पढ़ें कार्तिक स्नान का पौराणिक महत्व, साथ ही जानें स्नान के दौरान किन बातों का रखना चाहिए ध्यान।

हिन्दू धर्म में कार्तिक स्नान को बेहद महत्वपूर्ण स्नान माना गया है। पुराणों में भी कई जगह आपको इसकी महिमा का बखान सुनने को मिल जाएगा। जिसमें कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान, व्रत व तप को धार्मिक दृष्टि से बेहद लाभकारी मानते हुए मोक्ष प्रदान करने वाला बताया गया है।

कार्तिक स्नान और दान से होती है मोक्ष की प्राप्ति 

स्वयं ‘स्कंदपुराण’ में कार्तिक मास में किया गया स्नान व इस दिन रखे जाना वाला व्रत भगवान विष्णु की पूजा के समान फलदायक कहा गया है। मान्यता अनुसार इस दिन गंगा स्नान, दीप दान, हवन, यज्ञ आदि करने से मनुष्यों को अपने सभी सांसारिक पाप और ताप से मुक्ति मिलते है जिसके चलते उसे मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। ये व्रत सभी पूर्णिमाओं में से बेहद महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में इस दिन किए जाने वाले अन्न, धन एवं वस्त्र दान से कन्या दान व 100 यज्ञ के समान फलों की प्राप्ति होती है। 

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मृत्यु के पश्चात मिलता है स्वर्ग 

विद्वानों अनुसार माना जाता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन दिल खोलकर स्नान के बाद दान करता है उसपर देवी-देवताओं की सदैव कृपा बनी रहती है। साथ ही उसके लिए स्वर्ग में संरक्षित रहता है जिसकी प्राप्ति मृत्यु लोक त्यागने के बाद उसे स्वर्ग में होती है। चलिए जानते हैं आखिर इस दिन आपको क्या-क्या करना चाहिए:-

-कार्तिक पूर्णिमा के दिन व्रती को ब्राह्मण भोजन कराने, हवन कराने व दीपक जलाने चाहिए।  इससे उसे अत्याधिक फलों की प्राप्ति होती है। 

-शास्त्रों अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसी पवित्र नदी, कुंड व सरोवर एवं धर्म स्थान में जैसे: गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, गंडक, कुरूक्षेत्र, अयोध्या, काशी आदि में जाकर स्नान करने का विधान है। ऐसा करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है।

– इसके साथ ही इस विशेष दिन भेड़ दान करने का भी विधान है। माना जाता है कि ऐसा करने से कुंडली में मौजूद ग्रहयोग के कष्टों का नाश होता है। 

-इस दिन कन्यादान करने से ‘संतान व्रत’ पूर्ण होता है और व्यक्ति को कन्यादान का फल मिलता है।

-कार्तिक पूर्णिमा के दिन कार्तिक स्नान के बाद चंद्रोदय होने पर शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा सभी 6 कृतिकाओं का पूजन भी करना चाहिए।

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-अगर मुमकिन हो तो यमुना जी पर कार्तिक स्नान की समाप्ति करके राधा-कृष्ण का पूजन कर घाट पर दीपदान, शय्यादि का दान तथा ब्राह्मण भोजन की प्रक्रिया कर चंद्र अर्घ देना चाहिए।

-इस दिन व्यक्ति को पूरा दिन व्रत रखकर रात्रि में वृषदान यानी गाय का बछड़ा या नंदी यानी बैल दान करना चाहिए। इससे व्रती को शिवपद की प्राप्ति होती है। 

-मान्यता अनुसार जो व्यक्ति इस दिन निर्जल रहकर उपवास कर भगवान शिव और मां पार्वती अर्चना व पूजा करता है उसे अग्निष्टोम नामक यज्ञ के समान फलों की प्राप्ति होती है। 

-इस दिन स्नान, दान करने से सूर्यलोक की भी प्राप्ति होती है।

-यदि कोई व्यक्ति व्रत करते हुए स्नान के बाद गाय, हाथी, घोड़ा, रथ, घी आदि का दान करता है तो उसकी हर प्रकार की आर्थिक समस्या दूर होती है। 

-शास्त्रों अनुसार ये भी कहा गया है कि कार्तिक पूर्णिमा से प्रारम्भ करके प्रत्येक पूर्णिमा को रात्रि में व्रत और जागरण कर भगवान का गुणगान करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।

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