आज 03 अगस्त को देश भर में रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जा रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार रक्षाबंधन के त्यौहार को विशेष रूप से वैदिक रूप से मनाना बेहद शुभ माना जाता है। आजकल आधुकिन दौड़ में इस त्यौहार को मनाने की विधि में भी आधुनिकता देखी जा सकती है। आज बहनें अपने भाई की कलाई पर रंग बिरंगी और फैंसी राखियां बांधना पसंद करती हैं। कुछ बहनें सोने और चांदी से बनी राखियां भी भाई की कलाई पर बांधती हैं। जबकि भाई की कलाई पर वैदिक राखी बांधना ज्यादा शुभ माना जाता है। आइये जानते हैं वैदिक राखी बनाने की विधि, इसका महत्व और लाभों को।
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भाई की कलाई पर वैदिक राखी बाँधने का महत्व
हमारे शास्त्रों के अनुसार रक्षाबंधन के पावन त्यौहार को वैदिक रीति रिवाज़ से मनाना ज्यादा शुभ माना गया है। मान्यता है कि यदि रक्षाबंधन का त्यौहार वैदिक रिवाज से मनाया जाए तो इससे भाई के जीवन में सफलता आती है और जीवन सुखमय बीतता है। बता दें कि वैदिक राखी मुख्य रूप से पांच चीज़ों को मिलाकर बनाई जाती है। घास, चावल, चंदन, सरसों और केसर को मिलाकर वैदिक राखी का निर्माण किया जाता है जिसे भाई की कलाई पर बांधना बेहद शुभ माना जाता है। इस राखी को बनाने में प्रयोग की जाने वाली इन पांच वस्तुओं का भी विशेष महत्व हैं। इन पांच चीजों को एक रेशम के कपड़े में बाँध कर उसके साथ कलावा पिरो कर भाई की कलाई पर बांधा जाता है। इसे आप अपने घर पर भी बहुत ही आसानी से बना सकते हैं।
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जानिए इन पांच चीज़ों के विशेष महत्व को
घास: घास या दूर्वा का प्रयोग हमारे हिन्दू धर्म में अमूमन सभी शुभ कार्यों में विशेष रूप से किया जाता है। वैदिक राखी में दूर्वा का प्रयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि जिस प्रकार से एक घास या दूर्वा को जमीन में बो देने से हज़ारों घास उग आती है उसी प्रकार से बहन इस राखी को अपने भाई की कलाई पर बांधते वक़्त उसकी उम्र भी दूर्वा की भाँती बढ़े और जीवन में उसे इसी प्रकार सफलता मिले इस चीज की कामना करती है। दूर्वा का प्रयोग जीवन में सदाचार को कायम रखता है और गणेश जी का आशीर्वाद भी प्रदान करता है।
चावल: चावल या अक्षत का प्रयोग वैदिक राखी में इसलिए किया जाता है ताकि भाई-बहन का एक दूसरे के प्रति श्रद्धा भाव में कमी ना आये और दोनों हमेशा अक्षत रहें यही की परस्पर एक दूसरे के प्रति सम्मान बना रहे।
चंदन: चंदन का प्रयोग वैदिक राखी में करने का अर्थ है कि जिस प्रकार से चंदन शीतलता और सुगंध प्रदान करती है उसी प्रकार से भाई के जीवन में सुख शांति बनी रहे। उसे किसी प्रकार का मानसिक तनाव ना हो और जीवन में संयम बना रहे।
केसर : केसर को तेज का स्वरुप माना गया है, लिहाजा इसका प्रयोग वैदिक राखी में करने का अर्थ है की केसर की भाँती ही भाई का जीवन भी तेजस्वी बनें। उसके जीवन में कभी किसी चीज़ की कमी ना आये।
सरसों के दाने : चूँकि सरसों की खुशबू काफी तेज होती है, लिहाजा इसे राखी में इसलिए बाँधा जाता है ताकि भाई की हमेशा बुरी नजर और दुखों से रक्षा हो सके।
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