श्रावण पूर्णिमा व्रत: जानें इस दिन का महत्व और विशेष पूजा विधि के बारे में !

हिन्दू धर्म में श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि को पूर्णिमा तिथि के रूप में मनाया जाता है। सावन माह में आने वाले पूर्णिमा तिथि को श्रावण पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है, इस दिन मुख्य रूप से व्रत रखने की भी ख़ास परंपरा है। इस साल ये व्रत 15 अगस्त के दिन मनाया जाएगा, श्रावण पूर्णिमा की इस तिथि के साथ ही सावन माह का अंत भी हो जाएगा। हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार पूर्णिमा तिथि को बेहद फलदायी और महत्वपूर्ण माना जाता है। इसलिए आज के दिन व्रत रखने को भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। आइये जानते हैं श्रावण पूर्णिमा व्रत के महत्व और पूजा विधि के बारे में। 

श्रावण पूर्णिमा व्रत का महत्व 

श्रावण पूर्णिमा की तिथि को विशेष रूप से धार्मिक रूप से तो महत्वपूर्ण माना ही जाता है साथ ही इस दिन रक्षाबंधन का त्यौहार मनाये जाने की वजह से भी इस दिन का महत्व अपने आप में काफी बढ़ जाता है। उत्तर भारत में जहाँ इस दिन को श्रावण पूर्णिमा व्रत के रूप में मनाया जाता है वही दूसरी तरफ भारत के कुछ अन्य हिस्सों में इस दिन को कजरी पूनम और पवित्रोपना के रूप में मनाया जाता है। हिन्दू धर्म के प्रमुख यज्ञोपवीत और उपनयन संस्कार को भी इस दिन करवाना बेहद अहम माना जाता है। इस दिन खासतौर से दान-दक्षिणा करना भी महत्वपूर्ण माना जाता है। कुंडली में मौजूद चंद्र दोष को भी आज के दिन किये गए उपायों से दूर किया जा सकता है। इसके अलावा इस दिन का एक बेहद ख़ास महत्व ये भी है की आज के दिन ही अमरनाथ यात्रा की समाप्ति होती है। 

श्रावण पूर्णिमा व्रत पूजा विधि 

यूँ तो श्रावण पूर्णिमा व्रत को अलग-अलग जगहों पर अलग तरीके से मनाया जाता है लेकिन उत्तर भारत में विशेष रूप से इस दिन रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने की वजह से इस दिन का महत्व काफी बढ़ जाता है। हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन विशेष रूप से सभी हिन्दू देवी देवताओं को खासतौर से रक्षा सूत्र बाँधा जाता है। आइये जानते हैं इस दिन किये जाने वाले पूजा विधि के बारे में। 

  • सबसे पहले सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर एक तांबे के बर्तन में एक रेशमी लाल रंग के कपड़े के टुकड़े में कुछ सरसों और चावल के दाने को लाल रेशमी धागे से बांधकर रख दें। 
  • स्नान आदि से निवृत होने के बाद पहले अपने कुल देवी या देवता की पूजा करें और उन्हें रक्षा सूत्र बांधे।
  • इसके बाद किसी ब्राह्मण या पुजारी के हाथ से अपने हाथों पर उसी कपड़े को लपेटे गए धागे को बंधवाएं। 
  • पूजा विधि समाप्त होने के बाद पुजारी या ब्राह्मण को सात्विक भोजन कराएं और उन्हें दान दक्षिणा दें। 
  • पूजा के दौरान विशेष रूप से सभी वेदों का अध्ययन करना भी ख़ासा महत्वपूर्ण माना जाता है। 
  • इसके अलावा आज के दिन विशेष लाभ के लिए गाय को चारा खिलाना महत्वपूर्ण माना जाता है। 
  • महज आज के दिन विधि पूर्वक श्रावण पूर्णिमा का व्रत रखने से व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सफलता के नए आयाम बनते हैं।

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