शुभ मुहूर्त में क्यों करना चाहिए कार्य आरंभ

शुभ मुहूर्त किसी भी मांगलिक कार्य को शुरू करने का वह शुभ समय होता है जिसमें ग्रह और नक्षत्रों के द्वारा शुभ फल की प्राप्ति होती है। हमारे जीवन में कई शुभ अवसर आते हैं। इन अवसरों पर हमारा उद्देश्य यह रहता है कि हम जो कार्य कर रहे हैं उसका परिणाम सार्थक रूप से प्राप्त हो। इसलिए हम इन कार्यों को करने से पूर्व शुभ मुहूर्त के लिए पंडित की सलाह लेते हैं।

शुभ मुहूर्त क्या है?

मुहूर्त के माध्यम से हम जीवन में होने वाले शुभ और मांगलिक कार्यों के शुभारंभ के लिए समय और तिथि का निर्धारण करते हैं। अगर सरल शब्दों में परिभाषित करें तो किसी अच्छे समय का चयन कर किसी कार्य का शुभारंभ ही मुहूर्त कहलाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार हर शुभ और मंगल कार्य को आरंभ करने का एक निश्चित समय होता है। क्योंकि उस खास समय में ग्रह और नक्षत्र के प्रभाव से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। कुछ उत्तम मुहूर्त इस प्रकार हैं :-

  • अभिजीत मुहूर्त – अभिजित मुहूर्त सभी मुहूर्तों में अत्यंत ही शुभ तथा फलदायी माना जाता है। अभिजित मुहूर्त प्रत्येक दिन मध्यान्ह से करीब 24 मिनट पहले प्रारम्भ होकर मध्यान्ह के 24 मिनट बाद समाप्त हो जाता है।
  • दो घटी मुहूर्त – दो घटी के समय को मुहूर्त कहते हैं, जो की 48 मिनट के समान हैI
  • लग्न तालिका – विवाह मुहूर्त और गृह प्रवेश मुहूर्त समेत सभी शुभ कार्यों के मुहूर्त के लिए शुभ लग्न तालिका देखा जाता है।
  • गौरी शंकर पंचांगम – गौरी शंकर पंचांगम को तमिल में “नल्ला नेरम” भी कहा जाता है जिसका अर्थ शुभ समय होता है। यह मुहूर्त श्रेष्ठ फलदायी होता है।
  • गुरु पुष्य योग – गुरु पुष्य योग सभी योगों में प्रधान है। इस योग में किया गया कार्य सार्थक होता है। इसलिए इसे शुभ मुहूर्त में गिना जाता है।
  • रवि पुष्य योग – रवि पुष्य योग समस्त शुभ कार्यों के प्रारंभ के लिए उत्तम माना गया है। रवि पुष्य योग सभी कार्यों के लिए परम लाभकारी होता है।
  • अमृत सिद्धि योग – अमृत सिद्धि योग में किए गए सभी कार्य पूर्ण रूप से सफल होते हैं, इसलिए समस्त मांगलिक कार्य के शुभ मुहूर्त के लिए इस योग को प्राथमिकता दी जाती है।
  • सर्वार्थ सिद्धि योग – सर्वार्थ सिद्धि योग एक निश्चित वार और निश्चित नक्षत्र के संयोग से बनता है। यह योग शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए विशेष फलदायी होता है और समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करता है।
  • चौघड़िया – ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए कोई शुभ मुहूर्त न मिले तो उस अवस्था में चौघड़िया मुहूर्त में उस कार्य को किया जा सकता है।
  • होरा – शुभ मुहूर्त के अभाव में कोई मंगल कार्य न रुके इसके लिए ज्योतिष में होरा चक्र की व्यवस्था बनाई गई है

क्यों होती है शुभ मुहूर्त की आवश्यकता?

शुभ मुहूर्त पर किया जाने वाला कार्य मंगलकारी होगा और जीवन में खुशहाली लेकर आएगा। ब्रह्मांड में होने वाली खगोलीय घटनाओं का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। क्योंकि विभिन्न ग्रहों की चाल के फलस्वरूप जीवन में परिवर्तन आते हैं। ये बदलाव हमें अच्छे और बुरे समय का आभास कराते हैं। इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि हम वार, तिथि और नक्षत्र आदि की गणना करके कोई कार्य आरंभ करें, जो शुभ फल देने वाला साबित हो।

शुभ मुहूर्त की गणना का आधार

  • हिंदू वैदिक ज्योतिष पंचांग के अनुसार ही मुहूर्त की गणना की जाती है।
  • ग्रहों की चाल और उनकी स्थिति।
  • मुहूर्त की गणना के लिए सूर्योदय एवं सूर्यास्त का विशेष महत्व है।
  • शुभ नक्षत्र को ध्यान में रखना।
  • विभिन्न समारोह और आयोजनों के लिए मुहूर्त अलग-अलग होते हैं।

राहु काल का रखें ध्यान

वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु काल को शुभ नहीं माना जाता है। इस काल पर राहु का स्वामित्व होता है। इस समय-अवधि में कोई भी महत्वपूर्ण कार्य न करने का विधान है। यदि इस समय में किसी काम को शुरू किया जाता है तो मान्यता है कि वह काम कभी सकारात्मक परिणाम नहीं देता है।

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