इन शक्तिशाली शिव मंत्रों से करें सप्ताह की शुरुआत, रोग-कष्ट और परेशानियां होंगी दूर

आज सोमवार है और हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह का पहला दिन सोमवार भगवान शिव को समर्पित होता है। ऐसे में भगवान शिव के भक्त आज के दिन पूजा और उपवास करते हैं जिससे प्रसन्न होने पर महादेव उनके जीवन में अपनी कृपा दृष्टि हमेशा बनाए रखते हैं। साथ ही जो कोई भी व्यक्ति आज के दिन सच्ची निष्ठा और भक्ति के साथ व्रत और पूजन करता है उसके जीवन की सभी परेशानियां दूर होती है और मनोकामनाएं पूरी होती है।

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सोमवार विशेष अपने इस आर्टिकल में आज हम बात करेंगे भगवान शिव के ऐसे चमत्कारी मंत्रों के बारे में जिनका आज की पूजा में जप करके आप अपने जीवन से रोग कष्ट और परेशानियां दूर कर सकते हैं। साथ ही जानते हैं वैशाख माह में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व क्यों बताया गया है और शिव पूजा का नियम क्या होता है।

वैशाख माह भगवान शिव को है बेहद प्रिय

वैसे तो वैशाख माह का संबंध भगवान विष्णु से जोड़कर देखा जाता है लेकिन जब बात होती है प्रिय महीने की तो वैशाख का ही यह महीना भगवान शिव को बेहद प्रिय होता है। ऐसे में इस दौरान पूजा विधि और दान पुण्य करके भगवान विष्णु की प्रसन्नता के साथ-साथ भगवान शिव की प्रसन्नता भी हासिल की जा सकती है। यही वजह है कि, इस दौरान भगवान भोले के भक्त शिव पूजा और उपवास करने से नहीं चूकते हैं।

शिव पूजा के इन नियमों को अवश्य रखें ध्यान में

भगवान शिव के बारे में यूँ तो कहा जाता है कि इन्हें प्रसन्न करना सबसे ज्यादा सरल होता है। हालांकि कुछ नियम है जिनकी सावधानी विशेष रूप से बरतने की सलाह दी जाती है। अन्यथा भगवान शिव प्रसन्न होने के बजाय नाराज भी हो सकते हैं। क्या है यह नियम आइये जान लेते हैं।

  • सोमवार के दिन यदि व्रत और पूजा कर रहे हैं तो इस दिन जल्दी उठकर स्नान आदि कर लें। मंदिर जाकर पूजा करनी है तो सबसे पहले भगवान शिव का अभिषेक करें। 
  • अभिषेक करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इसके लिए दूध हमेशा कच्चा ही इस्तेमाल करना चाहिए। कभी भी  उबला दूध पूजा में शामिल न करें। 
  • इसके अलावा अभिषेक के लिए गंगाजल का भी इस्तेमाल करें। भगवान शिव की पूजा में बिल्वपत्र फूल, फल इत्यादि अवश्य शामिल करें। 
  • इस दिन की पूजा में भगवान शिव और पार्वती का गठबंधन करें और भगवान को भोग अवश्य अर्पित करें। 
  • सोमवार के दिन तीन तरह के व्रत किए जा सकते हैं। पहला सामान्य सोमवार का व्रत, सोम प्रदोष व्रत, और सोलह सोमवार का व्रत। सलाह दी जाती है आप जो भी व्रत कर रहे हैं उससे संबंधित कथा अवश्य पढ़ें सुने और दूसरों को सुनाएं। अंत में आरती करें और सभी में प्रसाद वितरित करें।

पूजा में अवश्य शामिल करें भगवान शिव के ये चमत्कारी मंत्र 

” ॐ नमः शिवाय “

“ॐ नमो नीलकण्ठाय “

“ॐ पार्वतीपतये नमः “

“ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय “

“ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा ” 

सोमवार व्रत का उद्यापन कैसे करें?

यहां सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि, आप जो भी व्रत करना चाहते हैं पहले उसका संकल्प ले लें। इसके बाद यदि आप सोलह सोमवार का व्रत कर रहे हैं तो सतरहवें सोमवार को उद्यापन कर लें। मुख्य रूप से कार्तिक, सावन, ज्येष्ठ, वैशाख या मार्गशीर्ष महीने के किसी भी सोमवार को उद्यापन किया जा सकता है। इसके अलावा यदि आप निश्चित रूप से सोमवार का व्रत करना चाहते हैं तो आप लगातार 14 वर्षों तक इसका पालन करें और उसके बाद उद्यापन करें। उद्यापन के अंत में भगवान शिव, मां पार्वती और चंद्र देव के लिए संयुक्त रूप से हवन करें।

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