शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा को यह नाम कैसे मिला, उनके इस नाम का अर्थ क्या होता है, मां का स्वरूप कैसा है, मां की पूजा से क्या लाभ मिलता है, मां चंद्रघंटा का प्रिय रंग, प्रिय फूल, प्रिय भोग और मां का स्वरूप कैसा है यह सभी बातें जानने के लिए पढ़े हमारा यह खास ब्लॉग।
आगे बढ़ने से पहले इस बारे में जानकारी हासिल कर लेते हैं कि वर्ष 2024 में नवरात्रि की तृतीया तिथि किस दिन पड़ने वाली है। साथ ही इस दिन का हिंदू पंचांग क्या कुछ कहता है।
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शारदीय नवरात्रि 2024- तीसरा दिन
शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन और चौथे दिन तृतीया तिथि रहने वाली है। अर्थात इस वर्ष 5 अक्टूबर 2024 शनिवार और 6 अक्टूबर 2024 रविवार के दिन तृतीया तिथि रहेगी और इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी। बात करें इस दिन से संबंधित हिंदू पंचांग की तो 5 अक्टूबर को पूर्ण रात्रि तक तृतीया तिथि रहने वाली है। इस दिन शुक्ल पक्ष रहेगा, स्वाति नक्षत्र रहेगा और विश्कुंभ योग रहेगा। इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त की बात करें तो 11:45:38 सेकंड से लेकर अभिजीत मुहूर्त 12:32:40 सेकंड तक रहने वाला है।
इसके अलावा रविवार 6 अक्टूबर 2024 को भी इस वर्ष तृतीया तिथि ही पड़ रही है। यह 7:51:44 सेकंड तक रहेगी। इस दिन भी शुक्ल पक्ष है, विशाखा नक्षत्र रहेगा और प्रीति योग पूर्ण रात्रि तक रहने वाला है। इस दिन के अभिजीत मुहूर्त की बात करें तो इस दिन 11:45:24 सेकंड से लेकर 12:32:19 सेकंड तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा।
कैसा है माँ का स्वरूप?
मां चंद्रघंटा के स्वरूप की बात करें तो यह बेहद ही शांति दायक और कल्याणकारी है। माता ने मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र धारण किया हुआ है जिसकी वजह से माँ को चंद्रघंटा नाम से जाना जाता है। मां चंद्रघंटा शेर पर सवारी करती हैं। मां के 10 हाथों में कमल और कमंडल के अलावा शास्त्र हैं। मां के माथे पर अर्धचंद्र सुशोभित है। मां के कंठ में श्वेत पुष्प की माला और रत्न जड़ित मुकुट विराजमान है। मां चंद्रघंटा युद्ध की मुद्रा में नजर आती हैं।
मान्यता है कि जो कोई भी भक्त मां चंद्रघंटा की पूजा करता है उन्हें शांति प्राप्त होती है। इसके अलावा मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप अर्थात चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति को परम शक्ति का अनुभव होता है। इसके साथ ही जो कोई भी भक्त मां चंद्रघंटा की भक्ति पूर्वक पूजा करता है उनके जीवन में सौम्यता और शांति बनी रहती है, कष्टों का निवारण होता है। ऐसे साधक परम पराक्रमी और निर्भीक स्वभाव के हो जाते हैं।
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मां का यह स्वरूप अपने भक्तों की प्रेत बाधा से रक्षा करता है। साथ ही ऐसे साधक चिरायु, आरोग्य, सुखी और संपन्न जीवन का सुख भोगते हैं। अगर आपका स्वभाव क्रोधी है या आप छोटी-छोटी बातों पर भी क्रोध करने लगते हैं, छोटी-छोटी बातों से विचलित हो जाते हैं, तनाव लेने लगते हैं या पित्त प्रकृति के हैं तो आपको मां चंद्रघंटा की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
…तो ऐसे पड़ा माँ का नाम चंद्रघण्टा
मां चंद्रघंटा में ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों देवों की शक्तियां समाहित है। चूंकि मां के माथे पर घंटे के आकार में अर्थ चंद्र सुशोभित होता है यही वजह है की मां का नाम चंद्रघंटा पड़ा।
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माँ चंद्रघण्टा पूजा मंत्र- भोग- और शुभ रंग
अब बात करें मां के पूजा मंत्र, प्रिय भोग और शुभ रंग की तो इस दिन की पूजा में इस मंत्र को अवश्य शामिल करें
“या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।”
पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।
बीजमंत्र- ऐं श्रीं शक्तयै नम:।
मां के प्रिय भोग की बात करें तो जैसा कि हमने पहले भी बताया कि नवरात्रि के नौ दिनों के लिए अलग-अलग भोग निर्धारित किए गए हैं। ऐसे में अगर आप मां चंद्रघंटा की प्रसन्नता हासिल करना चाहते हैं तो इन्हें केसर की खीर और दूध से बनी हुई मिठाई अवश्य अर्पित करें।
इसके अलावा पंचामृत, चीनी और मिश्री भी माता रानी को बेहद प्रिय होती है। आप चाहे तो नवरात्रि की तृतीया तिथि की पूजा में आप माँ को इन चीजों का भी भोग अवश्य लगाएँ।
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अब बात करें मां के प्रिय रंग की तो इस दिन की पूजा में आप सुनहरे या फिर पीले रंग के वस्त्र अवश्य धारण करें। इसे बेहद शुभ माना गया है। इसके अलावा मां चंद्रघंटा की पूजा में सफेद कमल या फिर पीले गुलाब की माला अगर आप शामिल करते हैं तो आपकी मनोकामना शीघ्र और अवश्य पूरी होने लगती है।
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शारदीय नवरात्रि तीसरा दिन- अवश्य आजमाएं यह अचूक उपाय
अब बात करें शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन किए जाने वाले उपायों की तो यहां हम आपको कुछ राशि अनुसार उपाय बता रहे हैं जिन्हें करने से आप अपनी मनोकामना पूर्ति करवा सकते हैं।
मेष राशि- मेष राशि के जातक मां को दूध से बनी मिठाई और लाल रंग के फूल चढ़ाएँ।
वृषभ राशि- वृषभ राशि के जातक मां को सफेद फूल और सफेद चंदन अवश्य अर्पित करें।
मिथुन राशि- मिथुन राशि के जातक माता को खुद खीर बनाकर उसका भोग लगाएँ।
कर्क राशि- कर्क राशि के जातक नवरात्रि की तृतीया तिथि पर मां को दही चावल और बताशे का भोग लगाएँ।
सिंह राशि- सिंह राशि के जातक मां को रोली और केसर अवश्य अर्पित करें।
कन्या राशि- कन्या राशि के जातक मां को दूध और चावल से बनी खीर का भोग लगाएँ।
तुला राशि- अगर आपकी राशि तुला है तो इस दिन मां को लाल चुनरी अवश्य अर्पित करें।
वृश्चिक राशि- वृश्चिक राशि के जातक दोनों पहर की पूजा में आरती अवश्य करें और मां को गुड़हल के पुष्प अर्पित करें।
धनु राशि- धनु राशि के जातक नवरात्रि की तृतीया तिथि के दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें।
मकर राशि- मकर राशि के जातक माता को दूध से बनी हुई मिठाई का भोग लगाएँ।
कुंभ राशि- कुंभ राशि के जातक माता रानी को हलवे का भोग लगाएँ और देवी कवच का पाठ करें।
मीन राशि- मीन राशि के जातक नवरात्रि की तृतीया तिथि पर दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और मां को केले और फूल अर्पित करें।
इसके अलावा अगर आपको मंगल ग्रह से संबंधित दोष अपने जीवन में उठाने पड़ रहे हैं तो नवरात्रि के तीसरे दिन मां को लाल रंग के फूल, एक तांबे का सिक्का, हलवा और सुख मेवे अर्पित करें। पूजा करने के बाद आप इस सिक्के को अपनी पर्स में रखें या मुमकिन हो तो धागे में पिरो कर गले में धारण करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
नवरात्रि के तीसरे दिन स्नान आदि करने के बाद मां के तीसरे स्वरूप यानी चंद्रघंटा स्वरूप की विधिवत रूप से पूजा करनी चाहिए।
“या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।”
मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्त निर्भीक होते हैं, जीवन से प्रेत बाधा का साया हटता है, व्यक्ति के पराक्रम में वृद्धि होती है, जीवन सुखमय बनता है, साथ ही कुंडली में मौजूद मंगल दोष से भी छुटकारा मिलता है।
मां चंद्रघंटा को पीले या फिर सुनहरे रंग के वस्त्र अति प्रिय होते हैं यही वजह है कि इस दिन की पूजा में इन दोनों ही रंग हो या इनमें से कोई भी एक रंग को शामिल करने की सलाह दी जाती है।