्तों को हर मुसीबत की घड़ी से उभारती हैं। इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि, यहाँ माता सती के हाथ की एक कोहनी आकर गिरी थी। इसलिए इस मंदिर को विशेष रूप से शक्तिपीठ का हिस्सा भी माना जाता है। हिन्दू पौराणिक ग्रंथों में भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता है। 

देवी माँ के विशेष आशीर्वाद के लिए इस प्रकार से करें साधना !

हरसिद्धि मंदिर का इतिहास 

इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि, यहाँ महाराजा विक्रमादित्य ने देवी की कठोर उपासना की थी। खुद को बलशाली बनाने और देवी माँ का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विक्रमादित्य ने देवी माँ को करीबन ग्यारह बार अपने सिर की बलि दी थी लेकिन हर बार बलि देने के बाद उनका सर वापिस आ जाता था। जब विक्रमादित्य ने बारहवीं बार अपना सिर देवी माँ को अर्पित किया तो वो वपिस नहीं आया। इसके बाद से ही विक्रमादित्य के शासन का अंत हुआ। हालाँकि इस मंदिर में बलि प्रदान की प्रथा नहीं है, यहाँ माता वैष्णवी की पूजा अर्चना की जाती है। 

करोड़ों रुपयों की लागत से बनाई गयी देवी माँ की प्रतिमा, नहीं किया गया मिट्टी का प्रयोग !

ऐसा है हरसिद्धि मंदिर का स्वरुप 

उज्जैन स्थित हरसिद्धि मंदिर में कुल चार प्रवेशद्वार हैं और मंदिर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा की तरफ है। मंदिर के दक्षिण पूर्व हिस्से में एक बावड़ी है जहाँ स्तंभ के साथ ही श्रीयंत्र भी स्थापित किया गया है। इस मंदिर में माता वैष्णवी के साथ ही अन्नपूर्णा देवी की भी पूजा की जाती है। बता दें कि, मंदिर के मुख्य द्वार के समीप ही एक तालाब है जिसे रुद्रसागर के नाम से जाना जाता है। इस तालाब के बीचों बीच एक मंदिर बना हुआ है जिसे अगस्तेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। हरसिद्धि मंदिर में अपनी कामना लेकर आने वाले भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटते हैं। 

दशहरा विशेष : ऐसे शुरू हुई थी रामलीला की परंपरा !

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.