28 जुलाई को कामिका एकादशी व्रत रखकर पा सकते हैं ये ख़ास लाभ!

आने वाले 28 जुलाई को सावन का पहला एकादशी व्रत है जिसे कामिका एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म में वैसे तो हर माह आने वाले एकादशी का ख़ास महत्व है लेकिन सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विशेष महत्व दिया जाता है। मान्यता है कि भगवान् श्री विष्णु को प्रसन्न करने के लिए केवल एकादशी का व्रत रखना ही काफी है। आज हम आपको कामिका एकादशी व्रत का महत्व, लाभ और पूजा विधि के बारे में बताने जा रहे हैं। 

कामिका एकादशी व्रत का महत्व 

सनातन हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कामिका एकादशी के दिन व्रत रखने से व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्ति पा सकता है। चूँकि ये एकादशी सावन माह में आती है इसलिए आज के दिन भगवान् विष्णु की पूजा अर्चना के साथ ही शिव जी की आराधना का भी विशेष महत्व है। आज के  दिन व्रत रखने से आपको बहुत से अभिन्न पुण्य मिल सकते हैं। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कामिका एकादशी के दिन व्रत रखने से आपको वाजपेय यज्ञ जितना लाभ मिल सकता है। 

कामिका एकादशी पूजा विधि 

कामिका एकादशी व्रत की पूजा विधि मूल रूप से दशमी से ही शुरू हो जाती है। यदि आप इस दिन व्रत रखते हैं तो आपको मुख्य रूप से सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए। इस दिन सबसे पहले सूर्योदय से पहले उठकर भगवान् विष्णु की पूजा अर्चना करें। इसके लिए आपको धूप दीप के साथ ही फूल और प्रसाद का भी प्रयोग करना चाहिए। इसके साथ ही साथ व्रती को एकादशी व्रत कथा का पाठ करना चाहिए या कथा सुननी चाहिए। भगवान् विष्णु के मंत्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना भी लाभदायक साबित हो सकता है। व्रत के रात में पूरी रात जागरण करना भी शुभ फलदायी माना जाता है। इसके साथ ही यदि कामिका एकदशी एक दिन भगवान् विष्णु की पूजा तुलसी के पत्तों से की जाए तो इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

कामिका एकादशी के लाभ 

हमारे शास्त्रों में ऐसा लिखा है कि कामिका एकदशी के दिन व्रत रखने से व्रती को भू दान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। जो पुण्य व्यक्ति को गौ दान से मिलता है वही आज के दिन व्रत रखने से भी प्राप्त होता है। इसके अलावा इस दिन व्रत रखकर भगवान् श्री विष्णु और शिव जी की पूजा करने से सभी देवताओं के पूजा का फल प्राप्त होता है। इस एकादशी व्रत को रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और मनुष्य को जीवन में किसी भी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता। इस व्रत के सभी नियमों का पालन कर आप उपरोक्त सभी फलों को प्राप्त कर सकते हैं।

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