शारदीय नवरात्रि आरंभ : जानें आज पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि !

नवरात्रि के पहले दिन ऐसे करें माँ शक्ति को प्रसन्न! जानें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि। 

शरद नवरात्रि  नवरात्रि 29 सितंबर 2019 से शुरु हो रही है, जिसका समापन 8 अक्टूबर 2019 को होगा। शारदीय नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों (शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघण्टा, कुष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री) की पूजा होती है। धार्मिक दृष्टि से हिन्दुओं के लिए नवरात्र का पर्व बेहद ही महत्वपूर्ण होता है। इस समय हिन्दू आस्था में विश्वास रखने वाले माँ के भक्त उनके व्रत एवं उनकी पूजा करते हैं। नवरात्रि का पहला दिन अति महत्वपूर्ण होता है। आज के दिन शुभ मुहूर्त में पूरे विधि के साथ घटस्थापना कर माँ के प्रथम रूप शैलपुत्री की पूजा की जाती है।  

माँ दुर्गा के नौ रूपों से जुड़ा श्लोक

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।

तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।

पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।

सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।।

नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।

उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना:।।

घटस्थापना का मुहूर्त

घटस्थापना मुहूर्त  06:12:45 से 07:40:15 तक
मुहूर्त की कुल अवधि 1 घंटे 27 मिनट

ऊपर दिया गया मुहूर्त का समय नई दिल्ली, भारत के लिए है। आप यहाँ क्लिक करके अपने शहर के अनुसार मुहूर्त का समय जान सकते हैं – घट स्थापना मुहूर्त

घटस्थापना से जुड़े नियम

शास्त्रों के अनुसार, हिन्दू धर्म में प्रत्येक धार्मिक कर्मकांड के लिए निश्चित विधि विधान और नियम होते हैं और आराधना का वास्तविक फल प्राप्त करने के लिए इन्ही नियमानुसार पूजा करना ज़रुरी है। इसी प्रकार हमारे लिए घटस्थापना से जुड़ा नियम जानना आवश्यक हो जाता है। नियमानुसार, घटस्थापना की प्रक्रिया दिन के एक तिहाई हिस्से से पहले कर संपन्न कर लेनी चाहिए। 

इसमें घटस्थापना (कलश स्थापना) के लिए अभिजीत मुहूर्त को सबसे उत्तम मुहूर्त माना जाता है। वहीं नक्षत्रों में पुष्य, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, हस्त, रेवती, रोहिणी, अश्विनी, मूल, श्रावण, धनिष्ठा और पुनर्वसु नक्षत्र शुभ होते हैं। इसके साथ ही कलश स्थापना को विधि के अनुसार करना चाहिए। इसमें उपयुक्त होने वाली सामग्रियों को पूर्व में एकत्रित करना सही रहता है।

घटस्थापना की संपूर्ण विधि जानने के लिए यहाँ क्लिक करें

नवरात्रि के पहले दिन ऐसे करें माँ शैलपुत्री की आराधना

नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा होती है। माँ के भक्त उनके लिए व्रत रखते हैं। वैदिक शास्त्रों के अनुसार, माँ शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। वे भगवान शिव की अर्धांगिनी गौरी का ही रूप हैं। यदि माँ के इस स्वरूप का वर्णन करें तो उनके मुकुट पर अर्ध चंद्र है और दाहिने हाथ में त्रिशूल तथा बाएँ हाथ में कमल है। माँ शैलपुत्री नंदी पर सवार हैं। 

नवरात्रि पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें
  • ऊपर दी गई पूजा सामग्री को एकत्रित करें 
  • पूजा की थाल सजाएँ
  • माँ दुर्गा की प्रतिमा को लाल रंग के वस्त्र में रखें
  • मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोयें और नवमी तक प्रति दिन पानी का छिड़काव करें
  • पूर्ण विधि के अनुसार शुभ मुहूर्त में कलश को स्थापित करें। 
  • कलश को गंगा जल से भरें, उसके मुख पर आम की पत्तियाँ लगाएं और उपर नारियल रखें। कलश को लाल कपड़े से लपेंटे और कलावा के माध्यम से उसे बाँधें। अब इसे मिट्टी के बर्तन के पास रख दें
  • फूल, कपूर, अगरबत्ती, ज्योत के साथ पंचोपचार पूजा करें
  • माँ दुर्गा से संबंधित मंत्र का जाप करें
  • अंत में माता से सुख-समृद्धि की कामना करें

हिन्दू धर्म में नवरात्रि का महत्व

माँ दुर्गा शक्ति की देवी हैं और बिना शक्ति के जीवन के अंधकार, नकारात्मक ऊर्जा अथवा अासुरी शक्तियों को नष्ट नहीं किया जा सकता है। यह शक्ति हमारे अंदर दैवीय, ज्ञान या फिर शारीरिक शक्ति के रूप में हो सकती है। 

त्रेतायुग में भगवान राम ने भी अहंकार के नशे में चूर आततायी रावण का वध करने से पहले माँ दुर्गा की पूजा की थी। वहीं महिषासुर नामक राक्षस के प्रकोप से बचने के लिए देवतागण भी माँ दुर्गा के समक्ष विनती करने गए थे और उन्होंने उनकी विनती स्वीकार कर महिषासुर का वध किया था। 

ये सभी उदाहरण बताते हैं कि जब-जब हमारे जीवन में आसुरी ताकतें सिर उठाने लगती हैं, धर्म पर अधर्म हावी होने लगता है, तब-तब हमें माँ शक्ति उन बुरी शक्तियों का काल बनकर अवतार लेती हैं और सृष्टि का कल्याण करती हैं। 

नवरात्र के समय हम माँ दुर्गा के नौ रूपों के प्रति अपनी कृतज्ञता भेंट करते हैं। उनके आदर और सम्मान में उनकी आराधना करते हैं और नौ दिनों का उपवास रखते हैं। इसके इतर, जनमानस की यह आस्था भी है कि नवरात्रि के समय माँ दुर्गा के नौ रूपों की सच्ची श्रद्धा के साथ पूजा तथा व्रत करने से माँ दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

शरद नवरात्रि पर लिखा गया यह ब्लॉग आपके ज्ञानवर्धन में सहायक होगा। हम आशा करते हैं कि आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। एस्ट्रोसेज से जुड़े रहने के लिए आपका धन्यवाद!

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