श्रावण पुत्रदा एकादशी: जानिए पूजन विधि, महत्व और व्रत कथा

हिंदू धर्म में प्रत्येक एकादशी का बेहद महत्व बताया गया है। साल में कुल 24 एकादशी पड़ती है। ऐसी ही श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन जो कोई भी संतान प्राप्ति के लिए पूजा व्रत आदि करता है उसे संतान सुख अवश्य प्राप्त होता है, इसलिए इस एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। महिलाएं इस व्रत में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती हैं। केवल संतान प्राप्ति के लिए ही नहीं बल्कि संतान की रक्षा के लिए भी इस व्रत का बेहद महत्व बताया गया है। 

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श्रावण पुत्रदा एकादशी तिथि और मुहूर्त 

18 अगस्त, 2021 (बुधवार)

श्रावण पुत्रदा एकादशी पारणा मुहूर्त :06:34:51 से 08:29:00 तक 19, अगस्त को

अवधि :1 घंटे 54 मिनट

हरि वासर समाप्त होने का समय :06:34:51 पर 19, अगस्त को

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इस व्रत की महिमा 

श्रावण पुत्रदा एकादशी से निसंतान दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है और साथ ही संतान संबंधी सभी बाधाएं भी जीवन से दूर होती है। इस व्रत को लोग निर्जला तो कुछ लोग फलाहारी रूप से रहते हैं। 

इस दिन के बारे में ऐसी मान्यता है कि अगर कोई भी निसंतान दंपत्ति इस दिन पूरे आस्था और मन से इस दिन व्रत करें भगवान विष्णु की पूजा करें तो उन्हें संतान सुख अवश्य मिलता है। इस व्रत के बारे में यह भी कहा जाता है कि जो कोई भी इंसान पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा पड़ता है सुनता है या औरों को सुनाता है उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। 

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श्रावण पुत्रदा एकादशी की पूजन विधि 

जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कि, श्रावण पुत्रदा एकादशी के दिन सुदर्शन चक्रधारी भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। अब जानते हैं इस व्रत की पूजा विधि क्या होती है। 

  • श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं को व्रत से पहले यानी दशमी के दिन एक समय सात्विक भोजन ग्रहण करना अनिवार्य होता है। व्रत रखने वाले लोगों को संयमित और ब्रह्मचर्य का पालन भी अवश्य करना चाहिए। 
  • एकादशी के दिन सुबह प्रात काल उठकर व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु का ध्यान करें। 
  • फिर स्नान करके पूजा की शुरुआत करें।
  • इस दिन की पूजा में गंगाजल, तुलसी, तिल, फूल, पंचामृत इत्यादि शामिल करें। 
  • इस व्रत को बिना जल्द यानी निर्जला रहना चाहिए। हालांकि अगर आप चाहें तो शाम के समय दीपदान के बाद फलाहार भोजन कर सकते हैं। 
  • व्रत के अगले दिन यानी द्वादशी पर किसी जरूरतमंद व्यक्ति या किसी ब्राह्मण को स-सम्मान भोजन कराएं अपनी यथाशक्ति अनुसार दान दक्षिणा दें और उसके बाद अपने व्रत का पारण करें। 

संतान की कामना के लिए इस दिन क्या करें? 

जिन दंपति को संतान प्राप्ति की कामना होती है उन्हें पुत्रदा एकादशी के दिन जोड़े में (संयुक्त रूप से) भगवान श्रीकृष्ण की उपासना करना चाहिए। इसके बाद संतान गोपाल मंत्र का जाप करें। मंत्र जाप के बाद पति-पत्नी दोनों प्रसाद ग्रहण करें और इसके बाद गरीबों को और जरूरतमंदों को श्रद्धा अनुसार दक्षिणा दें और उन्हें भोजन कराएं। 

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पुत्रदा एकादशी पौराणिक कथा 

बहुत समय पहले की बात है भद्रावती नगर में सुकेतु नाम का एक राजा हुआ करता था। उनकी पत्नी का नाम शैव्या था। उन दोनों के जीवन में सब कुछ होने के बावजूद संतान न होने की वजह से दोनों पति पत्नी दुखी रहने लगे थे। एक दिन दुखी मन से राजा और रानी ने मंत्री को राजपाट सौंपा और खुद वन को चले गए। इस दौरान उनके मन में आत्महत्या करने का विचार भी आने लगा लेकिन, तभी राजा को यह एहसास हुआ कि आत्महत्या से बढ़कर इस दुनिया में कोई और पाप नहीं होता है। तभी अचानक उन्हें वेद पाठ के स्वर सुनाई देने लगे और फिर राजा रानी उसी दिशा में बढ़ते चले गए जिधर से उन्हें वेद पाठ का स्वर आ रहा था। 

कुछ आगे चलते हुए उन्हें साधु मिले। साधु के पास पहुंचने पर राजा रानी ने पूछा कि आप लोग किस की पूजा कर रहे हैं तो साधु ने बताया कि हम पुत्रदा एकादशी का व्रत कर रहे हैं। यहां पर राजा रानी को पुत्रदा एकादशी का महत्व पता चला। इसके बाद दोनों ने अगली पुत्रदा एकादशी का व्रत किया और इसी के प्रभाव से उन्हें संतान की प्राप्ति हुई। बताया जाता है कि, इसके बाद से ही पुत्रदा एकादशी का महत्व माना जाने लगा। ऐसे में जो कोई भी निसंतान दंपत्ति इस दिन श्रद्धापूर्वक और विधि विधान से इस दिन का व्रत पूजन उपवास करता है उन्हें संतान सुख अवश्य प्राप्त होता है।

श्रावण एकादशी पर इन कामों में बरतें सावधानी 

  • दशमी को रात में शहद, चना, साग, मसूर की दाल और पान नहीं खाना चाहिए। 
  • एकादशी के दिन किसी भी तरह का कोई झूठ बोलने या कोई भी बुरा काम करने से बचना चाहिए। 
  • दशमी के दिन मांस और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। 
  • एकादशी के दिन चावल और बैंगन भी नहीं खाने चाहिए। 
  • एकादशी और दशमी को किसी से भी मांग कर खाना नहीं खाना चाहिए। 
  • इस व्रत के दिन जुआ नहीं खेलें।

संतान प्राप्ति के उपाय

यदि आप भी संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं तो हम आपको नीचे कुछ अन्य उपाय भी बता रहे हैं, जिन्हें करने से आपको संतान प्राप्ति से संबंधित शुभ समाचार प्राप्त होने के योग बन सकते हैं:

  • जैसा कि ऊपर बताया गया है संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्ति को संतान गोपाल मंत्र का जाप करना चाहिए। यह जाप प्रतिदिन नियम पूर्वक करें और यदि संभव हो तो किसी विद्वान ब्राह्मण द्वारा इसका पुरश्चरण कराएं।
  • श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत रखें और इस दिन से लेकर कम से कम 11 एकादशी व्रत का संकल्प लेकर उसका पालन करें।
  • लाल गाय और लाल बछड़े की सेवा करने से दंपत्ति को संतान प्राप्ति हो सकती है।
  • संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्ति को अपने गले में केले के पेड़ की जड़ धारण करनी चाहिए। इसे बृहस्पतिवार के दिन पीले रंग के धागे में पहना जा सकता है।
  • यदि पति पत्नी के लिए शारीरिक समस्याओं के कारण संतान प्राप्ति नहीं हो पा रही है तो शुक्र के बीज मंत्र ॐ शुं शुक्राय नमः का जाप करना चाहिए।
  • संतान प्राप्ति के उपाय के रूप में बृहस्पतिवार का व्रत किया जाना भी फलदायक साबित होता है।
  • वृंदावन के श्री राधा कुंड में रात्रि 12 बजे युगल दंपत्ति को स्नान करना चाहिए और सीताफल (कद्दू) का दान करना चाहिए। इससे भी संतान प्राप्ति के शुभ समाचार प्राप्त होते हैं।
  • चांदी का तार लेकर उसको आग में जलाएं उसके बाद उसी तार को दूध में डालकर उस दूध को पी जाएं। ऐसा 40 दिन लगातार करने से संतान प्राप्ति की इच्छा पूर्ण हो सकती है।
  • विधि पूर्वक 32 पूर्णमासी का व्रत करने से भी संतान प्राप्ति के योग बनते हैं।
  • अपने घर में बाल कृष्ण की नटखट लीलाओं वाली तस्वीर लगाएं। प्रतिदिन सुबह शाम इसको निहारें तथा उन्हें माखन – मिश्री का भोग लगाकर स्वयं प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
  • संतान प्राप्ति की कामना वाले पुरुष को फिरोजा रत्न धारण करना चाहिए।
  • विवाह की कामना रखने वाले युगल दंपत्ति को बृहस्पतिवार के दिन पीपल का वृक्ष लगाना चाहिए और अमावस्या के दिन पीपल वृक्ष पर दूध और काले तिलों को मिलाकर जल चढ़ाना चाहिए।
  • बांस के वृक्ष की पूजा करने से भी वंश वृद्धि की सौगात मिल सकती है।

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