शुरू हुई मंगल-शुक्र की युति, अब इन 4 राशि के प्रेम जीवन में आएगा जोश !

ज्योतिष में कुंडली के किसी भी भाव में दो या दो से अधिक ग्रहों का एक साथ बैठना युति कहलाता है। इस स्थिति में जहाँ एक साथ तीन ग्रह युति करते हैं तो वो त्रिग्रही योग कहलाता है, जबकि चार ग्रहों के साथ में युति करने पर चतुर्ग्रही योग बनता है। इसके अलावा पांच ग्रहों का युति करना पंचग्रही योग कहलाता है। इसी क्रम में आज हम आपको बताएंगे 7 अप्रैल 2022 हो हुई कुंभ राशि में मंगल-शुक्र की युति के बारे में विस्तार से। 

शुक्र-मंगल की युति से रहती है कामवासना की अधिकता 

मंगल ग्रह ने बीते 7 अप्रैल 2022, गुरुवार के दिन दोपहर 02 बजकर 24 मिनट पर अपनी उच्च राशि मकर से कुंभ राशि में अपना गोचर किया, जहां उनकी युति वहां पहले से मौजूद शुक्र देव के साथ हुई। ज्योतिष विशेषज्ञों अनुसार किसी भी जातक की कुंडली में लाल ग्रह मंगल और भौतिक सुखों के देवता शुक्र एक-साथ उपस्थित होते हुए युति बनाते हैं तो, इसके परिणामस्वरूप उस जातक का मन काम वासना की ओर अधिक रहता है। 

विद्वान ज्योतिषियों से करें फ़ोन पर बात और अपने जीवन की हर समस्या का पाएं समाधान! 

ऐसे में यदि ये युति प्रबल हो तो इससे जातक के जीवन में काम वासना अत्यधिक तीव्रता वाली भी हो सकती है और इस कारण जातक न चाहते हुए भी यौन गतिविधियों में खुद को डूबा हुआ पाता है और जब तक ये युति रहती है तब तक उसके लिए खुद पर नियंत्रण रखना खासा चुनौतीपूर्ण सिद्ध होता है।

ज्योतिष में मंगल और शुक्र 

वैदिक ज्योतिष में लाल ग्रह मंगल को अग्नि का कारक तत्व प्राप्त है और उसे तेज और ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। मंगल मनुष्य के शरीर में रक्त के प्रवाह को भी प्रभावित करता है। जबकि शुक्र जल कारक तत्व ग्रह होने के साथ-साथ सौंदर्य, प्रेम, वासना, काम, यौन इच्छा आदि का प्रतिनिधि भी करता है। 

ऐसे में जब जल तत्व और अग्नि तत्व ग्रहों का एक साथ मिलन होता है तो इसके फलस्वरूप जातक की कामवासना और यौन इच्छाओं में बलवती हो जाती है। हालांकि इसका सूक्ष्म फल इस बात पर भी निर्भर करता है कि जातक की कुंडली के किस भाव में मंगल-शुक्र की ये युति बनती है। 

ऑनलाइन सॉफ्टवेयर से मुफ्त जन्म कुंडली प्राप्त करें

शुक्र-मंगल की युति का प्रभाव 

  • यदि किसी कुंडली में मंगल-शुक्र एक साथ उपस्थित होते हुए सामान्य अवस्था में हो तो, उस स्थिति में जातक में यौन इच्छाओं की प्रबलता देखी जाती है। परंतु वो जातक अपनी इन यौन इच्छाओं पर पूर्ण रूप से नियंत्रित करने में भी सफल रहता है। 
  • साथ ही जब किसी कुंडली में मंगल और शुक्र एक साथ अत्यंत प्रबल अवस्था में बैठे हों और दोनों ही ग्रह कुंडली में काफी बलवान हो तो, ऐसे जातक की काम वासना में अधिकता आती है। कई परिस्थितियों में तो जातक खुद की यौन इच्छाओं को नियंत्रित करने में भी असफल रहता है। 
  • एक अन्य परिस्थिति में यदि किसी कुंडली में मंगल-शुक्र युति करें और इस दौरान शुक्र कमजोर और मंगल अधिक प्रभावी हो तो, मंगल-शुक्र की ये युति जातक को दुष्कर्मी भी बना सकती है। क्योंकि मंगल का शुक्र के साथ उपस्थित होते हुए उससे अधिक बलवान होना, जातक को अतिचारी बनाता है और इस कारण व्यक्ति अपनी यौन इच्छाओं को पूरा करने हेतु कुछ भी कर गुजरता है। इस दौरान जातक की केवल काम वासना बेहद प्रबल होती हैं, उसमें प्रेम नहीं होता और जिसके चलते कई बार जातक की ये इच्छाएं उसके सिर पर चढ़कर उसे गलत कार्य में लिप्त कर देती हैं।  
  • इसके विपरीत यदि दोनों ग्रहों की युति हो और उनमे से मंगल कमज़ोर और शुक्र ज्यादा प्रभावी हो तो, इस स्थिति में जातक खुद पर और अपनी यौन इच्छाओं के बीच सही संतुलन बनाते हुए संतुलित, सधा हुआ और खुद पर पूर्ण नियंत्रण रखते हुए ही यौन व्यवहार करता है। इस दौरान उस जातक के लिए प्रेम का महत्व अधिक होता हैं, जबकि काम वासना प्रेम से कम हावी रहती हैं। ऐसे व्यक्ति अपने प्रेम संबंधों में रोमांस और प्रेम की अनुभूति करते हुए अपने पार्टनर की इच्छाओं को भली-भांति समझते हैं और उसे महत्व भी देते हैं। 
  • वहीं यदि किसी कुंडली में मंगल-शुक्र दोनों ही ग्रह संतुलित अवस्था में हो तो, ऐसे में उस व्यक्ति के एक से अधिक विपरीत लिंगी मित्र हो सकते हैं या वो व्यक्ति एक से अधिक विपरीत लिंगी व्यक्ति के साथ यौन संबंधों में लिप्त हो सकता है। पुरुष जातक के लिए ये युति उसकी महिला मित्रों की संख्या में इजाफा करेगी, जबकि महिला जातक की कुंडली में ये युति बनने पर उनके पुरुष मित्रों की संख्या अधिक हो सकती है।

चलिए अब जानते हैं आखिर वो कौनसी मुख्यतौर पर चार राशियां होंगी, जिनके लिए मंगल-शुक्र की ये युति उनके प्रेम जीवन में जोश भरने का कार्य करेंगी:-

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा  

मंगल-शुक्र की ये युति इन राशियों के प्रेम जीवन में लाएगी रोमांस

मेष राशि:

मंगल-शुक्र की ये युति आपके एकादश भाव में होगी और इसके फलस्वरूप प्रेमी जातकों के रिलेशन में अपार ख़ुशियों का आगमन होगा। कई जातक इस समय अपने प्रेमी के प्रति अधिक आकर्षित दिखाई देंगे। कुछ जातकों का मन काम वासना की ओर भी अधिक केंद्रित रहेगा और इसके चलते शादीशुदा जातक अपने साथी के साथ कहीं घूमने जाने का प्लान करते हुए, एक-साथ अकेले में समय व्यतीत करना पसंद करेंगे। वहीं सिंगल जातकों के मन में भी यौन इच्छाएं काफी प्रबल रूप ले सकती हैं। 

सिंह राशि:

ये युति आपकी राशि से सप्तम भाव में बनेगी और इसके परिणामस्वरूप सबसे अधिक शादीशुदा जातकों का अपने जीवनसाथी के साथ रिश्ता और अधिक रोमांटिक हो सकेगा। कुछ जातक अपनी साथी की यौन इच्छाओं को समझते हुए, उन्हें पूरा करने के लिए किसी रोमांटिक डेट का भी प्लान कर सकते हैं। वहीं यदि आप किसी रिलेशन में हैं तो आपको भी ये अवधि अपने पार्टनर के बहुत करीब लेकर आएगी। परंतु इस समय मर्यादित आचरण बरतना ही आपके लिए उत्तम रहेगा। ऐसे में कुछ भी जल्दबाज़ी में ऐसा न करें, जिसका पछतावा आपको भविष्य में हो।  

मकर राशि:

मंगल-शुक्र की युति आपके द्वितीय भाव में बनेगी और इसका सबसे उत्तम लाभ विवाहित जातक उठाते दिखाई देंगे। क्योंकि इस दौरान वे अपने साथी की ओर अधिक आकर्षित होते हुए, अपने रिश्ते में नयापन लाने में सफल रहेंगे। इससे नवविवाहित जातकों को एक-दूसरे की बाहों में ज्यादा से ज्यादा समय बीताने का मौका मिलेगा। वहीं यदि आप सिंगल हैं तो आपकी बढ़ती यौन इच्छाएं आपको किसी विपरीत लिंगी व्यक्ति से अपने प्रेम का इजहार करने के लिए प्रेरित कर सकती हैं। परंतु इस दौरान आपको अपनी काम वासना को अपने दिमाग पर हावी न होने देते हुए, अपने साथी की इच्छाओं का सम्मान करने की हिदायत दी जाती है।

कुंभ राशि:

इस युति का प्रभाव आपके ऊपर अधिक रहेगा, क्योंकि मंगल-शुक्र की ये युति आपकी ही राशि अर्थात आपके प्रथम भाव में बनेगी। इसके परिणामस्वरूप आपका रुझान यौन गतिविधियों की ओर अधिक रहेगा और इस कारण आप विपरीत लिंगी मित्र को अपनी ओर आकर्षित करते हुए ख़ुद को सँवारने व अपना ख़्याल रखने को लेकर अधिक केंद्रित रहेंगे। इससे आपके मित्रों के बीच आपकी लोकप्रियता में बढ़ोतरी होगी और आप अपनी लोकप्रियता की मदद से कई विपरीत लिंगी नए मित्र बनाने में सफल रहेंगे। लेकिन शादीशुदा जातक किसी अन्य के साथ अफेयर में फंस सकते हैं। इसलिए कुछ भी अनुचित करने से बचना ही आपके लिए बेहतर रहेगा।  

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

आपको हमारा ये लेख कैसा लगा..? हमे कमेंट कर ज़रूर बताएं। एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपको बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.